शनिवार, 10 अक्टूबर 2020

बाबा का ढाबा

 दिल्ली में बाबा के ढाबा के नाम से कुछ दिनों से सोशल वायरल पर फेमस हुए वीडियो ने लोगों को मजबूर कर दिया उन बूढ़े बुजुर्ग की खुशियां वापस करने के लिए जो कि उम्र के अंतिम पड़ाव में भी अपनी मेहनत एवं स्वाभिमान से जीवन को बड़ी सादगी से जी रहे थे लेकिन पूरे विश्व भर में फैली क्रोना वायरस महामारी ने जहां अच्छे-अच्छे उद्योगपति से लेकर आम नागरिक के उद्योग धंधों को पूरी तरीके से चौपट कर दिया वही बाबा के ढाबा जैसे अनेक लोगों की रोजी-रोटी छीनने का कार्य हुआ है देश के लिए वर्तमान समय बड़ा ही विपरीत परिस्थितियों वाला है ऐसे समय में बाबा का ढाबा जैसे गरीब लोगों की मदद करना सुकून देने वाला कार्य है जिस प्रकार से इस दंपत्ति को मदद करने के लिए हजारों की संख्या में लोगों के हाथ बड़े हैं उससे अंदाजा लगा सकता है कि अब भी लोगों में मानवता कायम है लेकिन वहीं दूसरी ओर बाबा के ढाबा जैसे हजारों लोग अब भी सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए तैयार खड़े हैं लेकिन इतना भी आसान नहीं है हर किसी को बाबा का ढाबा जैसी दंपत्ति की लोकप्रियता पा सके लेकिन सरकार को भी चाहिए इस प्रकार के लोगों को चिन्हित करके इनके स्वाभिमानी जीवन को जीने के लिए भरपूर सहयोग एवं मदद करें जिससे देश में लोगों मैं संघर्ष में जूझने एवं लड़कर कामयाबी पाने का जज्बा कायम रहे  एवं हताशा का माहौल ना बने आप सभी लोगों से निवेदन है कि अपने क्षेत्र में इस प्रकार के छोटे-छोटे कार्य करके अपना जीवन यापन करने वाले लोगों से खरीददारी अवश्य करें क्योंकि संपूर्ण लॉकडाउन में इसी प्रकार के लोगों के माध्यम से इस देश में अराजकता नहीं खेल पाई इस प्रकार के ढाबा गली गली टुकड़ों पर होने के कारण लोगों को विदेशी संस्कृति वॉलीबॉल पद्धति के कारण होने वाले दुष्परिणाम ज्यादा नहीं भोगने पड़े एक और विश्व की आर्थिक महाशक्ति अमेरिका जर्मनी कनाडा ब्रिटेन जैसे देश मॉल पद्धति के कारण अपने लोगों को राशन सामग्री से लेकर भोजन भी उपलब्ध नहीं करा पाए थे लानत है ऐसे अर्थव्यवस्था पर जहां लोगों में इस प्रकार का नेटवर्क ना हो जिससे वह किसी भी आपातकालीन स्थिति में अपना कम से कम पर तो भर सकें लेकिन भारतीय संस्कृति एवं संयुक्त परिवार एवं छोटे मजले एवं कुटीर उद्योग जो की गली मोहल्लों में छोटी-छोटी दुकानों से लेकर ठेले खोमचे तक हर किसी को अपने बजट के हिसाब से भोजन उपलब्ध कराकर उन्हें इस महंगाई एवं भागदौड़ भरी जिंदगी में राहत पहुंचाने का कार्य करते हैं इसीलिए इस संस्कृति को बचाने की बड़ी आवश्यकता है छोटे मझोले कुटीर उद्योग करने वालों को हमेशा सपोर्ट करें एवं उन से सामान खरीद कर समाज में इस जाल को बनाए रखें जिस से आने वाली किसी भी प्राकृतिक समस्याओं से आसानी से निपटा जा सके एवं देश  प्रगति के मार्ग पर निरंतर चल सके

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