रविवार, 18 फ़रवरी 2024

विश्व शांति दूत जैन मुनि आचार्य विद्यासागर नहीं रहे

 

जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज, जिनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के बेलगांव जिले के चिक्कोडी गांव में हुआ था, मात्र 22 साल की उम्र मे आचार्य ज्ञान सागर जी द्वारा इन्हें दिगंबर जैन मुनि की दीक्षा दी गई, मुनि जी 26 साल की उम्र में आचार्य बने इनके द्वारा अपने माता-पिता सहित 500 से अधिक लोगों को दीक्षा दी गई ।

मुनि जी का जैन धर्म के प्रति झुकाव मात्र 9 वर्ष की उम्र से ही शुरू हो गया था 
आचार्य विद्यासागर महाराज को अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, बांग्ला भाषाओं का ज्ञान था. जबकि उन्होंने कन्नड़ भाषा में शिक्षा ग्रहण की थी. भारतीय साहित्य, दर्शन, और समाज के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। 

आचार्य विद्यासागर वे मानव जाति का प्रकाश पुंज थे, जो धर्म की प्रेरणा देकर जीवन के अंधेरे को दूर करके मोक्ष का मार्ग दिखाने का महान कार्य करते थे.
विद्यासागर जी ने अपने जीवन को जैन धरोहर के प्रचार-प्रसार में समर्पित किया और उन्होंने अपने ज्ञान और तपस्या से लाखों लोगों को मार्गदर्शन किया। उनका योगदान साहित्य, विचारशीलता, और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में था। 

11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में 'ब्रह्मांड के देवता' के रूप में सम्मानित किया गया था.

विद्यासागर जी महाराज जी 18 फरवरी 2024 में समाधि में लीन हो गए लेकिन उनका आध्यात्मिक एवं साहित्यिक विरासत हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी। उनकी शिक्षाएँ और उनका उदाहरण सदैव हमें सच्चे जीवन के मूल्यों की महत्वपूर्णता की याद दिलाते रहेगे।
आचार्य विद्यासागर जी महाराज को शत-शत नमन एवं श्रद्धांजलि🙏💐💐

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