भारतीय रेल मे सहायक लोको पायलट को जिस प्रकार रिस्क एलाउन्स से बन्चित किया उससे इस प्रकार के नियम बनाने बाले अधिकारी का निम्न बौध्दिक स्थर को स्वतः ही समझा जा सकता है क्योकि रेल मे जितनी महत्वपूर्ण भूमिका लोको पायलट एवं गार्ड निभाते है उसी बराबरी से सहायक लोको पायलट भी महत्बपूर्ण भूमिका के साथ सभी प्रकार के डियूटी पर जोखिम उठाता है जिसमे स्पेयर आते जाते समय चलती गाॅडी मे चडना उतरना ,ड्यूटी पर आते जाते समय ट्राफिक मे, मेन लाइन पर छैःगाडी मे हैन्ड ब्रेक छुटाते लगाते समय,इन्जन चैक करते समय ,गाडी का जी डी आर बनाते समय, ए सी पी होने पर झाडियो मे अनगिनत साॅपो एबं बिच्छओ को पैरो से रौदते हुए,ड्यूटी से आते जाते समय गलियो के आबारा कुत्तो, चोर बदमाशो से अपने जीबन को जोखिम मे डालकर रेल कार्य करता है उसके बाद भी उन्हे अब तक रिस्क एलाउन्स से बन्चित रखना समझ से परे उसके बिपरीत ए सी मे बैठकर बिना लाइन पर चले कुछ रेल कर्मचारी रिक्स एलाउन्स ले रहे है। सह सब कुछ होने के बाद भी सबसे बडी रेल यूनियन के बडे लीडर कहते है कि आखिर रेल मे सहायक लोको पायलट का काम क्या होता है पानी और चाय पिलाना । ऐसी यूनियन से किस प्रकार हम अपने हितो की रक्षा करने की आशा कर सकते है इसलिए सहायक लोको पायलटो को अपने हको की आबाज को इतना बुलन्द करना होगा कि खुदा पूछे कि बोल बन्दे तेरी रजा किया है
गुरुवार, 20 सितंबर 2018
बुधवार, 12 सितंबर 2018
नवीन पेंशन सब की टेन्शन
नवीन पेशन स्कीम से देश के लगभग सभी कर्मचारी दुखी है क्योकि जब नबीन पेशन शुरू हुई थी तो इसके बिषय मे सरकारी कर्मचारियो को अधिक जानकारी नही थी लेकिन अब जब डालर का रूपय के मुकाबले मजबूत होना शेयर बाजार का अनिश्चित एबं डरा देने बाला माहोल उधोगपतियो का देश छोडकर भागना बर्तमान केन्द सरकार के तुकलकी निर्णय नोट बन्दी से लेकर जी एस टी सभी सरकारी कर्मचारियो को अपने बेहतर भबिष्य को लेकर डरा रहे है सरकारी कर्मचारियो को जिस तरह से पूर्व मे पुरानी पेशन से बन्चित होना पडा उसी तरह अब वर्तमान मे एन पी एस के रूप मे जमा जमा पूजी भी खतरे मे दिखाई पढ रही है क्योकि नबीन पेशन नीति पूरी तरह से शेयर बाजार पर निर्भर है लेकिन इस मे सासद एबं बिधायको को बाहर रखा गया है जो हर कर्मचारियो को चुभ रहा है क्योकि अगर कोई सासंद या बिधायक 1 दिन के लिए बन जाये तो उसे जीबन भर पुरानी पेशन का लाभ मिलता है लेकिन कर्मचारी पूरे जीबन भर कर्यकरने के बाद भी उसका जीबन का अन्तिम समय अनिश्तिता मे फसा हुआ है यह राजनेताओ की दोहरी नीति से सरकारी कर्मचारियो मे गहरा रोष ब्याप्त है
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