सोमवार, 14 जून 2021

विश्व रक्तदान दिवस पर 100 बी बार किया रक्तदान देश के हर युवा के लिए विशेष प्रेरणा स्त्रोत निशांत साहू (गगन)



अपने लिए जिया तो क्या जिया  कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखो 

कोरोनावायरस महामारी काल में जब लोगों के अपनों ने साथ छोड़ दिया तो तब समाज के ऐसे महान लोग सामने आए जिन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुए भी लोगो की जान बचाने के लिए बिना किसी स्वार्थ के तन मन धन से मदद की उन्हीं में से एक युवा जो बिना किसी पुरस्कार एवं प्रशंसा की लोगों की मदद करता रहा और  बरसों से कर भी रहा है

युवा ब्लड डोनर एवं समाजसेवी निशांत साहू गगन


प्रत्येक  14 जून को विश्व में  रक्तदान दिवस मनाया जाता है जिसमें लोगों को अधिक से अधिक रक्तदान करने के लिए जागृत किया जाता है सच में जरूरतमंदों को रक्तदान  सबसे बढ़ा महादान होता है यह दान  धर्म जाति मजहब  से परे  सिर्फ इंसानियत को देखता है   रक्त की अहमियत  वह व्यक्ति जानता है 


जिसका कोई अपना परिवार का सदस्य रक्त के बिना जिंदगी और मौत से जूझ रहा होता है  हमारे देश में लाखों लोग  रक्त की कमी की वजह से समय से पहले मृत्यु को गले लगा लेते हैं आज हमारा देश इतना आधुनिक होने के बाद भी लोगों को रक्तदान के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक नहीं कर पा रहा है

वर्तमान में भी में रक्तदान के प्रति लोगों में कई भ्रांतियां फैली हुई है लोग रक्तदान करने से डरते हैं जबकि सभी को पता  स्वस्थ मनुष्य 5 से 6 लीटर तक होता है रक्त नियमित रूप से शरीर में बनता रहता है आपके नजदीक कुछ तो ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी लोग मिल जाएंगे जो जीवन में अनेकों बार रक्तदान कर चुके हैं और अकाल मृत्यु से लोगों की जान बचा चुके हैं

ऐसे ही एक बहुमुखी प्रतिभा का धनी युवा निशांत साहू गगन  जो कि देश भर के युवाओं के लिए एक  प्रेरणा स्त्रोत की तरह है अनेक समाजसेवी उनकी


साधारण और शालीनता भरी उसकी कार्यशैली से काफी प्रभावित है  

देश के हृदय बुंदेलखंड के झांसी जिले के छोटे से कस्बे बरुआसागर  के निवासी  गगन साहू जो कि इलाहाबाद में अपने अध्ययन काल में साथ की पढ़ने वाली छात्रा को माइग्रेन अटैक आने पर उसे स्वेच्छा से प्रथम बार रक्तदान किया इसके बाद अब तक मात्र  29 साल की छोटी सी उम्र में 100 बार रक्तदान कर चुके एवं क्षेत्र के युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत  वन कर युवाओं के द्वारा 500 से अधिक बार  रक्तदान  करवा  चुके है इनका यह सामाजिक कार्य पूरे क्षेत्र में सराहा जा रहा है 


गगन साहू को समाजसेवा अपने परिवार  से विरासत में मिली हुई इनके पिता हरी राम साहू नगर के प्रतिष्ठित संगीतकार चित्रकार एवं  बहु मुखी प्रतिभा के धनी यह पूर्व में राष्ट्रीय युवा योजना से लेकर अनेक सामाजिक  संगठनों से जुड़कर राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक कार्य कर चुके हैं गगन साहू वर्तमान में सिविल सर्विसेज की तैयारी एवं घर के व्यवसाय में हाथ बटाने के साथ ही सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं गगन साहू देश के अनेक हिस्सों में जाकर रक्तदान  कर चुके हैं वहीं क्षेत्रीय  स्तर पर  इनकी विशेष  युवाओं की रक्तदाता टीम है 


जोकि जरूरतमंद लोगों को  रक्त एवं रक्त दाता  मुहैया  कराती है गगन की टीम के अनेकों सदस्य ऐसे हैं जो अनेकों बार रक्तदान कर चुके हैं एवं उनकी टीम प्रत्येक बल गणेश महोत्सव के अवसर पर एक विशाल रक्तदान शिविर जिला चिकित्सा अधिकारी के संरक्षण एवं सहयोग से आयोजित कराते हैं जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग रक्तदान  करते हैं एवं लोगों से रक्तदान करने के लिए जागरूक एवं अपील  करते हैं इस पुनीत कार्य के लिए गगन साहू एवं उनकी टीम झांसी

जिला अधिकारी झांसी जिला चिकित्सा अधिकारी से लेकर अनेक राजनैतिक एवं  गैर राजनीतिक  संगठनों द्वारा सम्मानित हो चुकी  है 

जहां एक और लोगों में रक्तदान के प्रति अनेक भ्रांतियां   एवं भय रहता है वही गगन एवं  गगन साहू की टीम के सदस्य बस एक फोन का इंतजार करते हैं कि किस जरूरतमंद का फोन आए और हम उसे रक्तदाता उपलब्ध कराएं सच में हर कोई चाहता है कि गगन जैसे लोग समाज मैं लोगों के  लिए प्रेरणा  बने एवं सभी लोग आगे आकर  इस प्रकार की पुनीत कार्य करके अपना जीवन सार्थक बनाएं दुनिया में हर कोई महान बन सकता है लेकिन  उसके  लिए गगन साहू जैसे ईमानदारी के साथ लग्न और दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए क्योंकि वर्तमान में

जिस प्रकार से युवा  नशाखोरी   हवा हवाई जीवन शैली सोशल मीडिया तक सीमित रह कर  राजनीतिक पार्टियों के लीडरों की जय जयकार एवं गालियां  देकर अपना समय बर्बाद करता है   वही दूसरी ओर असली  देश सेवा एवं समाज सेवा गगन जैसे लोग करते हैं एवं अपने जीवन को सार्थक बना लेते हैं  निशांत साहू गगन अनेक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं लेकिन आज भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा पुरस्कार ना मिलने पर स्थानीय लोगों में आश्चर्य है 


जब कोरोनावायरस महामारी काल में काम करने वाले लोगों को पुरस्कृत किया जा रहा था तो गगन जैसे अनेक युवा प्रथम पंक्ति के काबिल थे लेकिन अंतिम कतार  में भी नजर नहीं आ रहे थे जो समाज के सिस्टम पर सवाल उठाता ऐसे लोगों को प्रोत्साहन मिलना बेहद जरूरी है गगन के सराहनीय कार्य पर हम सभी उन्हें दिल से सलाम करते हैं🙏💐🎉🎉✍️awaj

गुरुवार, 3 जून 2021

विश्व साइकिल दिवस पर वो साइकिल और बचपन की यादें जो शायद कभी लौट कर ना आए


 #विश्व_साइकिल_दिवस 

हर किसी के बचपन का जुड़ाव साइकिल से किसी ना किसी रूप में जरूर रहा होगा बचपन के उन दिनों की याद जरूर आ जाती है जब साइकिल एक रुपए पर घंटे किराए पर मिला करती थी चला पाए या ना चला पाए वह अलग बात थी क्योंकि आसपास ऐसे दोस्त भी हुआ करते थे कि जो सिखाने के बहाने खुद मजे लूटते थे 1 घंटे के लिए मिलने वाली साइकिल में ज्यादातर समय चैन चढ़ाने और हवा भरने में ही निकल जाता था

 यदि सब कुछ ठीक रहा तो किराए की साइकिल की खराब घंटी एवं कमजोर ब्रेक की समस्या हमेशा बनी रहती थी जिसके कारण किसी से टकराया ना उसका उत्तरदायित्व पीछे से गाइड कर रहे दोस्त और अपने पैरों का ज्यादा रहता था कैंची डंडा  सीट वाली साइकिल सीखने की प्रक्रिया में चलाते समय सबसे ज्यादा ध्यान फ्रेंड लोगों की तरफ रहता था और सिखाने वाले हमेशा कहते थे सामने देखो यदि साइकिल की स्पीड अधिक हो गई और पीछे से गाइड करने वाले दोस्त पीछे छूट गए तो लोगों को हटाने एवं साइकिल को कंट्रोल करने का एक ही सहारा होता था  साइकिल को रोकने की नाकाम कोशिश करते हुए बार बार चिल्लाना भाई साहब हट जाओ भाई साहब हट जाओ साइकिल में ब्रेक नहीं है फिर भी किसी ना किसी से टकरा जाती थी 

उसके बाद शुरू होती थी जांच पड़ताल किसके लड़के हो साइकिल चलाना नहीं आता क्या देखो हमें कितनी लग गई हमारा इलाज कराओ इन सभी सवालों के बीच पीछे साइकिल सिखाने वाले दोस्त रफू चक्कर हो जाते थे मन में डर होता था कि अब शायद घर पर शिकायत ना पहुंच जाए उससे ज्यादा टेंशन किराए की साइकिल की टूट-फूट एवं किराए का एक घंटा पूरे होने का भी रहता था कि अगर 5 मिनट भी ज्यादा हो जाएंगे दूसरे घंटे के भी पैसे देने पड़ेंगे  

साइकिल सीखते समय साइकिल का गिरना एक आम बात होती थी और हमेशा सिखाने वाला एक ही डायलॉग मारता था जब तक गिरोगे नहीं तब तक चलाना सीखोगे नहीं आज भी अनेक लोगों के घुटनों में साइकिल से गिरने से बने चोट  के निशान बने हुए देखे जा सकते हैं जो कि उस नादान बचपन की याद के तौर पर हैं

उस समय लगभग सभी बच्चों की अपने घर वालों से एक ही आसान और मांग रहती थी कि उन्हें नई साइकिल कब मिलेगी 

अब लगभग हर घरों में मोटरसाइकिल कार जरूर आ गए हो लेकिन ओ है किराए की साइकिल चलाने का मजा शायद अब कभी लौट कर ना आए🎯

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