रविवार, 2 नवंबर 2025

जिंदगी की सच्चाई की आंखों को खोलती हुई एक कहानी

माया के जाल में कैद — सालेहा बेगम की सीख

माया के जाल में कैद — सालेहा बेगम की सिख

एक सच्ची कहानी जिसने हमें बताया — कफन में नहीं जाती तिजोरी, संतोष में है असली धन।

सालेहा बेगम
लेख: रविंद्र साहू • प्रकाशित: आज • श्रेणी: आध्यात्मिक, समाज, प्रेरक

यह कहानी माया, धन, और संतोष के बीच के अंतर पर प्रकाश डालती है — और बताती है कि असली धरोहर क्या है।

1. सादा जीवन — एक अकेली ज़िंदगी

सालेहा बेगम — एक ऐसी औरत जिनकी दुनिया बेहद सिमटी हुई थी। कमरा सादा, दिनचर्या भी सादा, और रिश्‍तों का कोई बँधा हुआ जाल नहीं। उन्होंने जीवन में कभी भव्यता नहीं चाही, न ही दिखावे का मोह रखा।

2. पता चला तो हुआ चौंकाने वाला सच

उनके गुजर जाने के बाद मोहल्ले वालों ने उनकी पुरानी चीज़ों की सफ़ाई की — और पाए तीन बोरी जिसमें पुराने नोट व सिक्के थे। कुल मिलाकर लगभग 1,74,000 टका — पर उनमें से कई नोट और सिक्के सड़ चुके थे।

"कफन में नहीं जाती तिजोरी" — यही असली सच है जिसे सालेहा की जिंदगी ने सहज तरीके से समझाया।

3. माया — एक मोह जिसकी हद नहीं

यह कहानी सिर्फ पैसों की ढेर नहीं है — यह हमें माया के उस जाल का आईना दिखाती है जिसमें हम अक्सर अनजाने में फँस जाते हैं। हमें बताया जाता है कि और चाहिए, बेहतर चाहिए, और दिखाना चाहिए — पर यह दौड़ अंतहीन है।

4. ईश्वर और संतोष — सच्ची दौलत

सालेहा की बेटी ने कहा कि वे पैसों से जुड़ी नहीं थीं और उन्हें खर्च करना भी नहीं आता था। पीड़ा के दिनों में पड़ोसी सहयोगी रहे, पर अंतिम निर्णय यह था कि बची रकम को दान कर शांति दी जाए। यही त्याग है जो आत्मा को शांति देता है— न कि जमा की हुई संपत्ति।

5. सामाजिक और आध्यात्मिक शिक्षा

हमारी संस्कृति हमें संतोष, दान, और सहयोग की सीख देती है। एक व्यक्ति, परिवार या समाज जब इन सिद्धांतों पर चलता है, तभी सच्ची तरक्की और सुख संभव है। सालेहा का जीवन हमें यही याद दिलाता है कि सादगी और दया से बड़ी कोई संपत्ति नहीं।

6. जीवन के लिए पाँच सरल संदेश

1. जितना चाहिए उतना ही लें — अतिशयता से बचें।

2. धन को साधन समझें, लक्ष्य नहीं।

3. दान व सेवा को जीवन में स्थान दें — यह आत्मा को उन्नत करता है।

4. ईश्वर में श्रद्धा रखें; संतोष के साथ जीना सीखें।

5. दूसरों के दुख में हाथ बटाएँ — यही वास्तविक समाजिक जिम्मेदारी है।

यदि आप सालेहा की तरह किसी की स्मृति में दान करना चाहते हैं — तो स्थानीय घरों, वृद्धाश्रमों, अनाथालयों, या अस्पतालों में दान कर सकते हैं। दान भाव से कीजिए, दिखावे के लिए नहीं।

8. अंत: एक छोटी प्रार्थना

हे ईश्वर, हमें सिखा कि माया का मोह स्थायी नहीं, पर संतोष व दया अमर हैं। हमें सरलता का मार्ग दिखा और हमारी आत्मा को सच्ची आनन्द-शांति दे।

इस कहानी को अपने शब्दों में साझा कीजिए और समाज में संतोष और दान की भावना बढ़ाइए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपका धन्यवाद आपने हमारे ब्लॉग पर टिप्पणी की

जिंदगी की सच्चाई की आंखों को खोलती हुई एक कहानी

माया के जाल में कैद — सालेहा बेगम की सीख माया के जाल में कैद — सालेहा बेगम की सिख एक सच्ची ...