रविवार, 25 अप्रैल 2021

कोरोनावायरस महामारी की लड़ाई में सबसे कमजोर कड़ी बुजुर्ग इंसान




🌍वैश्विक 😷कोरोना🐉वायरस ☠️महामारी काल की सबसे 🎭कमजोर कड़ी उम्र दराज 👴बुजुर्ग लोग हैं विश्व भर में जितने भी आंकड़े आए हैं उस पर सबसे ज्यादा मृत्यु दर एवं समस्या बुजुर्ग लोगों की हो रही है क्योंकि  उम्र के अंतिम पड़ाव में विभिन्न बीमारियों से घिरे बुजुर्ग दादी दादा मां बाप अन्य लोग जो कि लगभग साथ 65 साल से ऊपर के हैं उन्हें इस समय बेहद की देखभाल की जरूरत है कोरोनावायरस की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी मैं उसकी जानकारी ना दे क्योंकि डर भरे माहौल में एक नेगेटिव सूचना उनके जीवन की डोर को तोड़ सकती है  इसलिए जितना हो सके इस समय उनके साथ रहकर उनकी उचित देखभाल कर कर उन्हें पॉजिटिव सोचने एवं पॉजिटिव रहने के लिए माहौल देने की विशेष जरूरत है मीडिया के माध्यम से बेहद थी दर्द भरी दुखी करने वाली  घटनाएं सामने आ रही है जिसमें सभ्य समाज के पढ़े-लिखे लोग जिनके लिए उनके मां बाप ने बेहतर भविष्य के लिए अपने सपनों को कुर्बान कर दिया और जीवन के अंतिम पड़ाव में उनसे अपने अच्छे जीवन के पल की आशा करके उनको सब कुछ दे दिया लेकिन वह अपने बुजुर्ग परिवार के सदस्यों को अपने हाल पर छोड़ कर अपने अपने काम में व्यस्त हैं हालात ये हैं कि बुजुर्गों की सामान्य स्थिति होने के बाद भी हॉस्पिटल में भर्ती करके उनकी सुध लेने लेने की जरूरत नहीं समझते और जब वह किसी अपने को अपने बीच ना पाकर अपनी जिंदगी से हार मानकर मौत के सामने समर्पण कर देते हैं या हॉस्पिटल के कर्मचारी उनकी जान की कीमत को मामूली समझकर किसी और को वरीयता देकर उन्हें उचित देखभाल एवं दवाइयां ना देकर उन्हें समय से पहले मरने के लिए छोड़ रहे है मरने के बाद  उनकी डेड बॉडी को भी लेने के लिए उनके  अपने लोग हाथ खड़े कर रहे हैं इस प्रकार के हालात से समाज का कुरूप चेहरा देखने को मिल रहा है जो बेहद ही दुखद एवं निंदनीय है आप सभी से निवेदन है कि अपने बुजुर्ग परिवार के सदस्यों का उचित ख्याल रखें क्योंकि जीवन रहे ना रहे लेकिन समाज का ताना-बाना बना रहना चाहिए और ऊपर वाले की लाठी से डरना चाहिए क्योंकि आज हमारा समय है कल किसी और का होगा🎯

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

भारत में कोरोना वायरस महामारी को चरम पर पहुंचने में आखिर गलती किसकी है

 


कहते हैं कि #बेवकूफ और #बहादुर  में नाम मात्र का फर्क होता है कामयाब हुए तो बहादुर वरना बेवकूफी कहा जाएगा वर्तमान समय में जिस हालात से हमारा देश गुजर रहा है उसमें सबसे बड़ी जिम्मेवार हमारे देश की सरकार की विदेश नीति एवं आम लोगों की लापरवाही नीतिया हैं क्योंकि लगभग एक साल पहले हम लोग पूरे विश्व मैं #कोरोनावायरस महामारी के विकराल रूप को देखकर बड़े-बड़े देशों को बेवकूफ समझ रहे थे अपने आप को हार्ड ह्यूमैनिटी पावर का स्वयंभू स्वामी समझ रहे थे विश्व बैंक एवं विश्व हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के साथ बड़े-बड़े देशों ने भारत के लिए अनेक घोषणा पहले से कर दी थी कि कोरोनावायरस महामारी सबसे ज्यादा तबाही भारत जैसे विकासशील देश में मचाएगी जिसमें लगभग 20 लाख लोगों के संक्रमण से मौतों  की संभावना व्यक्त की थी जिसके बचाव एवं आपातकालीन व्यवस्था की तैयारी के लिए उन्होंने भारत को लाखों करोड़ों डॉलर का कर्ज एवं सहायता दी जो प्लान और टारगेट के हिसाब से 2024 तक पूरे भारत में जन जागरूकता अभियान सुरक्षा समय-समय पर लॉकडाउन वैक्सीनेशन प्रोग्राम बड़े-बड़े हॉस्पिटल एवं चिकित्सक सामग्री तैयार करने के लिए थे लेकिन कुछ कारणवश पिछले वर्ष वह वायरस इतना प्रभावी नहीं हुआ जिस कारण यहां की सरकार एवं लोग पूरी तरीके से लापरवाह हो गए और अपने आपको  कोरोना वायरस महामारी से जंग में खुद विजेता घोषित कर दिया और जितने भी देश के संसाधन थे दानवीर बन कर विभिन्न देशों में बेचना और बांटना चालू कर दिया इतने बड़े देश की जरूरतों को अनदेखा कर देश में बनी वैक्सीन को अनेक देशों में वितरित करना एवं भारी मात्रा में विभिन्न देशों को बिन मांगे राहत सामग्री पहुंचा कर अपने आप को तीस मारखा साबित करने की कोशिश की गई वर्तमान समय में जब कोरोनावायरस महामारी हमारे देश में चरम पर है और पूरा चिकित्सा तंत्र छिन्न-भिन्न होने की कगार पर है देश के हर कोने में त्राहि-त्राहि मची हुई है दवाओं की कालाबाजारी ऑक्सीजन की किल्लत और श्मशान में जलती लाशों के बीच कुछ  अमेरिका जैसे एहसान फरामोश देशों द्वारा भारत को वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल होने वाले स्पेशल सॉल्ट एवं मेडिकल सामग्री को देने से स्पष्ट मना कर दिया जो भारत अपने आप को दानवीर कहकर दोनों हाथों से अपने संसाधन दुनिया भर के देशों पर लुटा रहा था उस विशाल देश को मदद के समय कोई भी बड़ा देश सामने नहीं आ रहा क्योंकि वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने स्पष्ट दो टूक कहा कि भारत की अंदरूनी राजनीतिक नीतियों के कारण बड़ी लापरवाही एवं फंड का सही से इस्तेमाल नहीं किया है एवं विशेष निर्देश देने के बाद भी राजनीतिक चुनाव धार्मिक आयोजन पर लगाम नहीं लगाई गई अब ऐसे समय में दोष किसको दिया जाए जान है तो जहान है अपने देश के लोग खुशी हो तभी देश महान है 🎯

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

देश के उद्योगपतियों को आगे आकर कोरोना वायरस महामारी में उपयोग होने वाली दवाएं इंजेक्शन वेंटिलेटर निशुल्क उपलब्ध कराकर लोगों को इस महामारी से उभरने में सहयोग करने की जरूरत

 


🐉कोरोनावायरस ☠️महामारी के संक्रमण से भयानक होते माहौल में सबसे ज्यादा कमी महसूस की जा रही है तो वह है यह  रेमडेसिवरी इंजेक्शन वेंटिलेटर एवं ऑक्सीजन की जिसके डोज से काफी हद तक कोरोना वायरस के विभिन्न स्टेज के मरीज को राहत प्रदान की जाती है वर्तमान समय में पूरे देश भर में  यह  रेमडेसिवरी इंजेक्शन कालाबाजारी के कारण चर्चित है हॉल सेल बाजार में मात्र हजार रुपए का आने वाला इंजेक्शन 15000 से लेकर ₹30000 तक में बेचा जा रहा है फार्मा सेक्टर के बारे में पिछले वर्ष बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे कि पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है और भारत के पास इतनी क्षमता है कि वह है विश्व भर के लोगों को राहत प्रदान कर सकता है लेकिन वर्तमान में एक प्रदेश दूसरे प्रदेश को भी यह इंजेक्शन सप्लाई करने दे मैं हाथ खड़े कर रहे हैं जिस तरीके से हालात एकदम से बेकाबू हुए हैं उससे लोगों में दहशत का माहौल है क्योंकि देश की चिकित्सा व्यवस्था चरमराने की  कगार पर है अपने टेलीविजन पर पिछले वर्ष कई देशों के हालात देखकर लोग चर्चा करते थे अब वही हालात हमारे देश में भी बनती दिखाई दे रहे हैं ऐसे समय में लोग अपने हाल पर जीवन और मृत्यु से जूझ रहे हैं ऐसे समय में प्राइवेट हॉस्पिटल और दवाओं की कालाबाजारी लोगों के कारण मानवता का क्रूस चेहरा उजागर हुआ है ऐसे समय में बड़े-बड़े उद्योगपतियों को आगे आकर लोगों को इस प्रकार की दवाएं और इंजेक्शन निशुल्क मुहैया कराने के लिए कार्य करने की जरूरत है क्योंकि यदि देश के हालत जरूरत से ज्यादा बिगड़ेंगे तो सबसे ज्यादा लोगों का गुस्सा सरकार एवं उद्योगपतियों पर ही फूटेगा 🎯

बुधवार, 14 अप्रैल 2021

प्रत्येक सर्दी जुखाम खांसी 🐉कोरोनावायरस संक्रमण नहीं होता

 


☠️डर के आगे जीत है?                     वर्तमान समय में फैली महामारी से देशभर में हाहाकार मचा हुआ है महामारी जितनी बड़ी है उससे बड़ा प्रचार प्रसार और प्रोपेगेंडा जिसके तहत अनजाने में ही लोग मनोरोगी बन रहे हैं प्रत्येक वर्ष चैत माह मैं वायरल सर्दी जुखाम बुखार दस्त होना आम बात लेकिन हर तरफ कोरोना वायरस महामारी के डर से लोग अनजाने में अपने होने वाले आम सर्दी जुखाम फीवर को भी कोरोनावायरस का संक्रमण समझ रहे हैं और अंदर ही अंदर घुटन के कारण लो बीपी हाई बीपी हार्ड की समस्याओं और गर्म तासीर के काढ़ा जरूरत से ज्यादा गरम पानी पीकर अपने शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं कोरोनावायरस महामारी से सुरक्षा जरूरी है लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण है अपने अंदर आत्मविश्वास लाना कि हम किसी प्रकार के वायरस से लड़ सकते हैं और हमारा शरीर इतना परिपक्व है की हम कुछ दिनों में सही हो जाएंगे इसी सोच को लेकर हम महामारी पर और इस  मानसिक बीमारी पर जीत हासिल कर सकते हैं कोरोनावायरस महामारी से मरने वालों में सबसे अधिक संख्या उन लोगों की है जो पहले से ही विभिन्न बीमारियों से ग्रसित रहे और कोरोना वायरस के डर से हार्ड फेल एवं जीवन जीने की आस को छोड़ देने वाले ही लोग ज्यादा है जिन्हें भी कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ है उन्हें एक पॉजिटिव सोच रखनी बेहद जरूरी है तभी हम इस बेहतर जीवन को और बेहतर बना सकते मानसिक तनाव को कम करें टीवी कम देखें हल्का-फुल्का व्यायाम करें प्राणायाम करें फीवर सर्दी जुकाम होने पर डॉक्टर की सलाह से पेरासिटामोल विटामिन सी की दवा का यूज़ करें स्वस्थ एवं सात्विक भोजन करें और अपने आप को विश्वास दिलाय कि हम यदि संक्रमित हो जाएंगे तो स्वस्थ भी हो जाएंगे स्वस्थ निर्देशों का पालन करते हुए घर पर रहें सुरक्षित रहें।       🙏धन्यवाद 💐💐

सोमवार, 12 अप्रैल 2021

आम जनमानस के लिए नासूर बन चुकी दवा कंपनियों की कमीशन खोरी की इस व्यवस्था को बदलने की अति आवश्यकता है


 🤔आखिर कब तक चलेगी देश में इस प्रकार की लूट भ्रष्टाचार मिटाने की बाते तो बड़े-बड़े  मंचों लाल किले संसद भवन से की जाती है लेकिन वास्तविक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सबसे बड़ा योगदान उन्हीं लोगों का है जो इस प्रकार के लूट का खसोट  षड्यंत्रकारी कार्य कराने में बड़ी-बड़ी कंपनियां का सहयोग करते हैं आज भारत देश में चिकित्सा पद्धति पूरी तरीके से व्यापार बन चुकी है जो डॉक्टर दवा कंपनी  भगवान का रूप  माने जाते थे वह साक्षात मौत के सौदागर बन गए हैं लोग जानते हुए भी कि सामने वाला हमें लूटने के लिए बैठा है फिर भी लूटने के लिए मजबूर है दवा कंपनियों की लूट का आलम यह है कि किसी दवाई का मूल्य उसके तय मूल्य से हजार गुना से भी अधिक बढ़ाया जा सकता है जो दवा कंपनियों की इस कमीशन खोरी को जानता है वह तो रेट कम करा लेता है लेकिन जो गरीब आम व्यक्ति है वह हमेशा कथित लूट का शिकार होते हैं अब सवाल यह है हमेशा आम जन हित की बात करने वाली सरकारे कई दशकों बाद भी जन हित में अंतर्राष्ट्रीय दवा कंपनियों के इस मायाजाल को तोड़ने के लिए विशेष कानून लाकर नीति निर्धारण करके एक सीमित मार्जन पर दवाइयां बेचने के लिए दवा कंपनियों को कानूनी रूप से बाध्य क्यों नहीं करती सोचने का विषय है 🎯 ✍️ आवाज एक सच्चाई की

जिंदगी की सच्चाई की आंखों को खोलती हुई एक कहानी

माया के जाल में कैद — सालेहा बेगम की सीख माया के जाल में कैद — सालेहा बेगम की सिख एक सच्ची ...