शनिवार, 8 जुलाई 2023
सोमवार, 10 अप्रैल 2023
उत्तर प्रदेश सिनेमा उद्योग का प्रमुख केंद्र बिंदु साहू सिनेमा
लखनऊ का साहू सिनेमा उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख सिनेमा है जिसे 1932 में श्री शिव नारायण साहू एव श्री राम नारायण साहू बन्धुओ के द्वारा निर्मित कराया गया था। यह सिनेमा पहली बार 14 मई, 1947 को खुला था। इसके बाद से यह उत्तर प्रदेश में सबसे प्रसिद्ध सिनेमाओं में से एक है। हजरतगंज में‚ 1932 की फ्रेंच शैली की इमारत‚ “साहू थिएटर बिल्डिंग” (साहू थिएटर बिल्डिंग) में नवीनतम पीवीआर (पीवीआर) है। 'प्लाजा' (प्लाजा), 'रीगल' (रीगल), 'फिल्मिस्तान', 'साहू थिएटर' जैसे अतीत में कई नामों के साथ, थिएटर का नया नाम अब 'पीवीआर साहू' (पीवीआर साहू) हो गया है' जो अपने पुराने विश्व आकर्षण को बरकरार रखते हुए आधुनिक दुनिया की सुविधा और विलास को एक साथ लाता है। पहचान से ड्रामा थिएटर, साहू ग्रुप (साहू ग्रुप) का एक सपना था‚ और पीवीआर के प्रबंधन को संभालने से पहले उन्हें क्रियान्वित किया गया था। साहू ग्रुप ने थिएटर में यथोचित वीडियो और स्टाल स्टाइल सीटिंग (स्टाल स्टाइल सीटिंग) के साथ सिंगल स्क्रीन (सिंगल स्क्रीन) को बनाए रखने का फैसला किया, लेकिन देखने के अनुभव पर कोई समझौता नहीं किया, इसे बारको 4के आरजीबी लेजर प्रोजेक्शन (बार्को 4के) आरजीबी लेजर प्रोजेक्शन)‚ हार्कनेस सिल्वर स्क्रीन (हार्कनेस सिल्वर स्क्रीन) और साहू थिएटर बिल्डिंग का प्रवेश द्वार अब पूरी तरह से बदल दिया गया है, यह अब एक सुंदर अमेरिकी जैसी दिखती है, जिसमें निचली ओर महीने और कुर्सियों के साथ प्रतीक्षा क्षेत्र और एक अच्छी तरह से प्रकाशित, सुंदर दिखने वाला बॉक्स ऑफिस और या सिनेमा प्रवेश द्वार है। चमकीला झूमर‚ गर्म रोशनी‚ डिज़ाइनर साइड पैनल और संगमरमर की लॉबी‚ इसका शाही आकर्षण को दर्शाते हैं। इसके अलावा लाल और चमकदार रंगों की आलीशान आंतरिक सज्जा और "आर्ट डेको" शैली की दीवार और छत इसे आकर्षक भी बनाते हैं।
आज के समय में साहू सिनेमा को अपने अत्यधिक सीट कैपेसिटी और उन्नत सुविधाओं के लिए जाना जाता है। साथ ही यह उत्तर प्रदेश की फिल्म उद्योग की नींव में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
लखनऊ का दिल है हजरतगंज बाजार
हजरतगंज लखनऊ का एक बड़ा बाजार है जो उत्तर प्रदेश राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस बाजार में वस्तुओं के विशाल विकल्प हैं जिनमें वस्तुएं, खाद्य पदार्थ, पुस्तकें, इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वेलरी, कपड़े और अन्य उत्पाद शामिल हैं।
हजरतगंज का नाम मुगल शासक जहाँगीर के गुरु हजरत मखदूम तालिब जहांगीर के नाम पर रखा गया था। इस बाजार में लगभग 2000 से अधिक दुकानें हैं जो अपने आकर्षक उत्पादों के लिए मशहूर हैं।
इस बाजार की शुरुआत लखनऊ के नवाबों द्वारा की गई थी क्योंकि अंग्रेजों के शासन में अंग्रेजों के लिए स्पेशल बाजार हुआ करते थे जहां पर विदेशी सामान बिकता था और खरीददार ज्यादातर अंग्रेज लोग ही होते थे कुछ बाजारों में स्थानीय राजा रजवाड़े के लोग भी सामान खरीदा करते थे उन्हीं की तर्ज पर स्थानीय नवाबों द्वारा आम लोगों एवं खास लोगों की खरीदारी के लिए स्पेशल हजरतगंज बाजार बनवाया था जहां पर ज्यादातर विदेशी दुकानदार अपने उत्पादों को बेचा करते थे और भारतीय लोग इन सामानों को बड़े शौक से खरीदते थे
हजरतगंज का अन्य चर्चित स्थान है
हजरतगंज मंदिर, जो भारत के सबसे बड़े हनुमान जी के मंदिरों में से एक है। इसके अलावा, एक और धार्मिक स्थल है, हजरत मकदूम सहब का मजार, जो शिया मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
लखनऊ के हजरतगंज बाजार में खाने के लिए कई स्थान हैं, जहाँ आप लखनवी खाने का मजा ले सकते हैं।
इनमें तुंडे कबाब, गलौटी कबाब, दही भल्ले, लखनवी बिरियानी, तंदूरी चाय, रॉयल कैफे शाही चाट , शाही पान , स्पेशल मोती महल डोसा, स्पेशल छोले भटूरे, छोले पूरी, आलू कुलचे, जैसे दर्जनों खानपान की वैरायटी की लगभग दर्जनों विश्वविख्यात दुकान यहां पर स्थित है
यहां का बाजार लोगों की आकर्षण का विशेष केंद्र बना रहता है यहां की शाम ए अवध कहलाती है
जो कि मध्य रात्रि तक यहां की खान पान की दुकान खुली रहती है और लोग बड़े आनंद से अपने दोस्त यारों रिश्तेदार एवं परिवार के साथ लखनवी शान ओ शौकत का मजा लेते हैं
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