रेबीज़ वायरस: जानें और बचें
रेबीज़ वायरस क्या है?
रेबीज़ एक घातक वायरल बीमारी है जो रेबीज़ वायरस (Rabies Virus) के कारण होती है। यह मुख्य रूप से संक्रमित कुत्तों, बिल्लियों, चमगादड़ों, या अन्य जानवरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रेबीज़ 100% घातक है यदि समय पर उपचार न किया जाए। भारत में, रेबीज़ के अधिकांश मामले आवारा कुत्तों के काटने से होते हैं, जिसके कारण यह बीमारी विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक बड़ी चुनौती है।
यह वायरस तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और लक्षण दिखाई देने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। इसलिए, रोकथाम और जागरूकता इस बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
तथ्य: भारत में हर साल लगभग 20,000 लोग रेबीज़ से मरते हैं, जो वैश्विक रेबीज़ मृत्यु का लगभग 36% है। WHO रेबीज़ फैक्ट शीट
रेबीज़ के लक्षण
रेबीज़ के लक्षण वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद 1-3 महीने में दिखाई दे सकते हैं, हालांकि यह अवधि कुछ हफ्तों से लेकर एक साल तक भी हो सकती है। लक्षण दो चरणों में दिखाई देते हैं:
- प्रारंभिक लक्षण (प्रोड्रोमल चरण):
- बुखार और थकान
- काटने वाली जगह पर दर्द या खुजली
- सिरदर्द और सामान्य कमजोरी
- चिड़चिड़ापन या बेचैनी
- गंभीर लक्षण (न्यूरोलॉजिकल चरण):
- हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना, क्योंकि निगलने में कठिनाई होती है)
- एरोफोबिया (हवा के झोंके से डर)
- अति सक्रियता, भटकाव, और भ्रम
- लकवा और कोमा
- मृत्यु (लक्षण शुरू होने के बाद आमतौर पर 2-10 दिनों में)
चेतावनी: यदि आपको किसी जानवर के काटने के बाद ये लक्षण दिखें, तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
रेबीज़ की रोकथाम
रेबीज़ से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- पालतू जानवरों का टीकाकरण: अपने कुत्तों और बिल्लियों को नियमित रूप से रेबीज़ का टीका लगवाएं।
- जानवरों के काटने से बचाव: आवारा कुत्तों और जंगली जानवरों से दूरी बनाए रखें। बच्चों को सिखाएं कि वे अज्ञात जानवरों के पास न जाएं।
- जागरूकता और शिक्षा: समुदायों में रेबीज़ के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाएं।
- तुरंत चिकित्सा सहायता: यदि कोई जानवर काट ले, तो तुरंत घाव को साबुन और पानी से 15 मिनट तक धोएं और निकटतम स्वास्थ्य केंद्र जाएं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार ने रेबीज़ की रोकथाम के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं। अधिक जानकारी के लिए, इन वेबसाइट्स पर जाएं:–
सरकार द्वारा रेबीज़ रोकथाम के लिए आयोजन
भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारें रेबीज़ को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही हैं। कुछ प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं:
- राष्ट्रीय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम (NRCP): भारत सरकार ने इस कार्यक्रम के तहत रेबीज़ टीकाकरण और जागरूकता अभियान शुरू किए हैं।
- आवारा कुत्तों का टीकाकरण और नसबंदी: स्थानीय निकायों द्वारा आवारा कुत्तों के लिए मुफ्त टीकाकरण और नसबंदी अभियान चलाए जा रहे हैं।
- मुफ्त रेबीज़ टीका वितरण: सरकारी अस्पतालों में रेबीज़ वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलिन मुफ्त या कम लागत पर उपलब्ध हैं।
- जागरूकता अभियान: विश्व रेबीज़ दिवस (28 सितंबर) के अवसर पर स्कूलों, समुदायों, और मीडिया के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- कुत्तों के काटने की निगरानी: कई राज्यों में कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं जो रेबीज़ के मामलों की निगरानी करते हैं।
सुझाव: अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें और रेबीज़ टीकाकरण की उपलब्धता की जांच करें। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC)
रेबीज़ की चिकित्सा पद्धति
रेबीज़ का कोई इलाज नहीं है यदि लक्षण शुरू हो जाएं। हालांकि, जानवर के काटने के तुरंत बाद निम्नलिखित चिकित्सा कदम उठाए जा सकते हैं:
- घाव की सफाई: काटने के स्थान को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। यह वायरस को शरीर में फैलने से रोक सकता है।
- पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PEP): यह एक टीकाकरण प्रक्रिया है जिसमें रेबीज़ वैक्सीन और रेबीज़ इम्यूनोग्लोबुलिन (RIG) शामिल हैं। इसे काटने के बाद जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए।
- अस्पताल में निगरानी: गंभीर मामलों में, मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है ताकि लक्षणों को नियंत्रित किया जा सके।
PEP में आमतौर पर 4-5 खुराकें दी जाती हैं, जो 0, 3, 7, 14, और कभी-कभी 28वें दिन दी जाती हैं। यह प्रक्रिया केवल तभी प्रभावी है जब लक्षण दिखने से पहले शुरू की जाए।
महत्वपूर्ण: रेबीज़ वैक्सीन समय पर लेना जीवन रक्षक हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए WHO की गाइडलाइंस देखें।
रेबीज़ से बचाव के देसी तरीके
हालांकि रेबीज़ का कोई देसी इलाज नहीं है, कुछ पारंपरिक और घरेलू उपाय काटने के बाद तुरंत प्राथमिक उपचार के रूप में मदद कर सकते हैं। ध्यान दें: ये उपाय चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं।
- घाव की सफाई: काटने के तुरंत बाद घाव को नीम के पानी या साबुन से धोएं। नीम में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
- हल्दी का उपयोग: हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। घाव पर हल्दी का पेस्ट लगाने से बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह रेबीज़ वायरस को नहीं मारता।
- तुलसी के पत्ते: कुछ लोग तुलसी के पत्तों का रस घाव पर लगाते हैं, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
- जागरूकता: देसी समुदायों में कुत्तों को खिलाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वे स्वस्थ और टीकाकृत हैं।
चेतावनी: देसी उपाय केवल प्राथमिक उपचार के लिए हैं। रेबीज़ के लिए तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
अतिरिक्त संसाधन
रेबीज़ के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित विश्वसनीय स्रोत देखें:
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