शनिवार, 20 जुलाई 2019

रेल चालक द्वारा ट्रेन को रोककर किया खुले में पेशाब पब्लिक में हुई वायरल वीडियो

भारत स्वच्छता अभियान के तहत सरकार आए दिन देश में लाखों करोड़ों की संख्या एवं रुपए में बनने वाले शौचालयों के बारे में प्रचार प्रसार कर के लोगों को बताती रहती है लेकिन सरकार के ही सरकारी कर्मचारी स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रहे हैं ताजा मामला मुंबई के लोकल ट्रेन के लोको पायलट जिसे मोटर मैन कहा जाता है उसके द्वारा बीच रास्ते में गाड़ी को रोककर पेशाब करने वाला वीडियो देशभर में वायरल हो रहा है लोग इस वीडियो को शेयर कर कर रेलचालक को बुरा भला कह रहे हैं वही  रेल के बारे में जानकारी रखने वाले लोग  उक्त चालक की मजबूरी को समझ कर  सरकार को कोस रहे है  आने वाले समय में सरकार उक्त मोटरमैन के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है यह तो भविष्य  मैं पता चलेगा लेकिन अब यह सवाल उठता है कि लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर कर स्वच्छता अभियान चलाने वाली सरकार को रेल चालकों के नित्य क्रिया करने का मूलभूत अधिकार के बारे में फिर से समीक्षा करनी होगी क्या कारण है कि करोड़ों की कीमत के इंजनों में मात्र कुछ हजार रुपए के शौचालय नहीं लग पा रहे हैं आपको बता दें भारतीय रेल में रेल चालक एवं सह चालक जिस इंजन द्वारा मालगाड़ी पैसेंजर गाड़ी लोकल ट्रेन खींचते हैं उसमें किसी भी प्रकार का शौचालय उपलब्ध नहीं होता पैसेंजर गाड़ियों में  इंजन के पीछे जो ब्रेक यान एवं जनरल के डिब्बे होते हैं वह सरकारी कर्मचारियों एवं आम नागरिकों से  जानवरों की तरह भरे होते हैं  जिसमें  प्रवेश करना भी  अपने आप में  एक कला है कई ट्रेनें तो ऐसी हैं जहां शौचालय में 5 से लेकर 7 लोग तक घुसकर खड़े खड़े सैकड़ों मिलों की यात्रा करते हैं कई ऐसी ट्रेनें हैं जो लंबी दूरी की होती हैं जिनका 400 किलोमीटर तक स्टॉपेज भी नहीं होता है ऐसी स्थिति में इन्हें कितनी पीड़ा सहन करती है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है मजबूरी में अगर कोई चालक एवं सह चालक गाड़ी को छोड़कर शौचालय के लिए पास कहीं शौचालय जाता है तो उससे अगर ट्रेन के समय में कोई भी डिटेंशन होती है तो उसकी पूरी जिम्मेवारी लोको पायलट और सहायक लोको पायलट की मानी जाती है जिसके लिए उन्हें दंडित किया जाता है   ऐसी स्थिति में मजबूरन लोको पायलट सहायक लोको पायलट को चलती गाड़ी में इंजन से ही  पेशाब  करना पड़ता है एवं  जहां भीड़भाड़ वाले इलाके हैं वहां रेल इंजन से उतर कर खुले में पेशाब करने के लिए मजबूर होना पड़ता है जिसका जाने अनजाने में  कई यात्री एवं व्यक्ति वीडियो बना कर फोटो खींच कर उनकी मजबूरी का मजाक बनाते हैं एवं उन्हें  स्वच्छता अभियान का दुश्मन कहकर बुरा भला कहते हैं  इसमें रेल चालक को एवं बुरा भला कहने बाले आम आदमियों की गलती नहीं है क्योंकि उन्हें रेल और रेल के कर्मचारियों के  विषय में ज्यादा जानकारी नहीं रहती है आपको बता दें नियमानुसार रेल चालक 10 घंटे में गाड़ी खड़ी कर सकता है लेकिन अधिकारियों द्वारा अनावश्यक दबाव डालकर लगभग 10 घंटे से लेकर 16 घंटे तक लगातार ड्यूटी कराई जाती है  जिस  रेल को चालक चला कर आता है ड्यूटी पूरी होने के बाद गारंटी नहीं कि उसी ट्रेन में उसे बैठने के लिए भी जगह मिल जाए  ज्यादातर  उन्हें खड़े-खड़े ही यात्रा करनी पड़ती है घर पहुंचते-पहुंचते कर्मचारियों की ड्यूटी लगभग 15 से 16 घंटे हो जाती है लंबी ड्यूटी एवं इंजन में शौचालय ना होने के कारण  ज्यादातर रेल   चालक  पेशाब रोक कर रखने एवं कम पानी पीने के कारण पथरी हाइड्रोसिल किडनी लीवर जेसी तमाम गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते है देश में जहां  भीषण गर्मी और सर्दी में  जानवरों के लिए  तमाम मानव अधिकार आयोग एवं सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट हैं   जिनके अनुसार जानवरों से  अधिकतम 8 घंटे से ज्यादा कार्य ना कराया जाए  लेकिन  रेल चालकों  एवं सह चालक  एवं गार्ड के लिए हर प्रकार के  मानवाधिकार आयोग आंखें बंद कर लेते है अब सवाल यह उठता है कि क्या कारण है कि देश आजाद होने के कितने सालों बाद भी  रेल इंजनों में  रेल चालक एवं सहायक चालक गार्ड  जानवरों की तरह  कार्य कर रहे  हैं   रेल चालकों के अनुसार वर्तमान हालातों से अधिक अच्छे हालात तो इनके अंग्रेजो के समय  रेल संचालन  में होते थे जहां रेल का इन्हें मुख्य केंद्र बिंदु माना जाता था और सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थी वर्तमान समय में  रनिंग के कर्मचारियों के अनेक अधिकारों में कटौती की जा रही है जिससे देश की सबसे जुम्मेबारी  वं मेहनती नौकरी को करना  बेहद ही कठिन होती जा रही है जिसकी जिम्मेदार वर्तमान यूनियन है या फिर सरकार यह तो शोध का विषय है  क्योंकि अन्य  रेल कर्मचारियों की अपेक्षा रनिंग कर्मचारियों के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार होता चला आ रहा है बने बनाए नियमों को  बदलाव कर कर उनके हकों में हमेशा कटौती की की जाती रही है आम लोगों से निवेदन है कि बिना रेल और रेल कर्मचारियों कार्यों को  जाने अपने आप से किसी प्रकार की अवधारणा ना बनाएं सबसे ईमानदार  परिश्रमी रेल रेल कर्मचारी लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट को हमेशा सपोर्ट करें

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