बुधवार, 25 सितंबर 2019

देश के मरीज बने सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कुछ डॉक्टर भगवान से बन गए हैवान चिकित्सा जैसा पवित्र कार्य बना कमाई का सबसे बड़ा गोरखधंधा

देश में प्राइवेट अस्पतालों एवं भगवान का दर्जा प्राप्त लालची डॉक्टरों द्वारा पूरे देश  मैं मरीजों एवं उनके परिवार के लोगों के साथ   लूटपाट मचा रखी है जिससे लोगों में सबसे पवित्र पेशे डॉक्टर एवं उद्योगपतियों द्वारा संचालित प्राइवेट चिकित्सा से विश्वास उठता जा रहा है अनेकों ग्रामीण कस्बाई एवं शहरी क्षेत्र के छोटे-मोटे डॉक्टरों सरकारी प्राथमिक केंद्रों के  दलाल डॉक्टर की दलाली के कारण बीमार व्यक्तियों एवं उनके परिवार के लोगों को यह अस्पताल एवं  डॉक्टर मरीज ना समझ कर सोने की अंडा देने वाली मुर्गी समझते हैं बीमार ना होने के बाद भी लोगों को जबरदस्ती गंभीर बीमारियां बताकर उन्हें मानसिक एवं शारीरिक बीमार बनाकर उनका  भय पूर्वक एवं भय युक्त इलाज करते हैं जिससे मरीज में इतना डर भर जाता हैं कि उन्हें अपनी बीमारी से उबरने के लिए बहुत समय लग जाता है एवं उनको पूर्ण रूप से स्वस्थ कराने के लिए परिवार के सदस्य भी पूरी तरह से अपना  सब कुछ निछावर कर देते ज्यादातर लोग अपनी बीमारी से हार जाते हैं और परिवार के लोगों के ऊपर एक बहुत बड़ा कर्ज लादकर इस दुनिया में छोड़ जाते हैं लेकिन डॉक्टर  इससे भी संतुष्ट नहीं होते  मरीज की मृत्यु के बाद उसकी  मृत्य लाश को परिवार को सौंपने से पहले  बढ़ा चढ़ा कर उनसे एक मोटा बिल वसूल कर लेते हैं अनेक  घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिसमें  मरीज के मृत्यु होने के बाद भी डॉक्टर फर्जी इलाज करते रहते हैं और कई दिनों तक मरीज को भर्ती किए रहते है मुझे याद है कि एक बार देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी का दौरा बुंदेलखंड के झांसी में स्थित महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज से उच्चरित हुए पैरामेडिकल कॉलेज के उद्घाटन  के लिए आना हुआ था मैं भी उनके काफिले के साथ था मेरे सामने की बात है जब स्वास्थ्य मंत्री ने अपने मुख्य सचिव से कहा कि सरकारी मेडिकल एवं पैरामेडिकल के आसपास मधुमक्खियों के छत्ते की तरह बने हुए यह प्राइवेट अस्पताल क्यों फल-फूल रहे हैं एवं स्वास्थ्य मंत्री जी द्वारा कहा गया कि जीवन में मैंने पहली बार किसी सरकारी मेडिकल एवं पैरामेडिकल कॉलेज के आसपास इतनी अधिक संख्या में प्राइवेट अस्पतालों को देख रहा हूं अब सवाल उठता है कि बुंदेलखंड जैसे अति पिछड़े क्षेत्र में जब इतने बड़े मेडिकल कॉलेज एवं पैरामेडिकल कॉलेज के आसपास इतनी बड़ी संख्या में प्राइवेट हॉस्पिटल संचालित हो रहे हैं क्या कारण है कि सरकारी अस्पतालों में जाने से लोग बच रहे मैंने इस विषय में लोगों से जानकारी ली तो पता चला कि ज्यादातर सरकारी हॉस्पिटलों में प्रैक्टिस एवं इलाज करने वाले सरकारी डॉक्टर उद्योगपतियों एवं राजनेताओं के प्राइवेट  हॉस्पिटल में सबसे अधिक समय देकर वहां पर अपने क्लीनिक संचालित करते हैं एक मोटी कमाई करती हैं सरकारी मेडिकल कॉलेज में तो यह डॉक्टर कुछ मिनटों के लिए आकर अपने कार्य से इतिश्री कर लेते हैं सरकारी अस्पतालों में इनका स्वभाव बेहद रुखा एवं चिड़चिड़ा होता है लेकिन प्राइवेट अस्पताल में उनकी खुद संचालित अस्पतालों में इनका व्यवहार बेहद शालीन हो जाता है चिकित्सालय का यह गोरखधंधा किसी से छुपा नहीं है  सबसे ज्यादा घोटाला दवाइयों में होता है जो अपनी तय कीमत के  कई गुना अधिक कीमत पर बेची जाती है यह गोरखधंधा लगभग सभी की आंखों के सामने होता है मरीज का गलत इलाज करने पर एवं किसी भी प्रकार की गड़बड़ होने पर  मरीज के परिवार वालों द्वारा किसी प्रकार का विरोध किया जाता है तो इनके पहले से ही पले हुए गुंडे मरीज एवं मरीज के परिवार के साथ मारपीट मैं पीछे नहीं हटते हैं आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं इन घटनाओं पर दलाल मीडिया भी अपनी आंखें बंद करके देखता रहता है अब सवाल यह उठता है कि इतना सब होने के बाद भी सरकार इन लोगों पर क्यों एक्शन नहीं लेती है  अनु मन देखा गया है कि मोटी कमाई करने वाले इन प्राइवेट संस्थानों में एक्शन के नाम पर एक 2 वर्षों में आयकर के कथित छापे पड़ते हैं उसके बाद अन्य अस्पतालों एवं प्राइवेट एसोसिएशन द्वारा मैनेज करने के बाद वह मामला सेट हो जाता है एवं एक मोटी रकम संबंधित अधिकारियों एवं राजनेताओं के पास पहुंच जाती है जिसके कारण वह इनकी कुकर्म की अनदेखी कर देते हैं और इनका यह गोरखधंधा  चलता रहता है आपको बता दें कि इन प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों में नीचे से लेकर ऊपर तक दलालों का एक बड़ा जाल फैला हुआ है जोर गांव से लेकर छोटे कस्बे से लेकर सरकारी अस्पताल में इलाज करने वाले मरीजों को कन्वेंस करते हैं और प्राइवेट संस्थानों में ले जाकर एक मोटी दलाली  खाते हैं कस्बों में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर अच्छे डॉक्टर बताकर इन कथित डकैतों के पास मरीजों को भेजते हैं  भेजने का नाम है इनकी कमीशन खोरी  की  शुरुआत होती है टेंपो वालों से लेकर अस्पताल के आसपास मंडराने वाले लोग जो  खून जांच और दवाइयों के साथ स्पेशलिस्ट डॉक्टर बताकर डॉक्टर के पास पहुंचने के बाद फिर उनका खेल चालू होता है मरीजों की छोटी से छोटी बीमारी को गंभीर बीमारी बताकर उन्हें अपने संस्थानों में भर्ती कर लेते हैं बेड चार्ज सर्विस चार्ज तमाम दवाइयों के चार्ज को लगाकर मरीज के परिवार के लोगों पर इतना बोझ लाद दिया जाता  है प्राइवेट संस्थान की डॉक्टरी इलाज के बाद मरीज के परिवार के लोग अपने आपको थका महसूस करते हैं उनकी आंख कब खुलती है जब उनके ऊपर लाखों रुपए का खर्च हो जाता यह लोगों का खून चूसने वाला अमानवीय   कार्य देश के कोने कोने में फैला हुआ है जिसे उखाड़ फेंकने की हिम्मत देश के किसी भी संवैधानिक संस्थान के पास नहीं है मेडिकल क्षेत्र में दलाली एवं कमीशन खोरी इतनी ज्यादा है कि उसके कमीशन से हजारों से लेकर लाखों लोग करोड़ों के न्यारे न्यारे कर लेते और उसका बोझ सबसे ज्यादा देश के ग्रामीण आंचल से लेकर शहरी क्षेत्र के लोगों को उठाना पड़ता है देश के प्रधानमंत्री जी से लेकर तमाम संवैधानिक संस्थाओं से निवेदन है कि इस कार्य को शीघ्र से शीघ्र बंद कराने की कृपा करें

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