शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

रेल को टारगेट बनाकर युवा कर रहे हैं जीवन से खिलवाड़ वीडियो फोटो से जांदा कीमती मनुष्य जीवन है

पिछले दिनों यह वीडियो पूरे देश भर में वायरल हुआ जिसमें एक युवा द्वारा यूट्यूब वीडियो बनाने के लिए आती हुई ट्रेन के बगल में खड़े होकर चलते हुए बिना किसी गति एवं दूरी का अनुमान लगाकर जिस कारण ट्रेन का पार्ट उस युवक ने टकराता है और वह दूर जाकर गिर जाता है मुझे पता नहीं क्यों है इस दुनिया में है या नहीं लेकिन ऐसे हादसे कहीं ना कहीं उस युवा के परिवार एवं रेल गाड़ी चला रहे चालक एवं सहायक चालक एवं आसपास तैनात रेल कर्मचारियों के लिए जीवन भर के लिए   टीस दे जाते हैं की कहीं ना कहीं वह सोचती है कि  मैं शायद उसे बचा सकता था और सतर्कता ना बरतने के कारण यह दुर्घटना हुई थी आए दिन रेल के संबंध में ऐसी घटनाएं आती रहती है जिसमें नवयुवक  एवं व्यक्ति परिवार की समस्याओं से जूझ कर  ट्रेन के आगे आकर अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं जाने वाला तो चला जाता है लेकिन कहीं ना कहीं कई लोगों के दिमाग में एक सदमा जैसा दे जाता चालक एवं सहायक चालक के साथ रहने वाले गार्ड उस एरिया में काम करने वाले पॉइंटमैन लाइनमैन एवं गेटमैन कहीं ना कहीं घटित होने वाली दुर्घटना के बाद काफी दिनों तक सदमे में रहते हैं  एवं उनके लिए कुछ घटनाएं याद के रूप में बड़ी दुखद यादें दे जाती है परिवार के साथ एवं खाना खाने के समय पूजा करने के समय उसे वही दृश्य घूमता रहता है पता नहीं किन परिस्थितियों में लोग जीवन से तंग आकर ऐसे अपराधिक निर्णय ले लेते हैं जिसकी भरपाई करना उनके परिवार के लिए बड़ा ही असंभव कार्य होता है आए दिन रेलवे की  विद्युत लाइन ओ एच ई को पकड़कर जल जाने की घटनाएं होती रहती है ओ एच ई का करंट इतना हाई होता है की छूते ही संबंधित व्यक्ति के पूरे शरीर को पल भर में जला देती है लोगों द्वारा कई तर्क दिए जाते हैं दिमागी रूप से कमजोर व्यक्ति तार को पकड़ते लेकिन समझ में नहीं आता आखिर लोग रेल को ही क्यों टारगेट बना रहे हैं धीरे धीरे आत्महत्याओं करने का सबसे आसान तरीका रेलवे बनता जा रहा है लोगों को पता भी है की ऐसी दुर्घटनाओं में रेल प्रशासन संबंधित व्यक्ति के परिवार को किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं देती फिर भी लोग रेलवे को टारगेट करते हैं आपको बता दें की कटकर रेल दुर्घटना होने के बाद अनेक प्रकार की फॉर्मेलिटी पोस्टमार्टम होने के उपरांत ही संबंधित दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के शव को उनके परिवार को सौंपा जाता इस प्रक्रिया में एक बहुत बड़ा समय लग जाता है इस प्रक्रिया में संबंधित रेल कर्मचारियों के साथ व्यक्ति के परिवारिक सदस्यों को जो पीड़ा एवं तनाव झेलना पड़ता है उसकी कल्पना करना असंभव है जीवन जैसी अमूल्य निधि की महत्ता को समझते हुए रेल प्रशासन एवं रेल कर्मचारियों द्वारा विशेष प्रयास किए जाते हैं कि किसी भी प्रकार की दुर्घटनाएं ना घटित हो जिससे जेल प्रशासन पर एवं कर्मचारियों पर किसी भी प्रकार का दाग लगे भारतीय रेल द्वारा समय-समय पर लोगों को अनेक प्रकार से जागरूक किया जाता है की जितना हो सके रेल लाइन से  दूर  रहे एवं ट्रैक को पार करते हुए किसी प्रकार के मोबाइल एवं गैजेट का प्रयोग ना करें एवं  मोबाइल फोन से वीडियो फोटो खींचने के लिए अपने जीवन को जोखिम में ना डालें वाहन को गेट बंद होने के बाद जबरदस्ती  रेल लाइन से निकालने की कोशिश ना करें जैसे अनेक प्रकार के कारण जो दुर्घटना का कारण बनते हैं रेल प्रशासन एक मोटी राशि खर्च कर लोगों को जागरूक करने का कार्य करती है उसके बाद भी इस प्रकार की दुर्घटनाएं कहीं ना कहीं लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त ना होने का कारण हो सकती है जीवन अमूल्य है जीवन का मूल्य उनसे पूछिए जो एक किडनी एक आंख बिना हाथ पैर गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर एक-एक दिन ईश्वर से दया के रूप में मांगते हैं फिर क्यों व्यक्ति छोटी-छोटी मानसिक समस्याओं एवं लापरवाही मैं जीवन को दांव पर लगा देते कुछ गलतियां ऐसी होती हैं जिन्हें माफ करना भगवान के लिए भी असंभव हो जाता है रेल  से दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद बचने वाले लोगों का हाल भी बहुत बुरा हो जाता है इसीलिए सभी  छोटे बड़े भाई बहन एवं अन्य समस्याओं से ग्रसित लोगों से निवेदन है जीवन में भगवान ने भी संघर्ष  किया हम तो मात्र इंसान हैं मनुष्य जीवन का नाम ही संघर्ष होता है सभी के जीवन में संघर्ष आता है एवं दुख के बादल छठते भी हैं अच्छे समय का इंतजार कीजिए आत्म संतोष रखिए आज नहीं तो कल आप जीवन में जरुर सफल होंगे असफलता ही सफलता की कुंजी होती है खुश रहे अपने एवं अपने परिवार का ख्याल रखें सुरक्षित रहें संरक्षित रहें

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

1857 की क्रांति की प्रथम दीपशिखा रानी लक्ष्मीबाई जन्मदिन विशेष

देश में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति की प्रमुख  लीडर महारानी  लक्ष्मीबाई जी का जन्म आज पूरे विश्व भर में मनाया जा रहा है वीरता ऐश्वर्या नेतृत्व क्षमता परिवारिक संरक्षण घुड़सवारी युद्ध कौशल जैसे अनेक क्षमताओं से दक्ष महारानी लक्ष्मी बाई देवता का पर्याय मानी जाती थी लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति के माध्यम से देश की अनेकों रियासतों को अंग्रेजी शासन में शामिल करने के लिए किए गए कुचक्र के विरोध में रानी लक्ष्मीबाई द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंक कर देशभर में फैली अंग्रेजों के प्रति धधकती ज्वाला को तीव्र किया था एवं अनेक क्रांतिकारी गुटों का नेतृत्व कर कर विश्व भर के  देशों का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित कराया था रानी लक्ष्मीबाई देश के लिए लड़ते लड़ते अपनी जान निछावर कर गई महारानी लक्ष्मी बाई जी के जन्मदिन पर हम सभी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं रानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर महान कवित्री सुमित्रा कुमारी चौहान जी द्वारा लिखित  विश्व प्रसिद्ध कविता                                                         सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,

बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।

महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में।

चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।

निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।

अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।

रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा,कर्नाटक की कौन बिसात?
जब कि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।

बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

रानी रोयीं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
'नागपुर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।

यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।

हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर,पटना ने भारी धूम मचाई थी,

जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।

लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वंद असमानों में।

ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।

अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।

पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।

घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,

दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।

तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

जीने के लिए भोजन जरूरी है पैसा ही सब कुछ नहीं होता



भागदौड़ भरी जिंदगी में रुकना मना है पैसा है परिवार है इज्जत है सम्मान फिर भी कभी-कभी हम भूखे रह जाते ऐसी ही जिंदगी है कुछ देश की कठिन नौकरियों की जिनमें देश की सरहद पर रक्षा करने वाला फौजी रेल में दिन-रात सर्दी गर्मी कोहरा सब  का डटकर मुकाबला करने वाले रेल के कर्मचारी लोको पायलट एवं गार्ड अनेकों सरकारी एवं गैर सरकारी कंपनियों के कर्मचारी  जोकि भागते दौड़ते अपनी मंजिल  पर पहुंचने की आपाधापी मैं भूखे रह जाते हैं उन्हीं को भोजन डिलीवरी करते हुए बनाई गई कुछ सेकेंड की वीडियो  देखकर  सच में  आंसू आ जाएंगे वैसे तो देश में अनेकों विभाग एवं ऑफिस  विपरीत परिस्थितियों में कठिन एवं भागदौड़ भरा कार्य करते हैं उनमें से एक है भारतीय रेलवे कर्मचारी उनकी जागरूकता एवं सतर्कता से ही देश की लाइफलाइन भारतीय रेलवे दिन रात निरंतर चलती रहती है सबसे ज्यादा समस्या लर्निंग कर्मचारी को होती है ड्यूटी पर आने पर किसी प्रकार का कोई टाइम टेबल नहीं होता जिसमें मालगाड़ी की वर्किंग बड़ी ही कठिन होती है ड्यूटी आने के मात्र 2 घंटे पहले पता चलता है की आज कहां जाएंगे उसके बाद शुरू होता है उनका झटपट तैयार होकर नित्य क्रिया से निर्मित होकर अपने पूरे काम कर बैग में राशन पानी भर के दौड़ कर दो घंटे के अंदर ड्यूटी ऑन करनी पड़ती है रेलवे से संबंधित औजार किताबें पानी खाना कपड़े आदि से भरकर पूरा बैग फुल हो जाता है अगर किसी कारण बस घर पर खाने का इंतजाम नहीं हो पाया उस दिन भगवान भरोसे ही इनकी नौकरी चलती है मुंबई के डिब्बे वाले पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है जो कि मुंबई के अधिकतर ऑफिसों में खाना पहुंचाते हैं और लोगों को खाने के इंतजाम से पूरी तरह से टेंशन फ्री रखते हैं लेकिन देशभर में ऐसी व्यवस्था नहीं है लेकिन वर्तमान में जिस तरह से स्टार्टअप की वजह से शहरी क्षेत्रों में ओला जोमैटो जैसे सुविधा जनक संसाधन उपलब्ध होने से कहीं ना कहीं लोको पायलट  एवं गार्ड जैसी विपरीत परिस्थितियों वाली  नौकरियों में कहीं ना कहीं राहत मिली है किसी कारण बस खाना उपलब्ध ना होने के कारण पहले से ही संबंधित स्थान पर ऑर्डर बुक करा दिया जाता है तारीफ के काबिल है वह डिलीवरी ब्वॉय जो अपने कार्य में सक्रियता दिखा कर कहीं ना कहीं अपनी कंपनी एवं मानवीय कार्य को मजबूत बनाते हैं जोमैटो  जैसी कंपनियों में कार्य करके डिलीवरी करने वाले यह कर्मचारी जोकि कई लोगों के द्वारा धर्म और जाति का ईशु बनाकर बखेड़ा खड़ा कर देने से दुविधा में पड़ जाते हैं कहीं ना कहीं ऐसे अनेक लोगों के पास मुंह का निवाला लेकर पहुंच जाते हैं जिनके पास सब कुछ है पैसे इज्जत शोहरत सब कुछ लेकिन उनके पास उनका  किसी कारण बस भूखे रहने की  स्थिति  या मनपसंद खाना बनाने बनाने वाले एवं पहुंचाने वाले शायद पैसों की लिए कहीं दौड़ लगा रहे हैं कई ऐसे परिवार हैं जिनकी कई मंजिलों के ऊपर रिटायर्ड हो चुके जिनके  बुजुर्ग मां बाप के लिए यह डिलीवरी बॉय उनके  परिवार से भी बढ़कर है एक बात हमेशा ध्यान रखिए इंसान हमेशा भोजन खाता है ना कि पैसे जीवन के लिए पैसा ही सब कुछ नहीं होता कृपया भागदौड़ भरी जिंदगी में अपना एवं अपने परिवार का ख्याल रखें 

सोमवार, 4 नवंबर 2019

छठ का त्यौहार हिमालय स्वर्ग या स्विजरलैंड नहीं यह हमारी राजधानी दिल्ली की यमुना नदी है

सूर्य की उपासना का प्रमुख त्योहार छठ जो कि पूरे विश्व में पूर्वांचल एवं बिहार के लोगों द्वारा मनाया जा  रहा है साल दर साल बढ़ती इस पवित्र त्यौहार की लोकप्रियता को देखकर बड़ा ही आश्चर्य होता है प्रकृति के साथ जुड़ाव एवं अपनी मूल जड़ों की ओर लौटने वाला अपनी संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए प्रत्येक वर्ष दीपावली  के बात छठे दिन मनाए जाने वाली प्राकृतिक उपासना पर्व पर डूबते हुए सूर्य की उपासना की जाती है इस पर्व पर विश्व भर में फैले बिहार एवं पूर्वांचल छत्तीसगढ़ झारखंड जैसे अनेक उत्तर भारतीय क्षेत्रों के राज्यों में निवास करने वाले लोग अपने घरों में लौटते हैं एवं अपने परिवार के साथ इस पवित्र त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं यह त्योहार वर्तमान नव पीढ़ी को प्रकृति के साथ जोड़ने एवं अपनी मूल जड़ों की ओर वापस लौटने का संदेश देता है आधुनिक हो चली दुनिया में शहरों में नदी तालाबों का हाल बद से बदतर होता जा रहा है
आने वाले भविष्य में बस किताबों में नदियां तालाब दिखाए जाएंगे पूरे विश्व भर में मनाए जा रहे इस त्योहार की तस्वीरें न्यूज़ चैनल एवं सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर में छाई हुई थी उसी बीच कुछ तस्वीरें दिल्ली के यमुना नदी से सूर्य उपासना करती महिलाओं की  तस्वीरें आनी चालू  हुई
लोग आश्चर्यचकित रह गए प्रथम दृष्टया स्वर्ग जैसी एवं  पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव  एवं पृथ्वी के स्वर्ग  स्विजरलैंड कश्मीर की भांति दिखने वाली यमुना नदी पर प्रदूषण से बने झाग कहीं ना कहीं रेगिस्तान में बनने वाले मृग मारीच जैसी अनुभूति लाने के लिए पर्याप्त  थे देश की प्रमुख नदियों में शुमार यमुना नदी जोकि भगवान श्री कृष्ण के कर्म स्थली एवं पांडवों की राजधानी के किनारे से बहने वाली प्रमुख नदी थी इस नदी का वर्तमान में यह आलम है कि यह मात्र एक बदबूदार नाला बन कर रह गई है जिसमें सैकड़ों की संख्या में कारखानों एवं  सीवर का पानी जमा हो रहा है जो कि वर्तमान  एवं आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ा ही घातक सिद्ध होगा पूर्वांचल के लोगों द्वारा मनाया गया जाने वाला छठ का त्यौहार हम सभी मानव जाति को प्रकृति के इस पवित्र रूप नदियों एवं तालाबों की दुर्दशा को दिखला गया है एवं एक संदेश भी दे गया है कि आने वाले समय में देश एवं दुनिया के लिए बड़ा ही कठिन होने वाला है छठ का उपवास रहने वाली महिलाओं को इन बदबूदार नदी तालाबों में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते हुए देखना दिल को अंदर तक झकझोर देने वाला सीन था

जहां एक और स्वर्ग एवं बर्फीले क्षेत्र की अनुभूति देने वाली इस नदी के झाग में तमाम युवा सेल्फी लेकर आनंद ले कर टिक टॉक फेसबुक इंस्टाग्राम के लिए कलेक्शन बना रहे थे वही कुछ दार्शनिक एवं प्राकृतिक प्रेमी आने वाले भविष्य को देखकर व्यथित एवं चिंतित थे अनेक प्रकार के दिशा निर्देश एवं कार्य योजना बनने के बाद कई हजार करोड़ रुपए खर्च कर देने के उपरांत भी देश की नदी तालाबों की हालत बद से बदतर होती चली जा रही है जहां  देश में बढ़ गई भयंकर जनसंख्या एवं कम होते प्राकृतिक संसाधनों से लोगों  के जीवन को कठिन बना दिया है  विश्व की प्रमुख संस्थाएं इस भीषण समस्या से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही हैं वही हमारे देश में नदी  तालाबों कुओं के उत्थान एवं हालात को सुधारने के लिए होने वाले बजट में कमी की जा रही है जिसमें एक कारण सबसे अधिक भ्रष्टाचार का है विश्व की सबसे प्रमुख एवं पवित्र नदी गंगा के हालात सुधारने के लिए एक मोटा बजट जल संसाधन मंत्रालय को दिया गया था अनेक प्रमुख एजेंसी एवं विशेषज्ञों को गंगा उत्थान के लिए लगाया गया था सभी नदियों के बजट को अनदेखा कर गंगा के उत्थान में जितना बजट लगाया गया था उससे भी गंगा नदी के हालात जस के तस बने हुए हैं हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर छठ जैसे पवित्र त्योहारों को भारत सरकार द्वारा मान्यता देनी चाहिए जिससे हमें भविष्य में इन प्राकृतिक स्त्रोतों को बेहतर एवं संभालने के लिए एक प्रेरणा मिल सके

अनेक संपन्न परिवार के लोगों द्वारा अपने घरों के पास ही गड्ढे खोदकर नदी एवं तालाबों का रूप देकर परिवार की महिलाओं को छठ के पवित्र त्यौहार पर सूर्य की उपासना करने के लिए विशेष प्रयास कराएं आने वाले समय में नदी एवं तालाबों की नाला बन  चुके हैं उनके पास भी खड़ा होना भी मुश्किल हो जाएगा पैर रखने की तो बात ही छोड़िए  आपको बता दें कि दिल्ली के यमुना के आसपास इसी नदी के पानी से अनेक प्रकार की सब्जियां एवं फल उगाए जाते हैं जो कि पूरे दिल्ली एवं एनसीआर क्षेत्र में धड़ल्ले से बेचे जाते हैं इस सब्जी एवं फलों में कहीं ना कहीं नदी में फैला घातक केमिकल एवं रसायन खाने के माध्यम से  हमारे शरीर में पहुंचकर हमारी आने वाली पीढ़ी को कमजोर करने का कार्य कर रही है जिसके भविष्य में बेहद घातक दुष्परिणाम सामने आएंगे केंद्र एवं राज्य सरकार एवं आम लोगों के साथ देश में सामाजिक कार्य कर रहे अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी स्वयं सहायता समूह एवं संगठन युवा पीढ़ी जो कि मात्र सोशल मीडिया में खोई हुई है यह सब मिलकर विश्व स्तरीय कार्य योजना बनाकर देश की जीवनधारा नदियों को अपने मूल स्थिति में लाने के लिए प्रयास करें जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी अपनी आंखों से नदी तालाबों को देख सकें🎯🕊✍😢😢😢☠

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

ओरछा सत्तार एक्सीडेंट की वीडियो देशभर में वायरल मध्यप्रदेश मना रहा है स्थापना दिवस

आज भारत  का प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस मनाया गया भारत के मध्य में स्थित होने के कारण इसका नाम मध्य प्रदेश रखा गया था पूर्व में इसके साथ छत्तीसगढ़ भी जुड़ा हुआ था लेकिन बाद में यह एक अलग राज्य बन गए मध्यप्रदेश बीमारू राज्य हुआ करता था लेकिन इसने अपने सीमित संसाधनों के बल पर एक संपन्न राज्य बनने का गौरव प्राप्त कर लिया मध्यप्रदेश में सांची के बौद्ध स्तूप खजुराहो का कजारिया महादेव मंदिर समूह पचमढ़ी जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल है इस राज्य में बहने वाली नर्मदा बेतवा जामनी जैसी नदियां हैं
यहां सबसे अधिक तिलहन की पैदावार होती है जहां एक ओर पूरा मध्य प्रदेश अपने स्थापना दिवस को मना रहा था वही कुछ दिन पूर्व मध्य प्रदेश के ओरछा पर्यटन स्थल के पास सत्तार नाम के स्थान जहां  चंद्रशेखर आजाद द्वारा  अंग्रेजों से छुपकर  आजादी के लिए विशेष  संघर्ष छेड़ा हुआ था  उसी स्थान पर  छोटी एवं सकरी पुलिया पर हुए टेंपो एवं मारुति कार के एक्सीडेंट का वीडियो पूरे देश में वायरल हो रहा था जिसमें मारुति वाहन चालक की गाड़ी अन्य गाड़ी से टकराती हुई पुल के नीचे गहरे पानी में डूबने लगी गाड़ी में बैठकर यात्रा कर रहे परिवार एवं कुछ  माही के बच्चे को बचाने के लिए लोगों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी आपको बता दें ओरछा के पास बेतवा पर बने हुए पुल एवं जामनी नदी पर बने हुए पलों को प्राचीन एवं छोटे सक्रिय होने के कारण बरसात के समय 4 माह के लिए परमानेंट बंद कर दिया जाता है एवं सकरी छोटी पुल के ऊपर हमेशा जाम लगा रहता है देश आजाद होने के 70 वर्षों बाद मध्य प्रदेश में स्थित यह बुंदेलखंड का प्रमुख पर्यटन स्थल जहां  भगवान श्रीराम को राजा के रूप में  पूजा जाता है
प्राकृतिक सौंदर्य प्राचीन भव्य इमारतें  देखने के लिए  प्रत्येक वर्ष  हजारों की संख्या में देसी विदेशी पर्यटक आते हैं आज अपने बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा है देश आजाद होने के पूर्व अपनी संपन्नता के लिए पूरे देश विदेश मैं पहचाना जाता था यहां के राजाओं द्वारा झांसी टीकमगढ़  जैसे आसपास कई शहर एवं   कस्बा को बसाया और वहां के किलो का निर्माण कराया था  यहां की राजा वीर सिंह  मुगल सम्राट जहांगीर के परम मित्र थे उनके नाम पर जहांगीर महल ओरछा में बनाया था 
जहांगीर की दोस्ती निभाने के लिए उन्होंने अकबर के नवरत्न में से एक रतन  को हमेशा के लिए ऊपर पहुंचा दिया था ऐसा था यहां का राजनैतिक एवं संपन्नता का वैभव लेकिन आजादी के बाद यहां के विकास के लिए कितनी योजनाएं बनी थी वह पूरी तरह से लागू नहीं हो पाए राजा महाराजा  काल के  पुल सड़के एवं छोटे सकरी पुलिया से अब भी कार्य चलाया जा रहा है यहां पर राजनीति उद्योगपति एवं वीवीआईपी मूवमेंट हमेशा बना रहता है अनेक भारतीय फिल्मों की शूटिंग भी इस क्षेत्र में हो चुकी है
आध्यात्मिक नगरी होने के कारण तीज त्योहारों एवं पर्व पर यहां पर लाखों की संख्या में लोगों का आना आम बात लेकिन पुराने काल के पुल एवं छोटी सक्रिय सड़कें होने के कारण हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है जिससे बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पाठकों में ओरछा जैसे भगत एवं प्राकृतिक सौंदर्य युक्त ऐतिहासिक स्थान की छवि धूमिल होती है  देश में प्रमुख स्थान रखने वाला ओरछा  पर्यटन स्थल  जोकि  मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा पर बुंदेलखंड के क्षेत्र में स्थित है भारत सरकार एवं  उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश सरकार को  इस क्षेत्र के लिए एक विशेष कार्य योजना बनाकर कार्य कराना चाहिए जो कि भविष्य में यहां आने वाले देशी-विदेशी पाठकों के साथ आध्यात्मिक नगरी  के विकास के लिए नव निर्माण कार्य नींव का पत्थर बनकर उभरे यहां विकास की बहू मुखी योजनाएं सार्थक रूप से लागू हो जाए🎯✍🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏

विश्व की कुछ घटनाएं जो कि कुछ लोगों को पहले से ही पता चल जाती हैं जिनमे रूस में आया भूकंप भी

पूर्वानुमान, सपने और आध्यात्मिक दृष्टिकोण: एक सिमुलेटेड विश्व का रहस्य ...