सोमवार, 4 नवंबर 2019

छठ का त्यौहार हिमालय स्वर्ग या स्विजरलैंड नहीं यह हमारी राजधानी दिल्ली की यमुना नदी है

सूर्य की उपासना का प्रमुख त्योहार छठ जो कि पूरे विश्व में पूर्वांचल एवं बिहार के लोगों द्वारा मनाया जा  रहा है साल दर साल बढ़ती इस पवित्र त्यौहार की लोकप्रियता को देखकर बड़ा ही आश्चर्य होता है प्रकृति के साथ जुड़ाव एवं अपनी मूल जड़ों की ओर लौटने वाला अपनी संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए प्रत्येक वर्ष दीपावली  के बात छठे दिन मनाए जाने वाली प्राकृतिक उपासना पर्व पर डूबते हुए सूर्य की उपासना की जाती है इस पर्व पर विश्व भर में फैले बिहार एवं पूर्वांचल छत्तीसगढ़ झारखंड जैसे अनेक उत्तर भारतीय क्षेत्रों के राज्यों में निवास करने वाले लोग अपने घरों में लौटते हैं एवं अपने परिवार के साथ इस पवित्र त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं यह त्योहार वर्तमान नव पीढ़ी को प्रकृति के साथ जोड़ने एवं अपनी मूल जड़ों की ओर वापस लौटने का संदेश देता है आधुनिक हो चली दुनिया में शहरों में नदी तालाबों का हाल बद से बदतर होता जा रहा है
आने वाले भविष्य में बस किताबों में नदियां तालाब दिखाए जाएंगे पूरे विश्व भर में मनाए जा रहे इस त्योहार की तस्वीरें न्यूज़ चैनल एवं सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर में छाई हुई थी उसी बीच कुछ तस्वीरें दिल्ली के यमुना नदी से सूर्य उपासना करती महिलाओं की  तस्वीरें आनी चालू  हुई
लोग आश्चर्यचकित रह गए प्रथम दृष्टया स्वर्ग जैसी एवं  पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव  एवं पृथ्वी के स्वर्ग  स्विजरलैंड कश्मीर की भांति दिखने वाली यमुना नदी पर प्रदूषण से बने झाग कहीं ना कहीं रेगिस्तान में बनने वाले मृग मारीच जैसी अनुभूति लाने के लिए पर्याप्त  थे देश की प्रमुख नदियों में शुमार यमुना नदी जोकि भगवान श्री कृष्ण के कर्म स्थली एवं पांडवों की राजधानी के किनारे से बहने वाली प्रमुख नदी थी इस नदी का वर्तमान में यह आलम है कि यह मात्र एक बदबूदार नाला बन कर रह गई है जिसमें सैकड़ों की संख्या में कारखानों एवं  सीवर का पानी जमा हो रहा है जो कि वर्तमान  एवं आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ा ही घातक सिद्ध होगा पूर्वांचल के लोगों द्वारा मनाया गया जाने वाला छठ का त्यौहार हम सभी मानव जाति को प्रकृति के इस पवित्र रूप नदियों एवं तालाबों की दुर्दशा को दिखला गया है एवं एक संदेश भी दे गया है कि आने वाले समय में देश एवं दुनिया के लिए बड़ा ही कठिन होने वाला है छठ का उपवास रहने वाली महिलाओं को इन बदबूदार नदी तालाबों में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते हुए देखना दिल को अंदर तक झकझोर देने वाला सीन था

जहां एक और स्वर्ग एवं बर्फीले क्षेत्र की अनुभूति देने वाली इस नदी के झाग में तमाम युवा सेल्फी लेकर आनंद ले कर टिक टॉक फेसबुक इंस्टाग्राम के लिए कलेक्शन बना रहे थे वही कुछ दार्शनिक एवं प्राकृतिक प्रेमी आने वाले भविष्य को देखकर व्यथित एवं चिंतित थे अनेक प्रकार के दिशा निर्देश एवं कार्य योजना बनने के बाद कई हजार करोड़ रुपए खर्च कर देने के उपरांत भी देश की नदी तालाबों की हालत बद से बदतर होती चली जा रही है जहां  देश में बढ़ गई भयंकर जनसंख्या एवं कम होते प्राकृतिक संसाधनों से लोगों  के जीवन को कठिन बना दिया है  विश्व की प्रमुख संस्थाएं इस भीषण समस्या से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही हैं वही हमारे देश में नदी  तालाबों कुओं के उत्थान एवं हालात को सुधारने के लिए होने वाले बजट में कमी की जा रही है जिसमें एक कारण सबसे अधिक भ्रष्टाचार का है विश्व की सबसे प्रमुख एवं पवित्र नदी गंगा के हालात सुधारने के लिए एक मोटा बजट जल संसाधन मंत्रालय को दिया गया था अनेक प्रमुख एजेंसी एवं विशेषज्ञों को गंगा उत्थान के लिए लगाया गया था सभी नदियों के बजट को अनदेखा कर गंगा के उत्थान में जितना बजट लगाया गया था उससे भी गंगा नदी के हालात जस के तस बने हुए हैं हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर छठ जैसे पवित्र त्योहारों को भारत सरकार द्वारा मान्यता देनी चाहिए जिससे हमें भविष्य में इन प्राकृतिक स्त्रोतों को बेहतर एवं संभालने के लिए एक प्रेरणा मिल सके

अनेक संपन्न परिवार के लोगों द्वारा अपने घरों के पास ही गड्ढे खोदकर नदी एवं तालाबों का रूप देकर परिवार की महिलाओं को छठ के पवित्र त्यौहार पर सूर्य की उपासना करने के लिए विशेष प्रयास कराएं आने वाले समय में नदी एवं तालाबों की नाला बन  चुके हैं उनके पास भी खड़ा होना भी मुश्किल हो जाएगा पैर रखने की तो बात ही छोड़िए  आपको बता दें कि दिल्ली के यमुना के आसपास इसी नदी के पानी से अनेक प्रकार की सब्जियां एवं फल उगाए जाते हैं जो कि पूरे दिल्ली एवं एनसीआर क्षेत्र में धड़ल्ले से बेचे जाते हैं इस सब्जी एवं फलों में कहीं ना कहीं नदी में फैला घातक केमिकल एवं रसायन खाने के माध्यम से  हमारे शरीर में पहुंचकर हमारी आने वाली पीढ़ी को कमजोर करने का कार्य कर रही है जिसके भविष्य में बेहद घातक दुष्परिणाम सामने आएंगे केंद्र एवं राज्य सरकार एवं आम लोगों के साथ देश में सामाजिक कार्य कर रहे अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी स्वयं सहायता समूह एवं संगठन युवा पीढ़ी जो कि मात्र सोशल मीडिया में खोई हुई है यह सब मिलकर विश्व स्तरीय कार्य योजना बनाकर देश की जीवनधारा नदियों को अपने मूल स्थिति में लाने के लिए प्रयास करें जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी अपनी आंखों से नदी तालाबों को देख सकें🎯🕊✍😢😢😢☠

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