बुधवार, 26 जून 2019
वर्ल्ड कप के मैच देखकर जोश में आए विधायक जी चलाया बल्ला
रविवार, 23 जून 2019
अखिलेश से मोहभंग होने का कारण भाई भतीजावाद
पिछले 2 वर्ष से जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी एक होकर गोरखपुर और फूलपुर की लोकसभा सीटों को जीता उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन करके भाजपा को चुनौती देने का साहस किया था लेकिन वह गठबंधन किसी कारणवश सफल नहीं हो पाया लोकसभा चुनाव 2019 के बाद बाद देखा जा रहा था की समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी भविष्य में गठबंधन को जारी रखेंगे या गठबंधन को विराम लगेगा गठबंधन पर किसी प्रकार की टिप्पणी ना करने का समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने निर्णय लिया था पहले ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती द्वारा घोषणा की गई कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के रास्ते अलग होंगे भविष्य में बहुजन समाज पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी यह घोषणा अखिलेश यादव के लिए बड़ी ही दुखद थी क्योंकि उन्होंने अपने परिवार एवं पार्टी को ताक पर रखकर यह गठबंधन कर के धुर विरोधी पार्टी होने का दाग धोया था क्योंकि यह निर्णय दिमाग से नहीं दिल से लिया गया था इसलिए पूरी तरह से बीएसपी की शर्तों पर गठबंधन किया गया जिसका खामियाजा उन्हें लोकसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीटों के नुकसान से उठाना पड़ा वहीं दूसरी ओर गठबंधन का फायदा पूरी तरह से बहुजन समाज पार्टी को मिला जो 2014 के लोकसभा चुनाव में जीरो पर थी वर्तमान में 10 पर पहुंच गई मायावती द्वारा लिया गया अलग होने का निर्णय राजनीतिक पंडितों के लिए आश्चर्य का विषय नहीं है क्योंकि पूर्व में ऐसी चौकानेवाले निर्णय बहन जी ले चुकी है वही बीएसपी की रणनीति पूरी तरह से अखिलेश की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमने लगी थी क्योंकि अखिलेश का लचीला राजनीति करने का तरीका कहीं दलितों को अपनी ओर ना खींच ले क्योंकि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया की राजनीतिक विरासत को संभालने वाला वर्तमान में कोई भी मजबूत राजनीतिक व्यक्ति नहीं दिखाई दे रहा था वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव एक कुशल राजनेता और प्रशासक के रूप में अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित कर चुके हैं इसी को देखते हुए अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाकर बहुजन समाज पार्टी अपने ही परिवार से राजनैतिक दावेदार को आगे करना चाहती थी इसीलिए यह गठबंधन को यहीं पर विराम देने का कार्य बहुजन समाज पार्टी की मुखिया द्वारा करके अपने ही परिवार के अपने भाई आनंद कुमार को बहुजन समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं अपने भतीजे आकाश को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाकर अपनी भविष्य की विरासत सौंपने का मार्ग बना लिया है यह निर्णय बहुजन समाज पार्टी की आम मिसीनरी कार्यकर्ता किस तरीके से लेते हैं यह तो भविष्य बताएगा लेकिन इन सभी मायावती जी के निर्णय से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को झटका लगा है जो बहुजन समाज पार्टी की विरासत को संभालने का सपना देखने लगे थे बहुत हद तक अपनी रणनीति में सफल भी हुए थे मायावती जी के चिर परिचित अंदाज को कुछ हद तक रोकने में सफल भी हुए थे लेकिन एक निर्णय बदलने में नाकाम हुए वह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने का जिसका खामियाजा कुछ हद तक गठबंधन को हुआ भी बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो की कार्य करने कि शैली जिससे लोगों को हमेशा आशंका बनी रहती है की बहन जी कब किस से नाराज हो जाए यह खुद बहन जी को भी पता नहीं होता क्योंकि बहुजन समाज पार्टी की शुरुआत से लेकर अब तक अनेक पार्टी लीडरों को मायावती जी के गुस्से का शिकार होना पड़ा है बड़े से बड़े पार्टी के लीडर कब अर्श से फर्श पर आ जाए यह उन्हें खुद भी पता नहीं होता है लेकिन वर्तमान में बात भाई भतीजा बात की है इन पर मायावती जी की कृपा दृष्टि कब तक बनी रहती है यह तो भविष्य आने वाला भविष्य ही बताएगा
शुक्रवार, 21 जून 2019
योग को योग रहने दें सर्कस मत बनने दें
आज पूरे विश्व में विश्व योग दिवस मनाया गया साथियों योग अकेला सर्कस नहीं है यह हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति के ऋषि मुनियों के घोर अनुसंधान से अर्जित की हुई वह निधि है जिसके द्वारा एक साधारण मनुष्य महामानव बन सकता है योग में अकेला हाथ पैर हिलाने से योग पूर्ण नहीं हो जाता योग अनेकों युक्तियों से बना पर पूर्ण एक सिस्टम है जिसमें यम नियम आसन प्राणायाम ध्यान समाधि होते हुए व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है वर्तमान में जिस प्रकार से योग का मजाक बनाया जा रहा है वह आने वाले समय में बड़ा ही घातक होगा हां यह अवश्य है कि लोग लाभ लेने से अधिक दिखावा करने में विश्वास कर रहे हैं 1 दिन करने से लाभ की आशा करना बेकार है योग एक निरंतर प्रक्रिया है जो हमें अनेक बरसो करने के बाद चमत्कारिक परिणाम देती है योग की शुरुआत प्राचीन ऋषि पतंजलि द्वारा की गई थी आसन वह प्रक्रिया है जो हमारे संसार में विभिन्न प्रजातियों के जीव जंतुओं द्वारा अपनाई हुई बैठने की प्रक्रिया होती है उसी के लाभ अनुसार हम लोग उन आसन को कॉपी करके लाभ लेने का प्रयास करते हैं योगासन प्राचीन काल से ही लोगों की दुख तकलीफों को दूर करता चला आ रहा है लेकिन कुछ वर्षों में इसका प्रचार प्रसार कर के अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसका व्यवसायीकरण करके करोड़ों अरबों रुपए का व्यवसाय कर चुके हैं फायदा मिला ना मिला यह तो अनुसंधान का विषय है असली योग का फायदा आपको लेना है तो आपको हिमालय जैसे क्षेत्रों में जाकर वहां पर अनेकों वर्षों से इस पर अनुसंधान कर रहे ऋषि मुनियों का सानिध्य लेना पड़ेगा जो आपको अपने अनुभव खानपान जीवन शैली से पूर्ण योग से अवगत कराएंगे
सोमवार, 10 जून 2019
जय श्री राम या जय भीम सोच समझ कर लिखिए
🕊🕊🌱पूरे देश की भाति रेलबे मे भी sc और जनरल के लोगो का शीतवार मूक रूप से देखा जा सकता है लेकिन इसके गबाह सिर्फ लोको पायलट एबं लोको से सम्बधित कर्मचारी होते है क्योकि यह लडाई रेल इन्जन के अन्दर की है जहा बाबा साहेब भीमराब अम्बेडकर जी मे बिश्वास रखने बाले कर्मचारी रेल इन्जन मे जय भीम लिखते है बही दूसरी तरफ भगबान राम मे आस्था रखने बाले कर्मचारी जय श्री राम लिखते है लिखना उतना महत्वपूर्ण नही जितना एक दूसरे का लिखा हुए बाक्यो को मिटाकर लिखना है ऐसे लिखे हुए बाक्य अधिकतर रेल इन्जनो के अन्दर लिखे देखे जा सकते है अब सबाल उठता है कि क्या रेल प्रशासान ऐसे किसी भी बाक्य को लिखने की अनुमति देता है जबाब होगा नही क्योकि रेल इन्जन राष्ट्र सम्पति है सरकार इससे रेल कार्य संचालित कराने के लिए कर्मचारियो को मानदेय देती है इस लिए इस पर कार्य करने बाले कर्मचारी को बिभिन्य धर्मो जातियो मजहब और महापुरषो मे आस्था का ध्यान रखते हुए कार्य करना चाहिए एवं कर्मचारी होने के कारण राज्य कर्म का पालन करना महत्बपूर्ण है । पुरषोत्तम भगबान श्री राम एवं भारत रत्न बाबा साहेब भीमराब अम्बेडकर किसी बाक्य के मोहताज नही है महापुरषो के लिए आस्था लोगो के दिलो मे होती है न कि किसी बाक्य के लिखने पढने से निबेदन है उन शिक्षित कर्मचारियो से जो ऐसे बाक्य लिखकर उन लोगो को मौका देते है जो लिखे बाक्य को मिटाकर महापुरषो का अपमान करते है कृपा करके यह लेखन कार्य न करे न ही किसी को करने दे ।
शनिवार, 8 जून 2019
बड़े मंगल पर पूरे लखनऊ में कोई भी भूखे पेट नहीं सोता
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