शनिवार, 30 मई 2020

हिंदी पत्रकारिता संविधान का चौथा स्तंभ या सत्ता पक्ष विपक्ष एवं चंद उद्योगपतियों की व्यवसायिक दुकान

🎭आज 🖋️पत्रकारिता दिवस है लेकिन वर्तमान में देश में अधिकतर पत्रकार  सत्तापक्ष एवं विपक्ष की गोद मैं बैठकर कहीं ना कहीं इस पवित्र पेशे को बदनाम कर  रहे हैं कभी पत्रकार फटे हाल हुआ करते थे आज बड़े-बड़े ऑफिस लंबी चौड़ी गाड़ियां थानों की दलाली विभागों में कमीशन यह सब पत्रकारों के मुख्य कार्य बन चुके हैं पूर्व में पत्रकारिता का मुख्य कार्य उन बेजुबान लोगों की आवाज बन कर शासन-प्रशासन सत्ता में बैठे हुए अंधे बहरे हो चुके सिस्टम को झकझोर कर उसे याद दिलाना कि संविधान का चौथा स्तंभ मीडिया अभी जिंदा है लेकिन समय का ऐसा चक्र घुमा चंद उद्योगपतियों की घर के चौखट को चूमना ही पत्रकारिता बनता जा रहा है पत्रकार भी क्या करें कहीं ना कहीं व्यवसाय लोग इस पवित्र पेशे में कूद गए जो शाम दंड भेद सभी अपनाकर वही शब्द लेखनी एवं मुंह में डालते हैं जिससे उन्हें एवं उनके आकाओं को फायदा हो साथियों पानी के बहाव में तो लाशें  बहा करती हैं असली बहादुर वह है जब विपरीत दिशा में चल कर लोगों की दबी आवाज को आंधी बनाकर संविधान के चौथे स्तंभ को मजबूत बनाएं

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