रविवार, 12 सितंबर 2021
बरुआसागर का ऐतिहासिक झरना तालाब हुआ ओवरफ्लो कल कल करते हुए बहने लगा झरना
बुंदेलखंड के झांसी जिले से 20 किलोमीटर दूर बरुआसागर में स्थित चंदेल कालीन ऐतिहासिक स्वर्ग आश्रम झरना तालाब जो कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता एवं धार्मिक आस्था के लिए पूरे बुंदेलखंड में बुंदेलखंड के शिमला के रूप में पहचान रखता है जहां के दिव्य संत स्वामी शरणानंद जी एक उच्च कोटि के संत थे बरुआ सागर तालाब से झरने वाला झरना बहुत ही प्रसिद्ध है यहां पर दूर-दूर से देशी एवं विदेशी पर्यटक बरसात के मौसम में झरना देखने के लिए आते हैं कुछ वर्षों से तालाब पूर्ण रूप से ना भर पाने के कारण स्वर्ग आश्रम झरना के प्राकृतिक सौंदर्य एवं झरने वाले कल कल करते झरने पर अठखेलियां करने का लोगों को आनंद नहीं मिल पा रहा था लेकिन कुछ वर्ष पूर्व हुई अत्यधिक बारिश से जहां पिछले वर्षों में लाखों की संख्या में सैलानी बरुआसागर झरने पर आए लेकिन इस बार तालाब के समय से ना भर पाने के कारण अभी तक पर्यटक तालाब के ओवरफ्लो होने के इंतजार में थे लेकिन लोगों की इंतजार की घड़ियां गणेश महोत्सव की शुरुआत होते ही खत्म हो चुकी हैं बरुआसागर का इतिहासिक झरना तालाब पूरी तरह से भर चुका है अब यह ओवरफ्लो होकर पूर्ण रूप से झरना चालू हो गया है
सोमवार, 14 जून 2021
विश्व रक्तदान दिवस पर 100 बी बार किया रक्तदान देश के हर युवा के लिए विशेष प्रेरणा स्त्रोत निशांत साहू (गगन)
अपने लिए जिया तो क्या जिया कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखो
कोरोनावायरस महामारी काल में जब लोगों के अपनों ने साथ छोड़ दिया तो तब समाज के ऐसे महान लोग सामने आए जिन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुए भी लोगो की जान बचाने के लिए बिना किसी स्वार्थ के तन मन धन से मदद की उन्हीं में से एक युवा जो बिना किसी पुरस्कार एवं प्रशंसा की लोगों की मदद करता रहा और बरसों से कर भी रहा है
युवा ब्लड डोनर एवं समाजसेवी निशांत साहू गगन
प्रत्येक 14 जून को विश्व में रक्तदान दिवस मनाया जाता है जिसमें लोगों को अधिक से अधिक रक्तदान करने के लिए जागृत किया जाता है सच में जरूरतमंदों को रक्तदान सबसे बढ़ा महादान होता है यह दान धर्म जाति मजहब से परे सिर्फ इंसानियत को देखता है रक्त की अहमियत वह व्यक्ति जानता है 
जिसका कोई अपना परिवार का सदस्य रक्त के बिना जिंदगी और मौत से जूझ रहा होता है हमारे देश में लाखों लोग रक्त की कमी की वजह से समय से पहले मृत्यु को गले लगा लेते हैं आज हमारा देश इतना आधुनिक होने के बाद भी लोगों को रक्तदान के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक नहीं कर पा रहा है
वर्तमान में भी में रक्तदान के प्रति लोगों में कई भ्रांतियां फैली हुई है लोग रक्तदान करने से डरते हैं जबकि सभी को पता स्वस्थ मनुष्य 5 से 6 लीटर तक होता है रक्त नियमित रूप से शरीर में बनता रहता है आपके नजदीक कुछ तो ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी लोग मिल जाएंगे जो जीवन में अनेकों बार रक्तदान कर चुके हैं और अकाल मृत्यु से लोगों की जान बचा चुके हैं
ऐसे ही एक बहुमुखी प्रतिभा का धनी युवा निशांत साहू गगन जो कि देश भर के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत की तरह है अनेक समाजसेवी उनकी
साधारण और शालीनता भरी उसकी कार्यशैली से काफी प्रभावित है

देश के हृदय बुंदेलखंड के झांसी जिले के छोटे से कस्बे बरुआसागर के निवासी गगन साहू जो कि इलाहाबाद में अपने अध्ययन काल में साथ की पढ़ने वाली छात्रा को माइग्रेन अटैक आने पर उसे स्वेच्छा से प्रथम बार रक्तदान किया इसके बाद अब तक मात्र 29 साल की छोटी सी उम्र में 100 बार रक्तदान कर चुके एवं क्षेत्र के युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत वन कर युवाओं के द्वारा 500 से अधिक बार रक्तदान करवा चुके है इनका यह सामाजिक कार्य पूरे क्षेत्र में सराहा जा रहा है
गगन साहू को समाजसेवा अपने परिवार से विरासत में मिली हुई इनके पिता हरी राम साहू नगर के प्रतिष्ठित संगीतकार चित्रकार एवं बहु मुखी प्रतिभा के धनी यह पूर्व में राष्ट्रीय युवा योजना से लेकर अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़कर राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक कार्य कर चुके हैं गगन साहू वर्तमान में सिविल सर्विसेज की तैयारी एवं घर के व्यवसाय में हाथ बटाने के साथ ही सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं गगन साहू देश के अनेक हिस्सों में जाकर रक्तदान कर चुके हैं वहीं क्षेत्रीय स्तर पर इनकी विशेष युवाओं की रक्तदाता टीम है

जोकि जरूरतमंद लोगों को रक्त एवं रक्त दाता मुहैया कराती है गगन की टीम के अनेकों सदस्य ऐसे हैं जो अनेकों बार रक्तदान कर चुके हैं एवं उनकी टीम प्रत्येक बल गणेश महोत्सव के अवसर पर एक विशाल रक्तदान शिविर जिला चिकित्सा अधिकारी के संरक्षण एवं सहयोग से आयोजित कराते हैं जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग रक्तदान करते हैं एवं लोगों से रक्तदान करने के लिए जागरूक एवं अपील करते हैं इस पुनीत कार्य के लिए गगन साहू एवं उनकी टीम झांसी
जिला अधिकारी झांसी जिला चिकित्सा अधिकारी से लेकर अनेक राजनैतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों द्वारा सम्मानित हो चुकी है
जोकि जरूरतमंद लोगों को रक्त एवं रक्त दाता मुहैया कराती है गगन की टीम के अनेकों सदस्य ऐसे हैं जो अनेकों बार रक्तदान कर चुके हैं एवं उनकी टीम प्रत्येक बल गणेश महोत्सव के अवसर पर एक विशाल रक्तदान शिविर जिला चिकित्सा अधिकारी के संरक्षण एवं सहयोग से आयोजित कराते हैं जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग रक्तदान करते हैं एवं लोगों से रक्तदान करने के लिए जागरूक एवं अपील करते हैं इस पुनीत कार्य के लिए गगन साहू एवं उनकी टीम झांसी
जहां एक और लोगों में रक्तदान के प्रति अनेक भ्रांतियां एवं भय रहता है वही गगन एवं गगन साहू की टीम के सदस्य बस एक फोन का इंतजार करते हैं कि किस जरूरतमंद का फोन आए और हम उसे रक्तदाता उपलब्ध कराएं सच में हर कोई चाहता है कि गगन जैसे लोग समाज मैं लोगों के लिए प्रेरणा बने एवं सभी लोग आगे आकर इस प्रकार की पुनीत कार्य करके अपना जीवन सार्थक बनाएं दुनिया में हर कोई महान बन सकता है लेकिन उसके लिए गगन साहू जैसे ईमानदारी के साथ लग्न और दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए क्योंकि वर्तमान में
जिस प्रकार से युवा नशाखोरी हवा हवाई जीवन शैली सोशल मीडिया तक सीमित रह कर राजनीतिक पार्टियों के लीडरों की जय जयकार एवं गालियां देकर अपना समय बर्बाद करता है वही दूसरी ओर असली देश सेवा एवं समाज सेवा गगन जैसे लोग करते हैं एवं अपने जीवन को सार्थक बना लेते हैं निशांत साहू गगन अनेक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं लेकिन आज भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा पुरस्कार ना मिलने पर स्थानीय लोगों में आश्चर्य है
जब कोरोनावायरस महामारी काल में काम करने वाले लोगों को पुरस्कृत किया जा रहा था तो गगन जैसे अनेक युवा प्रथम पंक्ति के काबिल थे लेकिन अंतिम कतार में भी नजर नहीं आ रहे थे जो समाज के सिस्टम पर सवाल उठाता ऐसे लोगों को प्रोत्साहन मिलना बेहद जरूरी है गगन के सराहनीय कार्य पर हम सभी उन्हें दिल से सलाम करते हैं🙏💐🎉🎉✍️awaj
गुरुवार, 3 जून 2021
विश्व साइकिल दिवस पर वो साइकिल और बचपन की यादें जो शायद कभी लौट कर ना आए
#विश्व_साइकिल_दिवस
हर किसी के बचपन का जुड़ाव साइकिल से किसी ना किसी रूप में जरूर रहा होगा बचपन के उन दिनों की याद जरूर आ जाती है जब साइकिल एक रुपए पर घंटे किराए पर मिला करती थी चला पाए या ना चला पाए वह अलग बात थी क्योंकि आसपास ऐसे दोस्त भी हुआ करते थे कि जो सिखाने के बहाने खुद मजे लूटते थे 1 घंटे के लिए मिलने वाली साइकिल में ज्यादातर समय चैन चढ़ाने और हवा भरने में ही निकल जाता था
यदि सब कुछ ठीक रहा तो किराए की साइकिल की खराब घंटी एवं कमजोर ब्रेक की समस्या हमेशा बनी रहती थी जिसके कारण किसी से टकराया ना उसका उत्तरदायित्व पीछे से गाइड कर रहे दोस्त और अपने पैरों का ज्यादा रहता था कैंची डंडा सीट वाली साइकिल सीखने की प्रक्रिया में चलाते समय सबसे ज्यादा ध्यान फ्रेंड लोगों की तरफ रहता था और सिखाने वाले हमेशा कहते थे सामने देखो यदि साइकिल की स्पीड अधिक हो गई और पीछे से गाइड करने वाले दोस्त पीछे छूट गए तो लोगों को हटाने एवं साइकिल को कंट्रोल करने का एक ही सहारा होता था साइकिल को रोकने की नाकाम कोशिश करते हुए बार बार चिल्लाना भाई साहब हट जाओ भाई साहब हट जाओ साइकिल में ब्रेक नहीं है फिर भी किसी ना किसी से टकरा जाती थी
उसके बाद शुरू होती थी जांच पड़ताल किसके लड़के हो साइकिल चलाना नहीं आता क्या देखो हमें कितनी लग गई हमारा इलाज कराओ इन सभी सवालों के बीच पीछे साइकिल सिखाने वाले दोस्त रफू चक्कर हो जाते थे मन में डर होता था कि अब शायद घर पर शिकायत ना पहुंच जाए उससे ज्यादा टेंशन किराए की साइकिल की टूट-फूट एवं किराए का एक घंटा पूरे होने का भी रहता था कि अगर 5 मिनट भी ज्यादा हो जाएंगे दूसरे घंटे के भी पैसे देने पड़ेंगे
साइकिल सीखते समय साइकिल का गिरना एक आम बात होती थी और हमेशा सिखाने वाला एक ही डायलॉग मारता था जब तक गिरोगे नहीं तब तक चलाना सीखोगे नहीं आज भी अनेक लोगों के घुटनों में साइकिल से गिरने से बने चोट के निशान बने हुए देखे जा सकते हैं जो कि उस नादान बचपन की याद के तौर पर हैं
उस समय लगभग सभी बच्चों की अपने घर वालों से एक ही आसान और मांग रहती थी कि उन्हें नई साइकिल कब मिलेगी
अब लगभग हर घरों में मोटरसाइकिल कार जरूर आ गए हो लेकिन ओ है किराए की साइकिल चलाने का मजा शायद अब कभी लौट कर ना आए🎯
रविवार, 25 अप्रैल 2021
कोरोनावायरस महामारी की लड़ाई में सबसे कमजोर कड़ी बुजुर्ग इंसान
🌍वैश्विक 😷कोरोना🐉वायरस ☠️महामारी काल की सबसे 🎭कमजोर कड़ी उम्र दराज 👴बुजुर्ग लोग हैं विश्व भर में जितने भी आंकड़े आए हैं उस पर सबसे ज्यादा मृत्यु दर एवं समस्या बुजुर्ग लोगों की हो रही है क्योंकि उम्र के अंतिम पड़ाव में विभिन्न बीमारियों से घिरे बुजुर्ग दादी दादा मां बाप अन्य लोग जो कि लगभग साथ 65 साल से ऊपर के हैं उन्हें इस समय बेहद की देखभाल की जरूरत है कोरोनावायरस की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी मैं उसकी जानकारी ना दे क्योंकि डर भरे माहौल में एक नेगेटिव सूचना उनके जीवन की डोर को तोड़ सकती है इसलिए जितना हो सके इस समय उनके साथ रहकर उनकी उचित देखभाल कर कर उन्हें पॉजिटिव सोचने एवं पॉजिटिव रहने के लिए माहौल देने की विशेष जरूरत है मीडिया के माध्यम से बेहद थी दर्द भरी दुखी करने वाली घटनाएं सामने आ रही है जिसमें सभ्य समाज के पढ़े-लिखे लोग जिनके लिए उनके मां बाप ने बेहतर भविष्य के लिए अपने सपनों को कुर्बान कर दिया और जीवन के अंतिम पड़ाव में उनसे अपने अच्छे जीवन के पल की आशा करके उनको सब कुछ दे दिया लेकिन वह अपने बुजुर्ग परिवार के सदस्यों को अपने हाल पर छोड़ कर अपने अपने काम में व्यस्त हैं हालात ये हैं कि बुजुर्गों की सामान्य स्थिति होने के बाद भी हॉस्पिटल में भर्ती करके उनकी सुध लेने लेने की जरूरत नहीं समझते और जब वह किसी अपने को अपने बीच ना पाकर अपनी जिंदगी से हार मानकर मौत के सामने समर्पण कर देते हैं या हॉस्पिटल के कर्मचारी उनकी जान की कीमत को मामूली समझकर किसी और को वरीयता देकर उन्हें उचित देखभाल एवं दवाइयां ना देकर उन्हें समय से पहले मरने के लिए छोड़ रहे है मरने के बाद उनकी डेड बॉडी को भी लेने के लिए उनके अपने लोग हाथ खड़े कर रहे हैं इस प्रकार के हालात से समाज का कुरूप चेहरा देखने को मिल रहा है जो बेहद ही दुखद एवं निंदनीय है आप सभी से निवेदन है कि अपने बुजुर्ग परिवार के सदस्यों का उचित ख्याल रखें क्योंकि जीवन रहे ना रहे लेकिन समाज का ताना-बाना बना रहना चाहिए और ऊपर वाले की लाठी से डरना चाहिए क्योंकि आज हमारा समय है कल किसी और का होगा🎯
शनिवार, 24 अप्रैल 2021
भारत में कोरोना वायरस महामारी को चरम पर पहुंचने में आखिर गलती किसकी है
कहते हैं कि #बेवकूफ और #बहादुर में नाम मात्र का फर्क होता है कामयाब हुए तो बहादुर वरना बेवकूफी कहा जाएगा वर्तमान समय में जिस हालात से हमारा देश गुजर रहा है उसमें सबसे बड़ी जिम्मेवार हमारे देश की सरकार की विदेश नीति एवं आम लोगों की लापरवाही नीतिया हैं क्योंकि लगभग एक साल पहले हम लोग पूरे विश्व मैं #कोरोनावायरस महामारी के विकराल रूप को देखकर बड़े-बड़े देशों को बेवकूफ समझ रहे थे अपने आप को हार्ड ह्यूमैनिटी पावर का स्वयंभू स्वामी समझ रहे थे विश्व बैंक एवं विश्व हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के साथ बड़े-बड़े देशों ने भारत के लिए अनेक घोषणा पहले से कर दी थी कि कोरोनावायरस महामारी सबसे ज्यादा तबाही भारत जैसे विकासशील देश में मचाएगी जिसमें लगभग 20 लाख लोगों के संक्रमण से मौतों की संभावना व्यक्त की थी जिसके बचाव एवं आपातकालीन व्यवस्था की तैयारी के लिए उन्होंने भारत को लाखों करोड़ों डॉलर का कर्ज एवं सहायता दी जो प्लान और टारगेट के हिसाब से 2024 तक पूरे भारत में जन जागरूकता अभियान सुरक्षा समय-समय पर लॉकडाउन वैक्सीनेशन प्रोग्राम बड़े-बड़े हॉस्पिटल एवं चिकित्सक सामग्री तैयार करने के लिए थे लेकिन कुछ कारणवश पिछले वर्ष वह वायरस इतना प्रभावी नहीं हुआ जिस कारण यहां की सरकार एवं लोग पूरी तरीके से लापरवाह हो गए और अपने आपको कोरोना वायरस महामारी से जंग में खुद विजेता घोषित कर दिया और जितने भी देश के संसाधन थे दानवीर बन कर विभिन्न देशों में बेचना और बांटना चालू कर दिया इतने बड़े देश की जरूरतों को अनदेखा कर देश में बनी वैक्सीन को अनेक देशों में वितरित करना एवं भारी मात्रा में विभिन्न देशों को बिन मांगे राहत सामग्री पहुंचा कर अपने आप को तीस मारखा साबित करने की कोशिश की गई वर्तमान समय में जब कोरोनावायरस महामारी हमारे देश में चरम पर है और पूरा चिकित्सा तंत्र छिन्न-भिन्न होने की कगार पर है देश के हर कोने में त्राहि-त्राहि मची हुई है दवाओं की कालाबाजारी ऑक्सीजन की किल्लत और श्मशान में जलती लाशों के बीच कुछ अमेरिका जैसे एहसान फरामोश देशों द्वारा भारत को वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल होने वाले स्पेशल सॉल्ट एवं मेडिकल सामग्री को देने से स्पष्ट मना कर दिया जो भारत अपने आप को दानवीर कहकर दोनों हाथों से अपने संसाधन दुनिया भर के देशों पर लुटा रहा था उस विशाल देश को मदद के समय कोई भी बड़ा देश सामने नहीं आ रहा क्योंकि वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने स्पष्ट दो टूक कहा कि भारत की अंदरूनी राजनीतिक नीतियों के कारण बड़ी लापरवाही एवं फंड का सही से इस्तेमाल नहीं किया है एवं विशेष निर्देश देने के बाद भी राजनीतिक चुनाव धार्मिक आयोजन पर लगाम नहीं लगाई गई अब ऐसे समय में दोष किसको दिया जाए जान है तो जहान है अपने देश के लोग खुशी हो तभी देश महान है 🎯
बुधवार, 21 अप्रैल 2021
कोरोनावायरस में महामारी काल में डर भरे माहौल में अभिताभ बच्चन की आवाज में प्रेरणा देने वाली कविता
बुरा वक्त ही तो है गुजर जाएगा फिर से अच्छा बक्त आएगा
शनिवार, 17 अप्रैल 2021
देश के उद्योगपतियों को आगे आकर कोरोना वायरस महामारी में उपयोग होने वाली दवाएं इंजेक्शन वेंटिलेटर निशुल्क उपलब्ध कराकर लोगों को इस महामारी से उभरने में सहयोग करने की जरूरत
🐉कोरोनावायरस ☠️महामारी के संक्रमण से भयानक होते माहौल में सबसे ज्यादा कमी महसूस की जा रही है तो वह है यह रेमडेसिवरी इंजेक्शन वेंटिलेटर एवं ऑक्सीजन की जिसके डोज से काफी हद तक कोरोना वायरस के विभिन्न स्टेज के मरीज को राहत प्रदान की जाती है वर्तमान समय में पूरे देश भर में यह रेमडेसिवरी इंजेक्शन कालाबाजारी के कारण चर्चित है हॉल सेल बाजार में मात्र हजार रुपए का आने वाला इंजेक्शन 15000 से लेकर ₹30000 तक में बेचा जा रहा है फार्मा सेक्टर के बारे में पिछले वर्ष बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे कि पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है और भारत के पास इतनी क्षमता है कि वह है विश्व भर के लोगों को राहत प्रदान कर सकता है लेकिन वर्तमान में एक प्रदेश दूसरे प्रदेश को भी यह इंजेक्शन सप्लाई करने दे मैं हाथ खड़े कर रहे हैं जिस तरीके से हालात एकदम से बेकाबू हुए हैं उससे लोगों में दहशत का माहौल है क्योंकि देश की चिकित्सा व्यवस्था चरमराने की कगार पर है अपने टेलीविजन पर पिछले वर्ष कई देशों के हालात देखकर लोग चर्चा करते थे अब वही हालात हमारे देश में भी बनती दिखाई दे रहे हैं ऐसे समय में लोग अपने हाल पर जीवन और मृत्यु से जूझ रहे हैं ऐसे समय में प्राइवेट हॉस्पिटल और दवाओं की कालाबाजारी लोगों के कारण मानवता का क्रूस चेहरा उजागर हुआ है ऐसे समय में बड़े-बड़े उद्योगपतियों को आगे आकर लोगों को इस प्रकार की दवाएं और इंजेक्शन निशुल्क मुहैया कराने के लिए कार्य करने की जरूरत है क्योंकि यदि देश के हालत जरूरत से ज्यादा बिगड़ेंगे तो सबसे ज्यादा लोगों का गुस्सा सरकार एवं उद्योगपतियों पर ही फूटेगा 🎯
बुधवार, 14 अप्रैल 2021
प्रत्येक सर्दी जुखाम खांसी 🐉कोरोनावायरस संक्रमण नहीं होता
☠️डर के आगे जीत है? वर्तमान समय में फैली महामारी से देशभर में हाहाकार मचा हुआ है महामारी जितनी बड़ी है उससे बड़ा प्रचार प्रसार और प्रोपेगेंडा जिसके तहत अनजाने में ही लोग मनोरोगी बन रहे हैं प्रत्येक वर्ष चैत माह मैं वायरल सर्दी जुखाम बुखार दस्त होना आम बात लेकिन हर तरफ कोरोना वायरस महामारी के डर से लोग अनजाने में अपने होने वाले आम सर्दी जुखाम फीवर को भी कोरोनावायरस का संक्रमण समझ रहे हैं और अंदर ही अंदर घुटन के कारण लो बीपी हाई बीपी हार्ड की समस्याओं और गर्म तासीर के काढ़ा जरूरत से ज्यादा गरम पानी पीकर अपने शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं कोरोनावायरस महामारी से सुरक्षा जरूरी है लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण है अपने अंदर आत्मविश्वास लाना कि हम किसी प्रकार के वायरस से लड़ सकते हैं और हमारा शरीर इतना परिपक्व है की हम कुछ दिनों में सही हो जाएंगे इसी सोच को लेकर हम महामारी पर और इस मानसिक बीमारी पर जीत हासिल कर सकते हैं कोरोनावायरस महामारी से मरने वालों में सबसे अधिक संख्या उन लोगों की है जो पहले से ही विभिन्न बीमारियों से ग्रसित रहे और कोरोना वायरस के डर से हार्ड फेल एवं जीवन जीने की आस को छोड़ देने वाले ही लोग ज्यादा है जिन्हें भी कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ है उन्हें एक पॉजिटिव सोच रखनी बेहद जरूरी है तभी हम इस बेहतर जीवन को और बेहतर बना सकते मानसिक तनाव को कम करें टीवी कम देखें हल्का-फुल्का व्यायाम करें प्राणायाम करें फीवर सर्दी जुकाम होने पर डॉक्टर की सलाह से पेरासिटामोल विटामिन सी की दवा का यूज़ करें स्वस्थ एवं सात्विक भोजन करें और अपने आप को विश्वास दिलाय कि हम यदि संक्रमित हो जाएंगे तो स्वस्थ भी हो जाएंगे स्वस्थ निर्देशों का पालन करते हुए घर पर रहें सुरक्षित रहें। 🙏धन्यवाद 💐💐
सोमवार, 12 अप्रैल 2021
आम जनमानस के लिए नासूर बन चुकी दवा कंपनियों की कमीशन खोरी की इस व्यवस्था को बदलने की अति आवश्यकता है
🤔आखिर कब तक चलेगी देश में इस प्रकार की लूट भ्रष्टाचार मिटाने की बाते तो बड़े-बड़े मंचों लाल किले संसद भवन से की जाती है लेकिन वास्तविक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सबसे बड़ा योगदान उन्हीं लोगों का है जो इस प्रकार के लूट का खसोट षड्यंत्रकारी कार्य कराने में बड़ी-बड़ी कंपनियां का सहयोग करते हैं आज भारत देश में चिकित्सा पद्धति पूरी तरीके से व्यापार बन चुकी है जो डॉक्टर दवा कंपनी भगवान का रूप माने जाते थे वह साक्षात मौत के सौदागर बन गए हैं लोग जानते हुए भी कि सामने वाला हमें लूटने के लिए बैठा है फिर भी लूटने के लिए मजबूर है दवा कंपनियों की लूट का आलम यह है कि किसी दवाई का मूल्य उसके तय मूल्य से हजार गुना से भी अधिक बढ़ाया जा सकता है जो दवा कंपनियों की इस कमीशन खोरी को जानता है वह तो रेट कम करा लेता है लेकिन जो गरीब आम व्यक्ति है वह हमेशा कथित लूट का शिकार होते हैं अब सवाल यह है हमेशा आम जन हित की बात करने वाली सरकारे कई दशकों बाद भी जन हित में अंतर्राष्ट्रीय दवा कंपनियों के इस मायाजाल को तोड़ने के लिए विशेष कानून लाकर नीति निर्धारण करके एक सीमित मार्जन पर दवाइयां बेचने के लिए दवा कंपनियों को कानूनी रूप से बाध्य क्यों नहीं करती सोचने का विषय है 🎯 ✍️ आवाज एक सच्चाई की
शनिवार, 13 मार्च 2021
हर किसी पर आंख बंद कर विश्वास घातक हो सकता है सनम तो डूबेंगे आप को भी ले डूबेंगे
जीवन में मनुष्य कुछ पाने के लिए हर किसी पर आंख बंद कर विश्वास करने लगता है और वह सोचता है कि जिस पर मैं विश्वास कर रहा हूं वह मुझे सफलता के आसमान पर पहुंचा देगा
लेकिन हर रथ के सारथी श्री कृष्ण नहीं होते अनजाने में लोग ऐसे व्यक्तियों पर भी विश्वास कर लेते हैं जो कुशल सारथी होने का ढोंग कर कर गलत तरीके से रथ पर बैठ जाते हैं जो भविष्य में उन्हें पूरी तरीके से बर्बादी के रास्ते पर पहुंचा देते
प्रथम विश्व युद्ध के बाद विश्व भर में अपने कारनामों एवं अपनी अहंकारी नीतियों को लागू करके हिटलर पूरे विश्व भर में अपनी तानाशाही के बल पर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ कहलाने के लिए लोगों को गुमराह करता था उसका मत था कि वह ईश्वर का प्रतिनिधि है एवं वह पूरे विश्व पर राज करने के लिए उसने इस पृथ्वी पर जन्म लिया हैं शुरुआत में कुछ सफलता मिलने पर जर्मनी एवं उसके सहयोगी देश एवं वहां के लोग उसे ईश्वर का प्रतिनिधि मानकर उसके एक इशारे पर अपनी एवं अपने परिवार की जान दाव पर लगा देते थे
उसी के इशारों पर अनेक यहूदियों एवं शत्रु देशों के सैनिकों एवं लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया एवं उपनिवेश एवं साम्राज्य बढ़ाने के लिए कई घातक हथियारों का निर्माण करके पूरे विश्व भर में उथल-पुथल मचा दी
लेकिन बुरे का अंत बुरा होता है अंत में हिटलर एवं जर्मनी का पतन हुआ और हिटलर ने सबसे बड़ा कायराना कार्य करके आत्महत्या कर ली
और अपने सभी सहयोगियों को बर्बादी की कगार पर छोड़ दिया इस प्रकार के व्यक्तियों को बढ़ावा देने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उन लोगों का भी होता है जो कुछ चाहने की चाहत में हर किसी पर आंख बंद करके विश्वास कर लेते हैं बिना किसी अंजाम की परवाह किए बगैर लेकिन हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती इसी सरकार कुछ सफलता अर्जित करने वाला व्यक्ति ईश्वर का प्रतिनिधि नहीं हो सकता अपने स्वविवेक का इस्तेमाल करें अपने अच्छे और बुरे को इत्मीनान से समझकर प्रत्येक कार्य करें इसी में मानव जाति की भलाई
गुरुवार, 11 मार्च 2021
आध्यात्मिक की गहराइयों में डूबने का पवित्र महापर्व है महाशिवरात्रि
#महाशिवरात्रि #Mahashivratri
अघोरी शास्त्र स्वरोदय विज्ञान तंत्र मंत्र यंत्र से लेकर मानव कल्पना से परे दिव्य अलौकिक आध्यात्मिक की गहराइयों को जानने की उत्सुकता प्रत्येक मनुष्य के मन में होती है जीवन का सत्य जानने के लिए लोग सैकड़ों वर्ष की तपस्या मैं भी जो फल प्राप्त नहीं कर पाते जो साल भर में एक बार आने वाले
महापर्व महाशिवरात्रि पर साधना करके कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है जीवन में व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत एक नास्तिक व्यक्ति बन कर करनी चाहिए क्योंकि वह व्यक्ति हर प्रकार के तर्क वितर्क एवं अपनी जिज्ञासाओं को अध्यात्म के रास्ते की गहराइयों में डूब कर खुद हर लमहे को जीकर एवं पाकर अपनी कल्पना से वास्तविक ईश्वर की पहचान कर सकता है
संपूर्ण ब्रह्मांड में एकमात्र शिव स्वरूप परमात्मा जो कि निराकार रूप में सभी और व्याप्त है उसकी खोज मनुष्य का प्रमुख उद्देश्य होता है जिसे पाकर व्यक्ति मोक्ष की कामना करता है
शिव के एक रूप अघोरी जिसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति के अंदर उसे जानने की उत्सुकता होती है अघोरी जीवन एक ऐसा जीवन है कि जो सभी प्रकार कामनाओं पर विजय प्राप्त करने के बाद ही जिया जा सकता है
एक अघोरी हर उस वस्तु को जो उसे दिखाई दे सुनाई दे या महसूस हो उसे शिव के स्वरूप के रूप में देखता है जिसके कारण उन्हें कोई भी कर्म है या चीज बुरी नहीं लगती है वह हमेशा इस प्रकार का जीवन जीते हैं जो आम व्यक्ति की समझ से परे है यह जीवन घोर अध्यात्म का होता है
जब मनुष्य इनके वास्तविक आध्यात्मिक को समझता है तो उसे समझ में आता है कि सांसारिक जीवन से भी बढ़कर अध्यात्म और अध्यात्म से बढ़कर मोक्ष की प्राप्ति के लिए किए गए विशेष हट योग एवं कर्म से मानव उत्थान एवं कल्याण का रास्ता ही वास्तविक ईश्वर भक्ति एवं ईश्वर को प्राप्त करने का रास्ता है
महाशिवरात्रि को ब्रह्मांड में एक अलौकिक शक्ति का उदय होता है जो उसे एक मनुष्य को शिव स्वरूप बना देती है लेकिन इसके वास्तविक चमत्कारों का लाभ वही व्यक्ति उठा पाता है कि
जो शिवरात्रि के दिन पूर्ण रूप से शिवमय होकर आराधना कर सके
मंगलवार, 9 मार्च 2021
समाज में फैले भ्रष्टाचार की कहानियों का पिटारा मुसद्दीलाल का ऑफिस ऑफिस प्रोग्राम
सरकारी विभागों एवं आम जीवन में आम व्यक्ति की समस्याओं को लेकर ऑफिस ऑफिस मुसद्दीलाल सीरियल जो कि काफी वर्ष पहले पंकज कपूर के मुसद्दीलाल किरदार के इर्द-गिर्द घूमने वाले पात्रों एवं विभिन्न घटनाओं समस्याओं को रेखांकित करके समाज के कुरूप चेहरे को दर्शकों के सामने परोसा गया था जिसे लोगों ने हाथों हाथ लिया था यह सीरियल काफी फेमस हुआ था क्योंकि इसमें आम व्यक्ति की व्यथा दिखाई गई थी कि किस प्रकार वह लोगों का भला करने के लिए एवं अपनी समस्याओं को सॉल्व करने के लिए किस प्रकार चकरघिन्नी बन जाता है और सभी ओर से शोषण का शिकार होता है वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर मुसद्दी लाल के प्रोग्राम वायरल हो रहे हैं जिसे लोग मनोरंजन एवं सामाजिक ताने-बाने को लेकर आश्चर्यचकित होकर देख रहे हैं कि इतने बरसों बाद भी अभी भी समस्या जस की तस बनी हुई है इस प्रोग्राम में जितनी भी समस्याएं बताई गई हैं वह अभी पहले की ही भांति निरंतर चलती चली आ रही हैं समाज में फैले इस प्रकार के कुरूप चेहरे को वर्तमान की मीडिया दिखाने में पूरी तरीके से बचती है जो की समझ से परे है वर्तमान समय में जरूरत है मुसद्दीलाल जैसे सीरियलों की जो कि समाज में फैली भ्रष्टाचार एवं आम जनमानस के शोषण के साम्राज्य को आम जनमानस के सामने लाकर इसे खत्म कराने के लिए समाज में संदेश दें वह चाहे स्वास्थ्य विभाग में हो शिक्षा विभाग में हो या अन्य किसी भी विभाग में हो चारों ओर से जहां आम व्यक्ति का शोषण होता है है इसे खत्म करने के लिए बड़े स्तर से प्रयास किए जाने की जरूरत है
शनिवार, 27 फ़रवरी 2021
स्वस्थ जीवन एवं स्वस्थ शरीर के लिए केमिकल युक्त पेय पदार्थों से बचें
🍹बसंत ऋतु के साथ ही देश में गर्मी का मौसम आ जाता है गर्मियों के मौसम में सभी बच्चों का आकर्षण का केंद्र होता है बर्फ का गोला और उस पर चढ़ा लाल हरा नारंगी पीला केमिकल रंग युक्त चीनी सेक्रीन की बनी चासनी और ढेर सारी कंपनियों के पेय पदार्थ जो पूरी तरीके से केमिकल से बनाए जाते हैं लेकिन टेलीविजन एवं विभिन्न संचार माध्यमों से होने वाले प्रचार-प्रसार के बाद बच्चे हों या बड़े महिला हो या पुरुष सभी को ऐसा लगता है कि इन पर पदार्थों के पीने से उनके शरीर को एक्स्ट्रा एनर्जी और ठंडक महसूस होगी लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह पूरी तरीके से विदेशी कंपनियों के प्रोपेगेंडा के अनुसार केमिकल युक्त फॉर्मूला पर आधारित पहले पदार्थ होते हैं जो कि शरीर के लिए काफी हानिकारक माने जाते हैं बर्फ छूने एवं महसूस करने पर ठंडी जरूर होती है लेकिन उस की तासीर गर्म होती है जो कि शरीर के अंदर नमी को सोख शरीर में गर्मी बढ़ाकर दोहरा नुकसान पहुंचाती है यदि बच्चे बाजारों के पेय पदार्थों के लिए ज्यादा ही जिद करें तो उनके लिए घर पर भी आइसक्रीम एवं लस्सी नींबू की शिकंजी जैसे पेय पदार्थ बनाए जा सकते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ कम बजट में आपको बेहतर विकल्प दे सकते हैं गर्मी भरे मौसम और बच्चों को हमेशा के लिए आदत डालें कि जितना हो सके केमिकल युक्त इन पदार्थों से दूर रहे हैं जो उनके जीवन के लिए काफी हितकर होगा विभिन्न प्रकार के मेडिकल रिसर्च के अनुसार इन पेय पदार्थों से मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है जिस कारण अनेक देशों में इन पेय पदार्थों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है🎯👬👭👫🏌️🤾,🍺🍵🍸🍨🍧
शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021
जीवन में संघर्ष व्यक्ति को खरा सोना बना देता है
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🏋️जीवन भी इन रेल की पटरीयों की भांति उलझा हुआ दिखाई देता है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के सामने एक ही चुनौती होती है इन उलझनो को सुलझा कर अपने जीवन को निरंतर आगे बढ़ाना बचपन में संसाधनों की कमी के बावजूद संघर्ष करने के बाद बेरोजगारी और उसके बाद समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष और एवं परिवार की जिम्मेवारी कहीं ना कहीं लोगों को हताश कर देती है लेकिन आप अकेले नहीं है इस दुनिया में जो जीवन में संघर्ष कर रहे हैं आपके पहले इस दुनिया में हर आने वाले व्यक्ति को जीवन मैं कुछ पाने एवं पहचान बनाने लोगों को जगाने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं बात करते हैं कुछ महापुरुषों की जिनके जीवन संघर्ष को देखकर हर व्यक्ति को अपना संघर्ष काफी तुच्छ दिखाई देने लगता है भगवान श्री राम के अयोध्या के राजकुमार होने के बाद भी विधाता के बनाए कालचक्र के कारण जंगल जंगल अनेक कठिनाइयों से जूझते हुए अपने परिवार एवं न्याय अन्याय ब स्वाभिमान की रक्षा के लिए रावण जैसी महाशक्तिशाली असुर से भी संघर्ष करना पड़ा वही बात करते हैं श्री कृष्ण जी की जिन्होंने अपने जीवन की शुरुआत ही जीवन संघर्ष से की इनका जन्म काल कोठरी के अंदर हुआ था जन्म लेने के बाद से इनके जीवन संघर्ष की कठिनाइयां सहनी पड़ी रिश्ते नाते परिवार सत्य असत्य की लड़ाई के लिए इनका पूरा जीवन संघर्ष मय रहा है विश्व में अनेक उदाहरण हैं ईसा मसीह से लेकर मोहम्मद साहब गौतम बुद्ध से लेकर महावीर स्वामी नानक से लेकर दलाई लामा तक हमेशा से ही संघर्षशील व्यक्तित्व के लोगों का जीवन आसान नहीं रहा है इसीलिए बात इतनी सी है कि अपने जीवन में आने वाले संघर्ष को हमेशा खुश होकर सहना सीखिए मानव जीवन ही संघर्ष एवं कठिनाई का नाम है इस जीवन मैं कठिनाइयों से जूझ कर ही व्यक्ति खरा सोना बनता है🎯
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