शुक्रवार, 22 नवंबर 2019
मंगलवार, 19 नवंबर 2019
1857 की क्रांति की प्रथम दीपशिखा रानी लक्ष्मीबाई जन्मदिन विशेष
देश में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति की प्रमुख लीडर महारानी लक्ष्मीबाई जी का जन्म आज पूरे विश्व भर में मनाया जा रहा है वीरता ऐश्वर्या नेतृत्व क्षमता परिवारिक संरक्षण घुड़सवारी युद्ध कौशल जैसे अनेक क्षमताओं से दक्ष महारानी लक्ष्मी बाई देवता का पर्याय मानी जाती थी लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति के माध्यम से देश की अनेकों रियासतों को अंग्रेजी शासन में शामिल करने के लिए किए गए कुचक्र के विरोध में रानी लक्ष्मीबाई द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंक कर देशभर में फैली अंग्रेजों के प्रति धधकती ज्वाला को तीव्र किया था एवं अनेक क्रांतिकारी गुटों का नेतृत्व कर कर विश्व भर के देशों का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित कराया था रानी लक्ष्मीबाई देश के लिए लड़ते लड़ते अपनी जान निछावर कर गई महारानी लक्ष्मी बाई जी के जन्मदिन पर हम सभी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं रानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर महान कवित्री सुमित्रा कुमारी चौहान जी द्वारा लिखित विश्व प्रसिद्ध कविता सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।
महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी में।
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।
निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा,कर्नाटक की कौन बिसात?
जब कि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
रानी रोयीं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
'नागपुर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।
यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।
हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर,पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वंद असमानों में।
ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।
घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
मंगलवार, 5 नवंबर 2019
जीने के लिए भोजन जरूरी है पैसा ही सब कुछ नहीं होता
भागदौड़ भरी जिंदगी में रुकना मना है पैसा है परिवार है इज्जत है सम्मान फिर भी कभी-कभी हम भूखे रह जाते ऐसी ही जिंदगी है कुछ देश की कठिन नौकरियों की जिनमें देश की सरहद पर रक्षा करने वाला फौजी रेल में दिन-रात सर्दी गर्मी कोहरा सब का डटकर मुकाबला करने वाले रेल के कर्मचारी लोको पायलट एवं गार्ड अनेकों सरकारी एवं गैर सरकारी कंपनियों के कर्मचारी जोकि भागते दौड़ते अपनी मंजिल पर पहुंचने की आपाधापी मैं भूखे रह जाते हैं उन्हीं को भोजन डिलीवरी करते हुए बनाई गई कुछ सेकेंड की वीडियो देखकर सच में आंसू आ जाएंगे वैसे तो देश में अनेकों विभाग एवं ऑफिस विपरीत परिस्थितियों में कठिन एवं भागदौड़ भरा कार्य करते हैं उनमें से एक है भारतीय रेलवे कर्मचारी उनकी जागरूकता एवं सतर्कता से ही देश की लाइफलाइन भारतीय रेलवे दिन रात निरंतर चलती रहती है सबसे ज्यादा समस्या लर्निंग कर्मचारी को होती है ड्यूटी पर आने पर किसी प्रकार का कोई टाइम टेबल नहीं होता जिसमें मालगाड़ी की वर्किंग बड़ी ही कठिन होती है ड्यूटी आने के मात्र 2 घंटे पहले पता चलता है की आज कहां जाएंगे उसके बाद शुरू होता है उनका झटपट तैयार होकर नित्य क्रिया से निर्मित होकर अपने पूरे काम कर बैग में राशन पानी भर के दौड़ कर दो घंटे के अंदर ड्यूटी ऑन करनी पड़ती है रेलवे से संबंधित औजार किताबें पानी खाना कपड़े आदि से भरकर पूरा बैग फुल हो जाता है अगर किसी कारण बस घर पर खाने का इंतजाम नहीं हो पाया उस दिन भगवान भरोसे ही इनकी नौकरी चलती है मुंबई के डिब्बे वाले पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है जो कि मुंबई के अधिकतर ऑफिसों में खाना पहुंचाते हैं और लोगों को खाने के इंतजाम से पूरी तरह से टेंशन फ्री रखते हैं लेकिन देशभर में ऐसी व्यवस्था नहीं है लेकिन वर्तमान में जिस तरह से स्टार्टअप की वजह से शहरी क्षेत्रों में ओला जोमैटो जैसे सुविधा जनक संसाधन उपलब्ध होने से कहीं ना कहीं लोको पायलट एवं गार्ड जैसी विपरीत परिस्थितियों वाली नौकरियों में कहीं ना कहीं राहत मिली है किसी कारण बस खाना उपलब्ध ना होने के कारण पहले से ही संबंधित स्थान पर ऑर्डर बुक करा दिया जाता है तारीफ के काबिल है वह डिलीवरी ब्वॉय जो अपने कार्य में सक्रियता दिखा कर कहीं ना कहीं अपनी कंपनी एवं मानवीय कार्य को मजबूत बनाते हैं जोमैटो जैसी कंपनियों में कार्य करके डिलीवरी करने वाले यह कर्मचारी जोकि कई लोगों के द्वारा धर्म और जाति का ईशु बनाकर बखेड़ा खड़ा कर देने से दुविधा में पड़ जाते हैं कहीं ना कहीं ऐसे अनेक लोगों के पास मुंह का निवाला लेकर पहुंच जाते हैं जिनके पास सब कुछ है पैसे इज्जत शोहरत सब कुछ लेकिन उनके पास उनका किसी कारण बस भूखे रहने की स्थिति या मनपसंद खाना बनाने बनाने वाले एवं पहुंचाने वाले शायद पैसों की लिए कहीं दौड़ लगा रहे हैं कई ऐसे परिवार हैं जिनकी कई मंजिलों के ऊपर रिटायर्ड हो चुके जिनके बुजुर्ग मां बाप के लिए यह डिलीवरी बॉय उनके परिवार से भी बढ़कर है एक बात हमेशा ध्यान रखिए इंसान हमेशा भोजन खाता है ना कि पैसे जीवन के लिए पैसा ही सब कुछ नहीं होता कृपया भागदौड़ भरी जिंदगी में अपना एवं अपने परिवार का ख्याल रखें
सोमवार, 4 नवंबर 2019
छठ का त्यौहार हिमालय स्वर्ग या स्विजरलैंड नहीं यह हमारी राजधानी दिल्ली की यमुना नदी है
सूर्य की उपासना का प्रमुख त्योहार छठ जो कि पूरे विश्व में पूर्वांचल एवं बिहार के लोगों द्वारा मनाया जा रहा है साल दर साल बढ़ती इस पवित्र त्यौहार की लोकप्रियता को देखकर बड़ा ही आश्चर्य होता है प्रकृति के साथ जुड़ाव एवं अपनी मूल जड़ों की ओर लौटने वाला अपनी संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए प्रत्येक वर्ष दीपावली के बात छठे दिन मनाए जाने वाली प्राकृतिक उपासना पर्व पर डूबते हुए सूर्य की उपासना की जाती है इस पर्व पर विश्व भर में फैले बिहार एवं पूर्वांचल छत्तीसगढ़ झारखंड जैसे अनेक उत्तर भारतीय क्षेत्रों के राज्यों में निवास करने वाले लोग अपने घरों में लौटते हैं एवं अपने परिवार के साथ इस पवित्र त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं यह त्योहार वर्तमान नव पीढ़ी को प्रकृति के साथ जोड़ने एवं अपनी मूल जड़ों की ओर वापस लौटने का संदेश देता है आधुनिक हो चली दुनिया में शहरों में नदी तालाबों का हाल बद से बदतर होता जा रहा है आने वाले भविष्य में बस किताबों में नदियां तालाब दिखाए जाएंगे पूरे विश्व भर में मनाए जा रहे इस त्योहार की तस्वीरें न्यूज़ चैनल एवं सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर में छाई हुई थी उसी बीच कुछ तस्वीरें दिल्ली के यमुना नदी से सूर्य उपासना करती महिलाओं की तस्वीरें आनी चालू हुई लोग आश्चर्यचकित रह गए प्रथम दृष्टया स्वर्ग जैसी एवं पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव एवं पृथ्वी के स्वर्ग स्विजरलैंड कश्मीर की भांति दिखने वाली यमुना नदी पर प्रदूषण से बने झाग कहीं ना कहीं रेगिस्तान में बनने वाले मृग मारीच जैसी अनुभूति लाने के लिए पर्याप्त थे देश की प्रमुख नदियों में शुमार यमुना नदी जोकि भगवान श्री कृष्ण के कर्म स्थली एवं पांडवों की राजधानी के किनारे से बहने वाली प्रमुख नदी थी इस नदी का वर्तमान में यह आलम है कि यह मात्र एक बदबूदार नाला बन कर रह गई है जिसमें सैकड़ों की संख्या में कारखानों एवं सीवर का पानी जमा हो रहा है जो कि वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ा ही घातक सिद्ध होगा पूर्वांचल के लोगों द्वारा मनाया गया जाने वाला छठ का त्यौहार हम सभी मानव जाति को प्रकृति के इस पवित्र रूप नदियों एवं तालाबों की दुर्दशा को दिखला गया है एवं एक संदेश भी दे गया है कि आने वाले समय में देश एवं दुनिया के लिए बड़ा ही कठिन होने वाला है छठ का उपवास रहने वाली महिलाओं को इन बदबूदार नदी तालाबों में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते हुए देखना दिल को अंदर तक झकझोर देने वाला सीन था
जहां एक और स्वर्ग एवं बर्फीले क्षेत्र की अनुभूति देने वाली इस नदी के झाग में तमाम युवा सेल्फी लेकर आनंद ले कर टिक टॉक फेसबुक इंस्टाग्राम के लिए कलेक्शन बना रहे थे वही कुछ दार्शनिक एवं प्राकृतिक प्रेमी आने वाले भविष्य को देखकर व्यथित एवं चिंतित थे अनेक प्रकार के दिशा निर्देश एवं कार्य योजना बनने के बाद कई हजार करोड़ रुपए खर्च कर देने के उपरांत भी देश की नदी तालाबों की हालत बद से बदतर होती चली जा रही है जहां देश में बढ़ गई भयंकर जनसंख्या एवं कम होते प्राकृतिक संसाधनों से लोगों के जीवन को कठिन बना दिया है विश्व की प्रमुख संस्थाएं इस भीषण समस्या से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही हैं वही हमारे देश में नदी तालाबों कुओं के उत्थान एवं हालात को सुधारने के लिए होने वाले बजट में कमी की जा रही है जिसमें एक कारण सबसे अधिक भ्रष्टाचार का है विश्व की सबसे प्रमुख एवं पवित्र नदी गंगा के हालात सुधारने के लिए एक मोटा बजट जल संसाधन मंत्रालय को दिया गया था अनेक प्रमुख एजेंसी एवं विशेषज्ञों को गंगा उत्थान के लिए लगाया गया था सभी नदियों के बजट को अनदेखा कर गंगा के उत्थान में जितना बजट लगाया गया था उससे भी गंगा नदी के हालात जस के तस बने हुए हैं हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर छठ जैसे पवित्र त्योहारों को भारत सरकार द्वारा मान्यता देनी चाहिए जिससे हमें भविष्य में इन प्राकृतिक स्त्रोतों को बेहतर एवं संभालने के लिए एक प्रेरणा मिल सके
अनेक संपन्न परिवार के लोगों द्वारा अपने घरों के पास ही गड्ढे खोदकर नदी एवं तालाबों का रूप देकर परिवार की महिलाओं को छठ के पवित्र त्यौहार पर सूर्य की उपासना करने के लिए विशेष प्रयास कराएं आने वाले समय में नदी एवं तालाबों की नाला बन चुके हैं उनके पास भी खड़ा होना भी मुश्किल हो जाएगा पैर रखने की तो बात ही छोड़िए आपको बता दें कि दिल्ली के यमुना के आसपास इसी नदी के पानी से अनेक प्रकार की सब्जियां एवं फल उगाए जाते हैं जो कि पूरे दिल्ली एवं एनसीआर क्षेत्र में धड़ल्ले से बेचे जाते हैं इस सब्जी एवं फलों में कहीं ना कहीं नदी में फैला घातक केमिकल एवं रसायन खाने के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचकर हमारी आने वाली पीढ़ी को कमजोर करने का कार्य कर रही है जिसके भविष्य में बेहद घातक दुष्परिणाम सामने आएंगे केंद्र एवं राज्य सरकार एवं आम लोगों के साथ देश में सामाजिक कार्य कर रहे अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी स्वयं सहायता समूह एवं संगठन युवा पीढ़ी जो कि मात्र सोशल मीडिया में खोई हुई है यह सब मिलकर विश्व स्तरीय कार्य योजना बनाकर देश की जीवनधारा नदियों को अपने मूल स्थिति में लाने के लिए प्रयास करें जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी अपनी आंखों से नदी तालाबों को देख सकें🎯🕊✍😢😢😢☠
शुक्रवार, 1 नवंबर 2019
ओरछा सत्तार एक्सीडेंट की वीडियो देशभर में वायरल मध्यप्रदेश मना रहा है स्थापना दिवस
आज भारत का प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस मनाया गया भारत के मध्य में स्थित होने के कारण इसका नाम मध्य प्रदेश रखा गया था पूर्व में इसके साथ छत्तीसगढ़ भी जुड़ा हुआ था लेकिन बाद में यह एक अलग राज्य बन गए मध्यप्रदेश बीमारू राज्य हुआ करता था लेकिन इसने अपने सीमित संसाधनों के बल पर एक संपन्न राज्य बनने का गौरव प्राप्त कर लिया मध्यप्रदेश में सांची के बौद्ध स्तूप खजुराहो का कजारिया महादेव मंदिर समूह पचमढ़ी जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल है इस राज्य में बहने वाली नर्मदा बेतवा जामनी जैसी नदियां हैं यहां सबसे अधिक तिलहन की पैदावार होती है जहां एक ओर पूरा मध्य प्रदेश अपने स्थापना दिवस को मना रहा था वही कुछ दिन पूर्व मध्य प्रदेश के ओरछा पर्यटन स्थल के पास सत्तार नाम के स्थान जहां चंद्रशेखर आजाद द्वारा अंग्रेजों से छुपकर आजादी के लिए विशेष संघर्ष छेड़ा हुआ था उसी स्थान पर छोटी एवं सकरी पुलिया पर हुए टेंपो एवं मारुति कार के एक्सीडेंट का वीडियो पूरे देश में वायरल हो रहा था जिसमें मारुति वाहन चालक की गाड़ी अन्य गाड़ी से टकराती हुई पुल के नीचे गहरे पानी में डूबने लगी गाड़ी में बैठकर यात्रा कर रहे परिवार एवं कुछ माही के बच्चे को बचाने के लिए लोगों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी आपको बता दें ओरछा के पास बेतवा पर बने हुए पुल एवं जामनी नदी पर बने हुए पलों को प्राचीन एवं छोटे सक्रिय होने के कारण बरसात के समय 4 माह के लिए परमानेंट बंद कर दिया जाता है एवं सकरी छोटी पुल के ऊपर हमेशा जाम लगा रहता है देश आजाद होने के 70 वर्षों बाद मध्य प्रदेश में स्थित यह बुंदेलखंड का प्रमुख पर्यटन स्थल जहां भगवान श्रीराम को राजा के रूप में पूजा जाता है प्राकृतिक सौंदर्य प्राचीन भव्य इमारतें देखने के लिए प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में देसी विदेशी पर्यटक आते हैं आज अपने बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा है देश आजाद होने के पूर्व अपनी संपन्नता के लिए पूरे देश विदेश मैं पहचाना जाता था यहां के राजाओं द्वारा झांसी टीकमगढ़ जैसे आसपास कई शहर एवं कस्बा को बसाया और वहां के किलो का निर्माण कराया था यहां की राजा वीर सिंह मुगल सम्राट जहांगीर के परम मित्र थे उनके नाम पर जहांगीर महल ओरछा में बनाया था जहांगीर की दोस्ती निभाने के लिए उन्होंने अकबर के नवरत्न में से एक रतन को हमेशा के लिए ऊपर पहुंचा दिया था ऐसा था यहां का राजनैतिक एवं संपन्नता का वैभव लेकिन आजादी के बाद यहां के विकास के लिए कितनी योजनाएं बनी थी वह पूरी तरह से लागू नहीं हो पाए राजा महाराजा काल के पुल सड़के एवं छोटे सकरी पुलिया से अब भी कार्य चलाया जा रहा है यहां पर राजनीति उद्योगपति एवं वीवीआईपी मूवमेंट हमेशा बना रहता है अनेक भारतीय फिल्मों की शूटिंग भी इस क्षेत्र में हो चुकी है आध्यात्मिक नगरी होने के कारण तीज त्योहारों एवं पर्व पर यहां पर लाखों की संख्या में लोगों का आना आम बात लेकिन पुराने काल के पुल एवं छोटी सक्रिय सड़कें होने के कारण हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है जिससे बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पाठकों में ओरछा जैसे भगत एवं प्राकृतिक सौंदर्य युक्त ऐतिहासिक स्थान की छवि धूमिल होती है देश में प्रमुख स्थान रखने वाला ओरछा पर्यटन स्थल जोकि मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा पर बुंदेलखंड के क्षेत्र में स्थित है भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश सरकार को इस क्षेत्र के लिए एक विशेष कार्य योजना बनाकर कार्य कराना चाहिए जो कि भविष्य में यहां आने वाले देशी-विदेशी पाठकों के साथ आध्यात्मिक नगरी के विकास के लिए नव निर्माण कार्य नींव का पत्थर बनकर उभरे यहां विकास की बहू मुखी योजनाएं सार्थक रूप से लागू हो जाए🎯✍🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏
गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019
रेलवे ऑन ड्यूटी यात्रा अथॉरिटी पास हुए चोरी मचा हड़कंप रेल यूनियनों ने बताया निजी करण का दुष्परिणाम
भारतीय रेल में वर्तमान समय मैं कुछ भी अच्छा घटित नहीं हो रहा है रेल की प्रमुख यूनियने काफी समय से भारत सरकार द्वारा किए जा रहे रेल के निजीकरण के विरोध में मुहिम चला रही थी एवं भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों के लिए रेल प्रशासन को आगाह भी कर रही थी इसी बीच एक ताजा मामला आया है जबलपुर रेलवे स्टेशन के लोको रनिंग लाॅबी का जहां पर क्रू कंट्रोलिंग लाॅबी में प्राइवेट कंपनी एवं ठेकेदार के कर्मचारियों को को पास बनाने बुकिंग फोन करने एवं सफाई जैसे कार्यों के लिए लगाया गया था सभी को ज्ञात है कि जितने भी प्राइवेट कंपनियों एवं ठेकेदारों द्वारा प्राइवेट कर्मचारी लगाए गए हैं उनकी जो अनुबंधित सैलरी होती है उससे आधी भी उनके हाथ में नहीं पहुंच पाती है जिस एजेंसी या ठेकेदार के माध्यम से यह कर्मचारी लगाए जाते हैं वह इनकी मिलने वाली वेतन से अपना एक मोटा कमीशन निकाल लेता है कम पैसों में प्राइवेट कर्मचारी कहीं ना कहीं अपने आप को ठगा महसूस करते हैं और उसकी पूर्ति करने के लिए कहीं से भी दाएं बाएं करके अपना बजट पूरा करने की कोशिश करते हैं उसी के दुष्परिणाम स्वरूप पश्चिम रेलवे के जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थित लोको रनिंग लॉबी की यह घटना सामने आई जिसमें महत्वपूर्ण अभिलेखों की देखभाल में तैनात प्राइवेट कर्मचारी द्वारा रेल के लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट को ऑन ड्यूटी पास ड्यूटी के दौरान दिए जाने वाले अथॉरिटी पास की चोरी की गई यह मामला तब उजागर हुआ जब लोको लॉबी सुपरवाइजर द्वारा लोको पायलट एवं सहायक को दिए जाने वाले ड्यूटी के दौरान ट्रेन यात्रा के लिए रनिंग पास की बुकलेट का निरीक्षण करने पर उसमें से दो पास गायब मिले आनन-फानन में इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों के साथ आरपीएफ को दी गई जब रेल विजिलेंस जांच दल द्वारा इस मामले की जांच की गई तो सीसी कैमरे में यात्रा पास की चोरी करते हुए दो प्राइवेट कर्मचारी को देखा गया इसके बाद पूरी टीम द्वारा यात्रा पास चोरी करने वाले कथित प्राइवेट कर्मचारी को दबोचा गया एवं दूसरा बिहार भाग गया अब इन प्राइवेट कर्मचारी पर रेल प्रशासन क्या कार्यवाही करता है यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस घटना से तमाम रेल कर्मचारियों के साथ रेल की यूनियनों द्वारा निजीकरण का विरोध तेज करने का मौका मिल गया है रेल कर्मचारी एवं रेल यूनियन को भी ज्ञात हैं कि यह सब चोरी जैसी क्रियाकलाप मैं परिस्थिति के मारे इन प्राइवेट कर्मचारियों का कहीं ना कहीं ठेकेदार एवं विभिन्न कार्य कराने वाली प्राइवेट संस्था के द्वारा शोषण किया जा रहा है उन्हें तय कीमत पर रखने के बाद भी उनके एटीएम एवं पासबुक के माध्यम से उनकी सैलरी निकलवा ली जाती है और उन्हें ऊंट के मुंह में जीरा जैसी सैलरी पकड़ा दी जाती है विरोध करने पर नौकरी से निकाल कर किसी दूसरे को रखने की धमकी दी जाती है ऐसी स्थिति में वह विरोध भी नहीं कर पाते हैं कम सैलरी में उन्हें अपना घर परिवार चलाना बड़ा ही मुश्किल हो गया है अधिक लाभ कमाने लालच एवं घर की जरूरतों की पूर्ति के लिए कहीं ना कहीं प्राइवेट कर्मचारी भारतीय रेल के सुरक्षा एवं संरक्षा से बने हुए ताने-बाने से खिलवाड़ करते रहते हैं जिससे आने वाले समय में रेल सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनकर यह प्राइवेट कर्मचारी रेल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं एवं कोई भी अनहोनी घटना होने पर क्योंकि यह कंपनी एवं ठेकेदार द्वारा लगाए गए होते हैं तो किसी भी कानूनी कार्रवाई से ठेकेदार एवं कंपनी अपना पल्ला झाड़ लेगी और दुष्परिणाम इन गरीब एवं परिस्थिति के मारे हुए कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा जोकि ठेकेदार द्वारा भविष्य में परमानेंट रेलवे में नियुक्ति होने का सब्जबाग दिखाकर एवं दलाली के तौर पर एक मोटी रकम जमा करने के बाद इन्हें रेल के विभिन्न स्थानों एवं कार्यों में प्राइवेट तौर पर रखते हैं सैलरी के नाम पर मात्र पांच से ₹7000 पकड़ा कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं प्रशासन को इस प्रकार की भविष्य में होने वाली गड़बड़ी एवं सुरक्षा की अनदेखी को दूर करने के लिए प्राइवेटकरण पर सोच समझकर कदम उठाने चाहिए👮✍💣💣🙏🙏🙏🙏🙏
बुधवार, 30 अक्टूबर 2019
साहित्यकारों की चमत्कारी दूरदर्शिता संघर्ष के संदर्भ में
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*मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता*
_ख्वाहिश नहीं मुझे_
_मशहूर होने की,
_आप मुझे पहचानते हो_
_बस इतना ही काफी है._
_अच्छे ने अच्छा और_
_बुरे ने बुरा जाना मुझे,_
_क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी_
_उसने उतना ही पहचाना मुझे._
_जिन्दगी का फलसफा भी_
_कितना अजीब है,_
_शामें कटती नहीं और_
_साल गुजरते चले जा रहें है._
_एक अजीब सी_
_दौड है ये जिन्दगी,_
_जीत जाओ तो कई_
_अपने पीछे छूट जाते हैं और_
_हार जाओ तो_
_अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं._
_बैठ जाता हूँ_
_मिट्टी पे अकसर,_
_क्योंकि मुझे अपनी_
_औकात अच्छी लगती है._
_मैंने समंदर से_
_सीखा है जीने का सलीका,_
_चुपचाप से बहना और_
_अपनी मौज मे रेहना._
_ऐसा नहीं की मुझमें_
_कोई ऐब नहीं है,_
_पर सच कहता हूँ_
_मुझमें कोई फरेब नहीं है._
_जल जाते है मेरे अंदाज से_
_मेरे दुश्मन,_
_क्यों की एक मुद्दत से मैंने,
.... न मोहब्बत बदली
और न दोस्त बदले हैं._
_एक घडी खरीदकर_
_हाथ मे क्या बांध ली_
_वक्त पीछे ही_
_पड गया मेरे._
_सोचा था घर बना कर_
_बैठुंगा सुकून से,_
_पर घर की जरूरतों ने_
_मुसाफिर बना डाला मुझे._
_सुकून की बात मत कर_
_ऐ गालिब,_
_बचपन वाला इतवार_
_अब नहीं आता._
_जीवन की भाग दौड मे_
_क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?_
_हँसती-खेलती जिन्दगी भी_
_आम हो जाती है._
_एक सवेरा था_
_जब हँसकर उठते थे हम,_
_और आज कई बार बिना मुस्कुराये_
_ही शाम हो जाती है._
_कितने दूर निकल गए_
_रिश्तों को निभाते निभाते,_
_खुद को खो दिया हम ने_
_अपनों को पाते पाते._
_लोग केहते है_
_हम मुस्कुराते बहुत है,_
_और हम थक गए_
_दर्द छुपाते छुपाते._
_खुश हूँ और सबको_
_खुश रखता हूँ,_
_लापरवाह हूँ फिर भी_
_सब की परवाह करता हूँ._
_मालूम है_
_कोई मोल नहीं है मेरा फिर भी_
_कुछ अनमोल लोगों से_
_रिश्ता रखता हूँ._
💌✍✍✍💘💘💘
मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019
👮पुलिस ने बनाया 👦लल्लनटॉप 💝मौज से मनी दीपावली
दुनिया में कितना ही अधर्म एवं लोगों में इंसानियत मर चुकी हो लेकिन कुछ लोग मानवतावादी झंडे को लेकर हमेशा एक एहसास दिलाते रहते हैं कोई भी युग एवं समय हो मानवता ही सबसे बड़ा धर्म कहलाता है ऐसा ही एक उदाहरण मध्य प्रदेश के सागर जिले की टोंक थाना क्षेत्र के पुलिस प्रभारी सुनील यादव एवं उनकी टीम द्वारा दीपावली के अवसर पर एक मानसिक दिव्यांग ताराचंद जोकि टोंग क्षेत्र की गलियों मैं घूमता था उसे नहला धुला बालों को व्यवस्थित कटवा कर कर नवीन कपड़े पहनाकर पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराते हुए राजा बाबू जैसा बना दिया
इस दिव्यांग को समाज की मुख्यधारा का इंसान बनाने के इस कार्य को करने के समय पर समस्त टोंक थाना स्टाफ उपस्थित रहाइस मानवता भरे कार्य को देखकर लोग इस प्रकार की करने के लिए लाली यत होने लगे की काश हम भी इसी तरीके से दिवाली मना पाते आप सभी लोगों से निवेदन है कि आपके आसपास भी अगर इस प्रकार की दिमागी दिव्यांग लोग समाज की मुख्यधारा से हटकर घूमते हैं अक्सर लोगों उन्हें परेशान करते रहते हैं कभी कभी पागल कहकर कभी उन पर पत्थर फेंक कर कहीं ना कहीं ओ है अपने आपको पागल सिद्ध करते हैं अगर आपके आसपास भी इस प्रकार के लोग हैं और आप भी इस प्रकार की मानव आदि कार्य करते हैं तो उसकी फोटो भेज कर हमारे आवाज एनजीओ की तरफ से ₹200 पेटीएम द्वारा मदद स्वरूप ले सकते हैं ऐसे लोगों की मदद एवं सहायता करने में जो आनंद एवं चैन की नींद आती है उसका एक अलग ही मजा होता है एक बार ऐसा पुनीत कार्य आप भी करके देखें 🎯✍✍🙏
शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019
🎆दीपावली 🕊हो या हो 🚩छठ भारतीय 🚅रेल एवम रेल👷कर्मचारी पहुंचाएंगे 👪यात्रियों को फटाफट🌻🙏
देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली एवं छठ यह त्यौहार पूरे विश्व भर में भारतीयों द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाएं जाते है पूरे विश्व भर में सबसे अधिक उत्तर भारतीय राज्यों के विहार उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश झारखंड राजस्थान इन राज्यों के निवासी सबसे अधिक विदेशों दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ-साथ देश की राजधानी एवं अनेक औद्योगिक क्षेत्रों में जीवन यापन के लिए कार्य करते हैं एवं आर्थिक लाभ कमा कर साल में एक बार दीपावली एवं छठ पर अपने परिवार के साथ त्यौहार मना कर अपनी खुशी का इजहार करते हैं
विश्व के सबसे अधिक क्षेत्रफल घनत्व बाले क्षेत्र मैं करोड़ों की संख्या में एक ही समय पर लोगों को पहुंचाना एवं त्योहारों के बाद वापस अपने अपने कार्यों के लिए वापस गंतव्य पर भेजना भारत जैसे विकासशील देशों के यातायात तंत्र के लिए लिए एक चुनौती होता है इसीलिए त्योहारों के पहले ही देश का सबसे बड़ा यातायात तंत्र भारतीय रेलवे अपनी तैयारियां शुरू कर देता है इसके लिए अपने कर्मचारियों की सुविधा अनुसार लिए जाने वाले अवकाश एवं रेस्ट को पूरी तरह से प्रतिबंधित करके मात्र आपात स्थिति में ही उन्हें राहत लेने के लिए दिशा निर्देश दे देता है जिसके कारण भारतीय रेलवे मैं विशेष जिम्मेवारी निभाने करने वाले विभागों के कर्मचारियों के लिए कोई भी त्यौहार हो वह भारतीय रेलवे एवं देश के यात्रियों की सेवा में ही समर्पित हो जाता है त्योहारों के पहले से ही सबसे अधिक दबाव भारतीय रेलवे पर बढ़ जाती है विश्व की सबसे बड़ी आबादी एक साथ एक ही समय पर एक ही क्षेत्र में यात्रा करती है अनेकों अतिरिक्त ट्रेनें एवं यातायात साधन बढ़ाने के बाद भी एक जन सैलाब उमड़ता है जो कि हर इंतजाम पर भारी पड़ता है जिसके कारण लोगों को आरामदायक सफर मुश्किल भरा हो जाता है छठ एवं दीपावली जैसे त्योहारों पर आपाधापी भरे माहौल में सफर करना बड़ा ही संघर्ष का कार्य है इन त्योहारों पर कई महीनों पूर्व ही हवाई रेल सड़क यात्रा के जितने भी साधन हैं वह पूरी तरह से बुक हो चुके होते हैं लेकिन हर किसी को हर कीमत पर अपने घर पहुंचने की लालसा कहीं ना कहीं भारती यातायात व्यवस्था के लिए समस्याएं पैदा कर जाती है सबसे अधिक भीड़ मुंबई एवं दक्षिण भारत के साथ देश की राजधानी दिल्ली से आने वाली ट्रेनों में अधिक होती है तत्काल कोटा जैसे सुविधाओं में तय कीमत से अधिक कीमत करने के बाद भी किसी प्रकार की सीट उपलब्ध नहीं है ट्रेन से यात्रा करना हवाई जहाज की यात्रा करने से भी महंगा बन जाता है जनरल बोगी से यात्रा करना अपने जीवन से खिलवाड़ जैसा हो जाता है जनरल बोगी में यात्रा नारकीय जीवन से भी बदतर बन जाती है मजबूरी में लोग एक पैर पर खड़े होकर अपने घर पहुंचने के लिए सैकड़ों मिलो की यात्रा कर रहे हैं देश का सबसे बड़ा यातायात जाल भारतीय रेलवे जोकि देश की यातायात व्यवस्था की लाइफलाइन भारतीय रेल त्यौहार में के साथ-साथ अपनी छवि को बनाए रखते हुए अतिरिक्त गाड़ियां चलाकर अपने रेल कर्मचारियों से उनकी क्षमता से अधिक कार्य कराके लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने का बीड़ा उठा रखा है इसके लिए भारतीय रेलवे के कर्मचारी जो कि अपने त्यौहार को खराब करके लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं आपको बता देंगे भारतीय रेलवे में देश के विभिन्न त्योहारों के आने के पूर्व ही विशेष आदेश निकल जाता है एवं कुछ प्रतिशत या आपातकाल स्थिति में कर्मचारियों को अवकाश दिया जाता है लेकिन वह भी तेल मालिश एवं विशेष कृपा के माध्यम से गिने चुने लोगों को उपलब्ध हो पाता है अनेकों कर्मचारी ऐसे हैं कि जिन्हें हर त्योहारों पर रेल कार्य करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो वह हर त्योहार अपना घर पर ही मनाते हैं इसे उनकी किस्मत कहें या फिर ऊपरी कृपा वर्तमान में भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए अनेक दीपावली स्पेशल अतिरिक्त ट्रेन चला रखी हैं जिससे रेलवे की रनिंग कर्मचारियों की जिम्मेवारी लगभग दोगुनी हो चुकी है चुकी रनिंग कर्मचारियों की विशेष दायित्व का निर्वहन करते हैं साथ ही साथ ट्रैक पर काम करने वाले ट्रैक मैन गेट मैन एवं तमाम रेलवे कर्मचारी जो कि सुरक्षित एवं संरक्षित रेल चलाने के लिए कमर कसे हुए है शायद इस बार भी रेल यात्रियों को सुरक्षित अपने घरों में त्यौहार मनाने के लिए पहुंचाने में ही ड्यूटी पर ही दीपावली एवं छठ पूजा मनानी पड़ेगी
गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019
कमरतोड़ महंगाई एवं बेरोजगारी में करवा चौथ का व्रत बना आम लोगों की मुसीबत
महिलाओं के जीवन मैं सबसे महत्वपूर्ण त्योहार करवा चौथ होता है जिस दिन भारतीय महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है जिसमें बिना कुछ अन्य एवं जल ग्रहण किए हुए चौथ के सबसे ऊर्जावान चांद को देख एवं उसके बाद अपने पति की पूजा कर उसके हाथ का पहला निवाला एवं पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती है यह त्यौहार महिलाओं के साथ उनके पतियों के लिए खर्चे वाला त्योहार माना जाता है जिसके लिए महिलाएं कई दिनों से बाजारों में खरीददारी एवं तैयारियां करना चालू कर देती है यह त्योहार वर्तमान में टेलीविजन सोशल मीडिया के माध्यम से उच्च वर्गीय परिवार से निम्न स्तर के परिवारों तक पहुंच चुका है पूर्व में जमीदार एवं संपन्न परिवार की महिलाएं इस व्रत को किया करती थी लेकिन धीरे-धीरे यह छोटे-छोटे कस्बों एवं गांव के गरीब किसान मजदूर के घरों तक पहुंच चुका है वर्तमान समय में कमरतोड़ महंगाई एवं बेरोजगारी में जहां परिवार के मुखिया को अपने परिवार एवं बच्चों का पेट भरने के लिए भी बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है वही इस प्रकार की खर्चीले त्यौहार लोगों के घरों में विवाद का कारण बन रहे हैं समाज में जिस तरीके से सोशल मीडिया एवं टेलीविजन जैसा परिधान एवं अत्याधुनिक दिखने की चाहत का समाज में वातावरण बना हुआ है वही आम महिलाओं की स्वाभाविक मानसिकता एक दूसरे की देखा देखी अपने पति एवं परिवार की बिना आर्थिक स्थिति जाने तमाम आशाएं एवं सपने संजोने लगती हैं महिलाओं के सपने एवं मांगे पूरी ना होने पर परिवार में मानसिक एवं बेमतलब का विवाद फैल जाता है जोकि परिवारिक अटूट बंधन को खोखला बना देता है परिवारों में खोखला पन भविष्य में अलगाव का कारण बन जाता है भारतीय महिलाओं को चाहिए कि बिना किसी दूसरे को देख कर इस विपरीत समय जहां लोगों में आर्थिक संकट व्यापार में आर्थिक मंदी युवाओं में बेरोजगारी एवं कमरतोड़ महंगाई मैं परिवार के हालात को समझ कर परिस्थितियों से समझौता कर करवा चौथ जैसी पवित्र त्यौहार को सादगी पूर्वक अपने परिवार के साथ मना कर अपने परिवार को स्वर्ग बनाएं💝🌻🌻🌻🎂🎂🎂🎂⚘⚘⚘✍🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बुधवार, 16 अक्टूबर 2019
देश की सबसे चहेती एवं लाभ देने वाली ट्रेन पुष्पक एक्सप्रेस
भारतीय रेलवे कितनी ही नई ट्रेनें चला ले लेकिन लोगों में जिस ट्रेन के प्रति दीवानगी बढ़ जाती है वह उसे कभी नहीं छोड़ते जी हां हम बात कर रहे हैं देश की ऐसी ट्रेन जिसके लिए लोगों में दीवानगी की हद तक प्यार है वह ख्याति प्राप्त सबसे अधिक आय देने वाली यात्री ट्रेन है पुष्पक एक्सप्रेस जोकि उत्तर प्रदेश की राजधानी एवं नवाबों के शहर लखनऊ से देश की औद्योगिक नगरी मुंबई के मध्य चलती है यह लखनऊ से मुंबई के बीच चलने वाली एक ऐतिहासिक ट्रेन है इस ट्रेन से यात्रा करने की चाहत हर आम एवं खास यात्रियों को रहती है इस ट्रेन से यात्रा करने वालों में सबसे अधिक व्यापारी बिहार पूर्वांचल एवं गोरखपुर के साथ लखनऊ के आसपास क्षेत्रों के मुंबई में मेहनत मजदूरी करने वाले लोग एवं वह छात्र एवं कलाकार जो की माया नगरी में अपना कैरियर बनाने के लिए जाते है वैसे तो लखनऊ से मुंबई जाने के लिए अनेकों ट्रेन चलती हैं लेकिन लोगों में इस पुष्पक ट्रेन के लिए दीवानगी इस कदर है कि इस ट्रेन का लखनऊ के पूर्वोत्तर रेलवे स्टेशन लखनऊ जंक्शन से प्रस्थान का समय 19:45 है लेकिन लोग इसमें जगह पाने के लिए सुबह 10:00 बजे से ही स्टेशन पर पहुंचकर लाइन लगाना चालू कर देते हैं इसका स्लीपर एवं एसी का रिजर्वेशन कई हफ्तों एवं महीनों तक एडवांस बुकिंग रहती है लोगों को यात्रा करने के लिए इस ट्रेन में रिजर्वेशन पाना बहुत ही कठिन कार्य क्योंकि हर कोई इस ट्रेन से यात्रा करने के लिए तत्पर रहता है क्योंकि यह ट्रेन पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 6 से मुंबई के मध्य प्रस्थान करती है लेकिन अनेक यात्रियों की लखनऊ के स्टेशनों से अनभिज्ञ हैं वह इस ट्रेन का इंतजार लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर पहुंचकर करते रहते हैं लेकिन जब प्रस्थान का समय नजदीक हो जाता है तो वह इस ट्रेन के विषय में अन्य लोगों से जानकारी लेते हैं और लखनऊ जंक्शन स्टेशन से प्रस्थान होने की जानकारी पाने के बाद पकड़ने के लिए दौड़ते रहते हैं अनेकों बार कई यात्रियों की ट्रेन जानकारी के अभाव में छूट जाती है क्योंकि ट्रेन पूर्ण रूप से भर कर जाती भेड़ बकरियों की तरह भरे इस ट्रेन के जनरल स्लीपर डिब्बे देखकर कोई भी डर जाए लखनऊ से मुंबई जाने वाली कई ट्रेनें जनरल डिब्बे के मामले में पुष्पक से भी ज्यादा बदनाम है जिसमें कई ट्रेनें है जोकि गोरखपुर से आती हैं उन ट्रेनों में जनरल के साथ स्लीपर क्लास डिब्बे की हालात बद से बदतर होते है जहां शौचालय में भी लगभग 4 से 5 लोग खड़े खड़े गोरखपुर से मुंबई तक की यात्रा करते हैं अनेकों यात्री जोकि पुष्पक एक्सप्रेस से अंतिम चरण में यात्रा करते हैं वह जनरल का टिकट लेकर स्टेशन पर ही मौजूद स्थानीय चेकिंग स्टाफ द्वारा स्लीपर के लिए रसीद बनवा लेते हैं जिससे उनको स्लीपर में यात्रा करने की परमिशन मिल जाती है इस कारण स्लीपर में भी जनरल जैसी हालत हो जाते है यात्रियों के द्वारा जनरल टिकट से रसीद कटवा कर स्लीपर में यात्रा करनी के कारण स्थानीय चेकिंग स्टाफ के साथ उस वक्त में चलने वाला चेकिंग स्टाफ का महीनों एवं सालों रसीद बनाने का जो टारगेट होता है वह मात्र कुछ ही दिनों में पूर्ण हो जाता है इस ट्रेन के विषय में लगभग सभी लोग जानते हैं कि यह एक तरह से रेलवे को आए देने वाली स्पेशल ट्रेन है अगर भविष्य में ऐसी ट्रेनों को प्राइवेट कंपनियों को दे दिया जाए तो एक तरह से आम एवं खास यात्रियों पर आसमान ही टूट पड़ेगा इस ट्रेन में जरूरत है जनरल कोच के डिब्बों को बढ़ाने की एवं लोगों को जागरूक करने की के अन्य ट्रेन भी मुंबई की ओर जाती है वह उनमें में भी यात्रा कर सकते हैं एवं इसके प्रस्थान के समय चारबाग स्टेशन पर भी इस ट्रेन के लखनऊ जंक्शन से जाने का उद्घोषणा कराने की जरूरत है
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019
₹25000 तो दिए नहीं पर होमगार्डों की नौकरी छीन ली न माया मिली ना मिले राम
उत्तर प्रदेश के होमगार्ड को नवरात्रि के पहले मिली खुशी दीपावली के पहले गम में बदली साथियों वर्तमान समय मैं देश एवं प्रदेश का राजनैतिक व्यवसायिक आर्थिक सामाजिक मौसम सच में बहुत ही खराब चल रहा है लोगों को पता ही नहीं चलता की किस पर बिजली गिरने वाली है वर्तमान में बिजली गिरी है उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्डों एवं उनके परिवार के ऊपर जो कि एक ही झटके में सड़कों पर आ गए आपको बता दें की उत्तर प्रदेश में होमगार्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यह समाज के वह कड़ी हैं जोकि उच्च अधिकारियों से लेकर धनाढ्य लोगों के साथ आम जनता की डांटने फटकार गुस्सा तिरस्कार गालियां एवं हिंसा आदि का प्रशासन के सबसे निम्नतम पायदान पर खड़े होकर सहन करता है ज्यादातर होमगार्ड छोटे परिवारों एवं जातियों से आने वाले वह लोग हैं जो कि परिवारिक पृष्ठभूमि गरीबी एवं अन्य कारण से शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके लेकिन शारीरिक एवं मानसिक रूप से समाज एवं देश की सेवा के उद्देश्य से एवं बेरोजगारी मैं अपने परिवार का भरण- पोषण करने के लिए सबसे कम मानदेय में होमगार्ड के पद पर नियुक्त हुए थे जहां से वह जैसे तैसे अपने परिवार का पेट भरने का भी इंतजाम करते थे पूर्व में इनकी ड्यूटी महीने के कुछ दिनों के लिए ही लगाई जाती थी जिसका उन्हें नाम मात्र का मानदेय दिया जाता था एवं ड्यूटी लगाने के लिए भी उन्हें उच्च अधिकारियों की जी हजूरी करनी पड़ती थी अनेकों होमगार्ड परिवार ऐसे हैं कि जो कम मानदेय के कारण भुखमरी की कगार पर थे और वर्तमान में भी हैं लेकिन पिछले दिनों माननीय सुप्रीम कोर्ट के उत्तर प्रदेश सरकार को दिए हुए आदेश अनुसार उत्तर प्रदेश के होमगार्डों का मानदेय 25000 करने की घोषणा के बाद इनमें खुशी की लहर दौड़ गई थी और इन्हें अपने परिवार एवं बच्चों का भविष्य उज्जवल दिखाई देने लगा था लेकिन उनकी खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई और कुछ लोगों को इनकी बड़ी हुई सैलरी हजम नहीं हुई और आदेश निकाल दिया कि उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्डों को हटाया जाएगा इस आदेश ने एक ही झटके में उत्तर प्रदेश के होमगार्ड की खुशी को आसमान से जमीन पर पटक दिया उत्तर प्रदेश के लगभग 25000 होमगार्ड जिनके साथ जुड़े उनके लगभग परिवार के 100000 सदस्यों पर यह आदेश आते ही मानो इन पर आसमान टूट पड़ा हो हर जगह उनके परिवारों में कोहराम मच गया इस आदेश के बाद सबसे अधिक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के गरीब परिवारों को समाज की मुख्यधारा से अलग होना पड़ेगा उत्तर प्रदेश के होमगार्ड उत्तर प्रदेश की यातायात व्यवस्था के साथ रेलवे के गेटों प्रमुख संस्थानों धार्मिक आयोजनों राजनीतिक रैली एवं सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा से संबंध बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेवारी निभाते रहे हैं ज्यादातर होमगार्ड स्थानीय होने के कारण इनका मुखबिर तंत्र इतना मजबूत होता था जिससे कई बड़ी घटनाओं को रोका जाता था उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्डों को निकालने का निर्णय किस संदर्भ में लिया गया यह तो होमगार्ड एवं उनके परिवार के साथ आम जनता की भी समझ से परे है क्योंकि ज्यादातर होमगार्ड 25000 की खुशी के चक्कर में अपनी रोजी-रोटी से भी हाथ धो बैठे उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्ड अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं अब तो वह अपने पुराने मानदेय पर ही नौकरी करने के लिए तैयार हैं अपने बच्चों को उच्च शिक्षा एवं परवरिश ना सही कम से कम अपने परिवार का रूखा सूखा करके पेट तो भर सकेंगे अब इतना तो तय है कि वर्तमान समय कर्मचारियों के लिए बड़ा ही विपरीत समय है पता नहीं सुबह उठते ही किसकी नौकरी पर खतरा मंडराना शुरू हो जाए माननीय सुप्रीम कोर्ट के साथ ही राज्य सरकार को 25000 होम गार्डों को परिवार को ध्यान में रखकर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की जरूरत है🕊🙏🙏🙏🙏😢😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭✒📣
सोमवार, 14 अक्टूबर 2019
🚅तेजस ट्रेन वाली 🕵कंपनी बिना कुछ🤔 किए हुई 💰मालामाल
शुक्रवार को इस कंपनी का शेयर ₹320 मात्र था जो कि आज मार्केट खुलने पर सीधा 115 परसेंट बढ़कर ₹ 690 रुपए पहुंच गया अब उसे तेजस जैसी ट्रेनों से फायदा हो या नुकसान हो यह तो भविष्य मैं पता चलेगा लेकिन कंपनी की पूंजी कई गुना बढ़ जाएगी आपको बता दें की केंद्र सरकार एवं भारतीय रेल द्वारा 150 ट्रेनों को प्राइवेट कंपनियों द्वारा संचालित कराने का निर्णय लिया है जिसको देखकर शेयर मार्केट में इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड के शेयर में भूचाल ला दिया हर कोई इस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए उतारू हो गए जिससे एकाएक इसका शेर ऊंचाई पर पहुंच गया और इसकी मार्केट वैल्यू ज़ूम मार गई भविष्य में ट्रेनों के निजीकरण से रेल कर्मचारियों का क्या भविष्य होगा इससे कंपनी को कोई लेना देना नहीं लेकिन इस कंपनी का भविष्य बिना कुछ किए ही उज्जवल हो चुका है
रविवार, 13 अक्टूबर 2019
तेजस को समय से चलाने के लिए सुरक्षा एवं संरक्षा से खिलवाड़
क्या आपको पता है देश की प्रथम प्राइवेट ट्रेन तेजस को चलाने के लिए हजारों यात्रियों को असुविधा हुई है भारत की प्रथम निजी ट्रेन को संचालित करने का निर्णय लिया जो ट्रेन संचालित की जा रही है वह देश में रेल के आधुनिक भारत की शुरुआत के नाम से प्रचारित की जा रही है इसका किराया हवाई जहाज किराए के लगभग है एवं संचालन करने वाली कंपनी किसी भी समय इसका किराया अपने हिसाब से बढ़ा सकती है इसमें रेलवे ड्राइवर एवं गार्ड को छोड़कर किसी भी सरकारी रेल कर्मचारी का प्रत्यक्ष रूप से कोई हस्तक्षेप नहीं है कंपनी द्वारा तेजस एक्सप्रेस के संचालन से पूर्व ही यात्रियों को लुभाने के लिए घोषणा कर चुकी है कि ट्रेन के 1 घंटे लेट होने पर पर यात्रियों को ₹100 एवं 2 घंटे लेट होने पर ₹250 दिए जाएंगे इसी लोक लुभावने वादे को पूरा करने के लिए ट्रेन संचालन कंपनी द्वारा भारतीय रेल के तंत्र को ही दूषित करना चालू कर दिया तेजस को समय सीमा में चलाने के लिए जितनी भी सुपर फास्ट एक्सप्रेस मेल पैसेंजर माल गाड़ियां तेजस के आने एवं जाने के समय पूर्व या बाद में चलाई जाती हैं उन्हें तेजस एक्सप्रेस के आने एवं जाने से कई घंटों एवं मिनट पहले रोक दिया जाता है गेटमैन गैंगमैन पॉइंटमैन स्टेशन मास्टर से लेकर पूरे कंट्रोल को एक हाउवा बनाकर रख दिया है कि तेजस आने वाली है सभी गाड़ियों को साइड में करके उसे पहले वरीयता देकर चलाया जाए जिससे भविष्य में आम पब्लिक को निजी करण से चलने वाली तेजस एक्सप्रेस ट्रेन का गुणगान किया जा सके आपको बता दें की रेल इंजन में लोको पायलट सहायक लोको पायलट एवं रेल से संबंधित अधिकारी एवं तकनीकी कर्मचारी के अलावा किसी भी व्यक्ति को जाना अलाउड नहीं होता है लेकिन तेजस एक्सप्रेस ट्रेन के टाइम टेबल को सही बनाए रखने के लिए प्राइवेट कर्मचारी रेल इंजन में उपस्थित होकर एक तरह से स्पीडो मीटर पर नजर रखकर कहीं ना कहीं लोको पायलट एवं असिस्टेंट लोको पायलट पर मंडली प्रेशर बनाते रहते हैं एवं स्पीड को लेकर ड्राइवर से लेकर स्टेशन मास्टर और कंट्रोल को दिशा-निर्देश देते रहते हैं जिससे रेलवे का मूल उद्देश्य एवं मंत्र संरक्षण एवं सुरक्षा को पलीता लगाया जा रहा है जिससे भविष्य में यह भारतीय रेल एवं यात्रियों के लिए बड़ा घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि प्राइवेट ट्रेन की शुरुआत आनन-फानन में की गई है उसके लिए अभी तक सुरक्षा संरक्षण से संबंधित एवं प्राइवेट कर्मचारियों के लिए किसी भी प्रकार के दिशानिर्देश तय नहीं किए गए हैं ना ही रेल नियमावली जी आर एस आर मैं किसी प्रकार का नवीन अध्याय नहीं जोड़ा गया जोकि रेल के नियमों को प्राइवेट ट्रेन संचालन के नियमों से संबंध करके कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों एवं अधिकार से अवगत करा सकें भारतीय रेल कर्मचारियों ने मांग की है कि निजी करण से Tejas एक्सप्रेस लाभ कमाने के उद्देश्य संचालन की शुरुआत के साथ रेल कर्मचारियों की सुरक्षा एवं संरक्षा का विशेष ध्यान रखें क्योंकि देश के प्रत्येक सरकारी रेल कर्मचारी को शपथ दिलाई जाती है समय सीमा उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितनी सुरक्षा एवं संरक्षा अनेकों बार किसी भी प्रकार की अनहोनी होने की आशंका एवं दुर्घटना होने का आभास होने पर रेल लोको पायलट अपने स्वविवेक से निर्णय लेकर ट्रेन की स्पीड को कम करके अनहोनी को टालते रहते हैं एवं उसके विषय में कंट्रोल को अवगत कराते रहते हैं लेकिन जब उन्हें ट्रेन संचालित करने के लिए इंजन में उपस्थित होकर समय सीमा का दबाव बनाया जाएगा तो वह कहीं ना कहीं सुरक्षा से खिलवाड़ करके अपने टारगेट को पूरा करेंगे जिससे भविष्य में रेल के साथ रेल यात्रियों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए रेल प्रशासन रेल के संरक्षण एवं सुरक्षा के जाल को किसी भी प्राइवेट संचालित कंपनी को तोड़ने की अनुमति ना दे क्योंकि पैसा एवं समय बचाने से महत्वपूर्ण है लोगों की संरक्षा एवं सुरक्षा आप सभी रेल कर्मचारी एवं यात्री सुरक्षित रहें संरक्षित रहे आपकी यात्रा मंगलमय हो आपका अपना भारतीय रेल परिवार 🚄🔊✍✍✍✍✍🙏🙏🌷🌷
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