गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

रेलवे ऑन ड्यूटी यात्रा अथॉरिटी पास हुए चोरी मचा हड़कंप रेल यूनियनों ने बताया निजी करण का दुष्परिणाम

भारतीय रेल में वर्तमान समय मैं कुछ भी अच्छा  घटित नहीं हो रहा है रेल की प्रमुख यूनियने काफी समय से भारत सरकार द्वारा किए जा रहे रेल के निजीकरण के विरोध में मुहिम चला रही थी एवं भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों के लिए रेल प्रशासन को आगाह भी कर रही थी इसी बीच एक ताजा मामला आया है जबलपुर रेलवे स्टेशन के लोको रनिंग लाॅबी का जहां पर क्रू कंट्रोलिंग लाॅबी में प्राइवेट कंपनी एवं ठेकेदार के कर्मचारियों को को  पास बनाने बुकिंग फोन करने एवं सफाई जैसे कार्यों के लिए लगाया गया था सभी को ज्ञात है कि जितने भी प्राइवेट कंपनियों एवं ठेकेदारों द्वारा प्राइवेट कर्मचारी लगाए गए हैं उनकी जो अनुबंधित सैलरी होती है उससे आधी भी उनके हाथ में नहीं पहुंच पाती है जिस एजेंसी या ठेकेदार के माध्यम से यह कर्मचारी लगाए जाते हैं वह इनकी मिलने वाली वेतन से अपना एक मोटा कमीशन निकाल लेता है कम पैसों में प्राइवेट कर्मचारी कहीं ना कहीं अपने आप को ठगा महसूस करते  हैं और उसकी पूर्ति करने के लिए कहीं से भी दाएं बाएं करके अपना बजट पूरा करने की कोशिश करते हैं उसी के दुष्परिणाम स्वरूप पश्चिम रेलवे के जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थित लोको रनिंग लॉबी की यह घटना सामने आई जिसमें महत्वपूर्ण अभिलेखों की देखभाल में तैनात प्राइवेट कर्मचारी द्वारा रेल के लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट को  ऑन ड्यूटी  पास ड्यूटी के दौरान दिए जाने वाले अथॉरिटी पास की चोरी की गई यह मामला तब उजागर हुआ जब  लोको लॉबी सुपरवाइजर द्वारा लोको  पायलट एवं सहायक को दिए जाने वाले ड्यूटी के दौरान ट्रेन यात्रा के लिए रनिंग पास की बुकलेट का निरीक्षण करने पर उसमें से दो पास गायब मिले आनन-फानन में इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों के साथ आरपीएफ को दी गई जब रेल विजिलेंस जांच दल द्वारा इस मामले की जांच की गई  तो सीसी कैमरे में यात्रा पास की चोरी करते हुए दो प्राइवेट कर्मचारी को देखा गया  इसके बाद  पूरी टीम द्वारा यात्रा पास चोरी करने वाले कथित प्राइवेट कर्मचारी को दबोचा गया एवं दूसरा बिहार भाग गया अब इन प्राइवेट कर्मचारी पर रेल प्रशासन क्या कार्यवाही करता है यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस घटना से तमाम रेल कर्मचारियों के साथ रेल की यूनियनों द्वारा निजीकरण का विरोध तेज करने का मौका मिल गया है रेल कर्मचारी एवं रेल यूनियन  को भी ज्ञात  हैं कि  यह सब चोरी जैसी क्रियाकलाप मैं  परिस्थिति के मारे  इन प्राइवेट कर्मचारियों का कहीं ना कहीं ठेकेदार एवं  विभिन्न कार्य कराने वाली प्राइवेट संस्था के द्वारा शोषण किया जा रहा है उन्हें तय कीमत पर रखने के बाद भी उनके एटीएम एवं पासबुक के माध्यम से उनकी सैलरी निकलवा ली जाती है और उन्हें ऊंट के मुंह में जीरा जैसी  सैलरी पकड़ा दी जाती है विरोध करने पर नौकरी से निकाल कर किसी दूसरे को रखने  की धमकी दी जाती है ऐसी स्थिति में वह विरोध भी नहीं कर   पाते हैं कम सैलरी में उन्हें अपना घर परिवार चलाना बड़ा ही मुश्किल हो गया है अधिक लाभ कमाने  लालच एवं घर की जरूरतों की पूर्ति के लिए कहीं ना कहीं  प्राइवेट कर्मचारी भारतीय रेल के सुरक्षा एवं संरक्षा से बने हुए ताने-बाने से खिलवाड़   करते रहते हैं जिससे आने वाले समय में रेल सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनकर यह प्राइवेट कर्मचारी रेल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं एवं कोई भी अनहोनी घटना  होने पर क्योंकि यह कंपनी एवं ठेकेदार द्वारा लगाए गए होते हैं तो किसी भी कानूनी कार्रवाई से ठेकेदार एवं कंपनी अपना पल्ला झाड़ लेगी और दुष्परिणाम इन गरीब एवं परिस्थिति के मारे हुए कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा जोकि ठेकेदार द्वारा भविष्य में परमानेंट रेलवे में नियुक्ति होने का सब्जबाग दिखाकर एवं दलाली के तौर पर एक मोटी रकम जमा करने के बाद इन्हें  रेल के विभिन्न  स्थानों एवं कार्यों में प्राइवेट तौर पर रखते हैं सैलरी के नाम पर मात्र पांच से ₹7000 पकड़ा कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं प्रशासन को इस प्रकार की भविष्य में होने वाली गड़बड़ी एवं सुरक्षा की अनदेखी को दूर करने के लिए प्राइवेटकरण पर सोच समझकर कदम उठाने चाहिए👮✍💣💣🙏🙏🙏🙏🙏

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