गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

2 अक्टूबर विश्व अहिंसा दिवस पूरे विश्व की दुर्लभ निधि थे महात्मा गांधी जी बारूद के ढेर पर बैठे विश्व को बस गांधी दर्शन ही बचा सकता है

 
आज पूरे विश्व में महात्मा गांधी जी की 150   बी जन्म शताब्दी मनाई जा रही है 2 अक्टूबर पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है पूरा विश्व दक्षिण अफ्रीका की रेल यात्रा  विश्व युद्ध के पहले एवं द्वितीय गोलमेज सम्मेलन से लेकर आज तक  महात्मा गांधी जी दर्शन से अत्यधिक प्रभावित  है एवं गांधी जी के रूप में  विश्व शांति के लिए  उन्हें एवं उनके विचारों को शांति दूत एवं संदेश के रूप में  देखता है  भारतीय लोग भी गांधी जी को देश के लिए एवं विश्व के लिए विशेष निधि मानते हैं गांधी जी का जीवन और उनके विचार गांधी दर्शन के रूप में जाने जाते हैं गांधी दर्शन के विषय में  विश्व के अनेक देशों के महान दार्शनिकों एवं साहित्यकारों एवं राजनेताओं ने अनेक शोध किए एवं अपना पूरा जीवन गांधी जी के  सत्य अहिंसा दर्शन में लगा दिया
जिसमें  अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला  जैसे अनेक अंतरराष्ट्रीय नेता रहे वर्तमान में कुछ वर्षों से देश में व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए वर्तमान युवा पीढ़ी को एक अलग ही गांधी जी के जीवन दर्शन  एवं चरित्र चित्रण से रूबरू होना  पढ़ रहा है जिसमें यता कथित कुछ लोगों ने काल्पनिक आधार पर युवा पीढ़ी में गांधी के प्रति दुर्भावना एवं बुरे विचार ला दिए जो देश एवं भविष्य में विश्व शांति के लिए बेहद एक गंभीर होंगे बहुत से युवा तर्क देते हैं गांधी ने यह किया वह किया गांधी जैसे थे वैसे थे मुझे नहीं पता गांधीजी कैसे थे गांधीजी को समझना एवं  जानना  सोशल मीडिया पर चंद रुपए में कुछ संगठनों को लाभ देने के लिए गांधी दर्शन पर कीचड़ उछालने के लिए बनाए गए चंद लाइनों के  संदेशों से समझना असंभव है अगर गांधी दर्शन को समझना है तो गांधी जी द्वारा लिखित पुस्तकों का अध्ययन निकलना होगा वह शायद देश की सबसे बड़ी युवा बेरोजगार जनसंख्या को बेहद कठिन लगे क्योंकि लोग अब व्यक्ति के चरित्र की व्याख्या मात्र कुछ लाइनों में ही कर देता है जितनी किताबें महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई हैं शायद उतनी किताबें कथित युवा पीढ़ी जो अपने आप को बेरोजगार कहते हैं लेकिन जब किताबें पढ़ने की बारी आती है तो कहते हैं हमारे पास इतना समय नहीं कि इतनी मोटी मोटी किताबें पढ़ सकें अगर जीवन में धर्म के बारे में जानना चाहते हो तो गीता पढ़ना जरूरी है उसी प्रकार अगर गांधी दर्शन को जानना चाहते हो तो गांधी जी द्वारा लिखित किताबों को पढ़ना बड़ा ही आवश्यक है अगर गांधी जी द्वारा लिखित किताबें भी नहीं पढ़ सकते तो मैं एक ऐसे महापुरुष के बारे में बताना चाहता हूं जिसने अपना पूरा जीवन गांधी दर्शन में लगा दिया उनका पूरा नाम राष्ट्रीय युवा योजना के एमएस सुब्बा राव जी मैंने जीवन में गांधी जी को तो नहीं देखा लेकिन जब मैं

सुबाराव जी को देखता हूं तो महसूस करता हूं सच में कितने महान व्यक्तित्व के धनी होंगे महात्मा गांधी जी और अपने आप को धन्य मानता हूं की मुझे एक गांधीजी देखने को नहीं मिले लेकिन उनके अंश सुबाराव जी को देखकर मैं गांधी दर्शन को भलीभांति समझ सकता हूं यह वही सुब्बा राव जी हैं जिंदगी के गांधी दर्शन से प्रभावित होकर सैकड़ों खतरनाक डकैतों ने देश के प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर के गांधी दर्शन से जीवन को जीने की कला सीखी जिन युवाओं को अभी गांधी जी के दर्शन एवं गांधी जी के विचारों पर थोड़ा भी संदेह है तो वह 94 साल के युवा डॉक्टर सुब्बा राव जी के राष्ट्रीय युवा योजना विश्व एकता एवं शांति के लिए लगाए जाने वाले  शिविरों में रहकर जीवन मैं सत्य और अहिंसा के विषय में   सही से समझ सकता है

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