शनिवार, 28 जून 2025

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 स्पेशल कवरेज

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: भक्ति का महापर्व

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: भक्ति का महापर्व

27 जून 2025 को पुरी, ओडिशा में जगन्नाथ रथ यात्रा ने अपनी अनुपम भव्यता के साथ लाखों भक्तों के दिलों को छू लिया। यह उत्सव भक्ति, आस्था और सांस्कृतिक वैभव का प्रतीक है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु उमड़े। यह यात्रा भारतीय संस्कृति की जीवंतता का उत्कृष्ट प्रदर्शन है। आइए, इस पवित्र यात्रा के रंग-बिरंगे और आकर्षक स्वरूप को जानें।

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जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: भक्ति का रंग-बिरंगा उत्सव

जगन्नाथ रथ यात्रा का परिचय

यह भव्य यात्रा पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जो 3 किलोमीटर की दूरी पर है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीन विशाल रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं, जिन्हें लाखों भक्त रस्सियों से खींचते हैं। 27 जून 2025 को शुरू हुई यह नौ दिवसीय यात्रा सात दिन गुंडिचा मंदिर में विश्राम के बाद बहुदा यात्रा के साथ समाप्त होती है।

पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

प्राचीन ग्रंथों में वर्णित यह यात्रा महाभारत काल से जुड़ी है। कथा है कि सुभद्रा ने अपने भाइयों श्रीकृष्ण और बलराम के साथ पुरी नगर देखने की इच्छा जताई, जिससे यह परंपरा शुरू हुई। राजा इंद्रद्युम्न ने भी इस यात्रा की नींव रखी। यह यात्रा आत्मा के परमात्मा से मिलन का प्रतीक है, और रथ खींचने से पाप नष्ट होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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रथ यात्रा का पौराणिक और आध्यात्मिक वैभव

रथ यात्रा का आकर्षक स्वरूप

1. तीन विशाल रथ

नीम की पवित्र लकड़ी से बने तीन रथ यात्रा की शोभा बढ़ाते हैं:

  • नंदीघोष (जगन्नाथ): 45 फीट ऊँचा, 16 पहिए, लाल-पीला रंग।
  • तालध्वज (बलभद्र): 65 फीट लंबा, 14 पहिए, लाल-हरा रंग।
  • देवदलन (सुभद्रा): छोटा रथ, 12 पहिए, लाल-काला रंग।

ये रथ फूलों और नक्काशी से सजाए जाते हैं, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

2. छेरा पहरा

पुरी के गजपति राजा सोने की झाड़ू से रथों के सामने की सड़क साफ करते हैं, जो भगवान के प्रति उनकी नम्रता को दर्शाता है।

3. सालबेग की मजार

जगन्नाथ का रथ मुस्लिम भक्त सालबेग की मजार पर रुकता है, जो सर्वधर्म समभाव का संदेश देता है।

4. भक्तों का उत्साह

27 जून 2025 को लाखों भक्तों ने 'जय जगन्नाथ' के जयकारों के साथ रथ खींचे। यह दृश्य विश्व स्तर पर आकर्षण का केंद्र बना।

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लाखों भक्तों का उत्साह और भक्ति का संगम

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • आध्यात्मिकता: आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक।
  • सामाजिक एकता: सभी वर्गों और धर्मों को जोड़ती है।
  • सांस्कृतिक धरोहर: कला, शिल्प, भजन और नृत्य का उत्सव।

विशेष परंपराएं

महाप्रसाद, नवकलेवर और पोडा पिठा जैसी परंपराएं इस उत्सव को और रंगीन बनाती हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा की अनूठी परंपराएं

वैश्विक प्रभाव

यह यात्रा भारत और विश्व भर में इस्कॉन के माध्यम से मनाई जाती है, जो भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच प्रदान करती है।

निष्कर्ष

27 जून 2025 की जगन्नाथ रथ यात्रा ने भक्ति और सांस्कृतिक वैभव का विश्वस्तरीय प्रदर्शन किया। यह उत्सव प्रेम, एकता और आस्था का संदेश देता है।

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