परिचय: एक राजनयिक से राजनेता तक का सफर
शशि थरूर, तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद, भारतीय राजनीति के एक चमकते सितारे हैं। उनकी पहचान न केवल एक कुशल राजनेता के रूप में है, बल्कि एक प्रख्यात लेखक, बौद्धिक व्यक्तित्व और पूर्व राजनयिक के रूप में भी है। संयुक्त राष्ट्र में अपने 29 साल के शानदार करियर में उन्होंने शांति स्थापना और शरणार्थी मामलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 2009 में भारतीय राजनीति में कदम रखने के बाद, उन्होंने अपनी बौद्धिक क्षमता और भाषाई दक्षता से देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ी।
*ऑपरेशन सिंदूर: वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष*
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने *ऑपरेशन सिंदूर* के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया। इस ऑपरेशन ने भारत की आतंकवाद के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' नीति को दर्शाया। वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के आतंकवाद-प्रायोजित चरित्र को बेनकाब करने के लिए केंद्र सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाए, जिनमें से एक का नेतृत्व शशि थरूर ने किया।
थरूर ने अमेरिका, गुयाना, पनामा, ब्राजील और कोलंबिया जैसे देशों में भारत का पक्ष रखा। न्यूयॉर्क के 9/11 मेमोरियल से लेकर थिंक टैंक्स और मीडिया तक, उन्होंने अपनी भाषण शैली और तथ्यों की गहरी समझ से भारत की स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उनकी अंग्रेजी, फ्रेंच और मलयालम जैसी भाषाओं में महारत ने भारत के संदेश को विश्वसनीय बनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत शांति और विकास चाहता है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ उसका रुख अटल है। इसके लिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता ने उनकी जमकर प्रशंसा की। हालांकि, उनकी अपनी पार्टी, कांग्रेस, में उनके बयानों और केंद्र के साथ सहयोग को लेकर विवाद पैदा हुआ।*कांग्रेस में विवाद: आलोचनाओं का सामना*
शशि थरूर द्वारा ऑपरेशन सिंदूर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक पहल की तारीफ ने कांग्रेस के भीतर तनाव पैदा किया। कई नेताओं ने इसे पार्टी की आधिकारिक रेखा से विचलन माना:
- उदित राज: थरूर को 'भाजपा का सुपर प्रवक्ता' कहकर तंज कसा।
- पवन खेड़ा: थरूर की किताब द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर का हवाला देकर उनके पुराने बयानों को उजागर किया।
- जयराम रमेश: अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा, "कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना अलग बात है।"
- मल्लिकार्जुन खड़गे: बिना नाम लिए थरूर पर निशाना साधा कि कुछ लोग 'मोदी पहले, देश बाद में' की सोच रखते हैं।
- सुप्रिया श्रीनेत: स्पष्ट किया कि थरूर के बयान उनकी निजी राय हैं, न कि पार्टी की।
*कांग्रेस में भविष्य: रहेंगे या जाएंगे?*
थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच मतभेद कोई नई बात नहीं हैं। 2014 में उन्हें प्रवक्ता पद से हटाया गया था, और 2022 में उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, जो उनकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। हाल की घटनाओं, जैसे केरल के निलांबुर उपचुनाव में प्रचार से बाहर रखे जाने, ने उनके भविष्य को लेकर अटकलों को जन्म दिया।
क्या थरूर भाजपा में जाएंगे?
थरूर के मोदी की तारीफ और केंद्र के साथ सहयोग से भाजपा में उनकी संभावित भूमिका की चर्चाएं तेज हुईं। भाजपा नेता तुहिन सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस थरूर की विदेश नीति में विशेषज्ञता की उपेक्षा कर रही है। हालांकि, थरूर ने स्पष्ट किया, "मैं भाजपा में नहीं जा रहा, मैं सिर्फ भारत के लिए खड़ा हूं।"कांग्रेस में रहकर देश की सेवा
थरूर ने कहा कि कांग्रेस के मूल्य उनके दिल के करीब हैं। उनकी लोकप्रियता, खासकर शहरी मध्यम वर्ग और युवाओं में, कांग्रेस के लिए एक संपत्ति है। फिलहाल, उनके कांग्रेस छोड़ने के कोई ठोस संकेत नहीं हैं, और वे पार्टी के भीतर रहकर देश की सेवा जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं।*बौद्धिक नेताओं का उपयोग: एक राष्ट्रीय सिस्टम की जरूरत**
शशि थरूर जैसे बौद्धिक व्यक्तियों की प्रतिभा का उपयोग राष्ट्रीय हित में करना समय की मांग है। भारतीय राजनीति में अक्सर प्रतिभाशाली लोग पार्टी लाइन या गुटबाजी के कारण अपनी क्षमता का पूरा प्रदर्शन नहीं कर पाते। निम्नलिखित सुझाव इस दिशा में उपयोगी हो सकते हैं:
- गैर-राजनीतिक मंच: विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बौद्धिक नेताओं के लिए सलाहकार समितियां बनें।
- सर्वदलीय सहयोग: राष्ट्रीय हित में सभी दलों के नेताओं को एकजुट करने के अवसर बढ़ाए जाएं।
- पारदर्शी चयन: प्रतिनिधिमंडलों में चयन योग्यता-आधारित हो, न कि केवल निष्ठा पर।
- बौद्धिक स्वतंत्रता: नेताओं को अपनी राय व्यक्त करने की आजादी दी जाए।
- युवा जुड़ाव: थरूर जैसे नेताओं की लोकप्रियता का उपयोग युवाओं को राजनीति से जोड़ने में हो।
**निष्कर्ष: देश के लिए एक संपत्ति*
शशि थरूर भारतीय राजनीति और कूटनीति के एक अनूठे व्यक्तित्व हैं। ऑपरेशन सिंदूर में उनकी भूमिका ने साबित किया कि वे राष्ट्रीय हितों को पार्टी लाइन से ऊपर रखते हैं। कांग्रेस के भीतर मतभेदों के बावजूद, उनकी बौद्धिक क्षमता और वैश्विक पहचान उन्हें एक महत्वपूर्ण नेता बनाती है। देश को चाहिए कि थरूर जैसे नेताओं की प्रतिभा का उपयोग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किया जाए। एक ऐसा सिस्टम बनाना होगा, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर प्रतिभाशाली लोगों को अवसर दें। थरूर का भविष्य चाहे कांग्रेस में हो या किसी अन्य मंच पर, उनकी सेवा देश के लिए हमेशा मूल्यवान रहेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपका धन्यवाद आपने हमारे ब्लॉग पर टिप्पणी की