ईरान-इजराइल युद्ध: बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु ठिकानों पर हमला
प्रस्तावना
ईरान और इजराइल के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव 2024 और 2025 में सैन्य संघर्षों में बदल गया। यह तनाव ईरान के परमाणु कार्यक्रम, क्षेत्रीय प्रभाव, और हिजबुल्लाह व हमास जैसे समूहों के साथ इजराइल के संघर्षों से उत्पन्न हुआ। जून 2025 में इजराइल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले और इसके जवाब में ईरान द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल हमलों ने मध्य पूर्व में युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया।ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- अप्रैल 2024: ईरान ने सीरिया में अपने दूतावास पर इजराइली हमले के जवाब में 170 ड्रोन, 30 क्रूज मिसाइलें, और 120 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इजराइल की वायु रक्षा ने अधिकांश हमलों को नाकाम किया।
- अक्टूबर 2024: 'ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 2' के तहत ईरान ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की हत्या के जवाब में 180-200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। हताहत सीमित रहे।
जून 2025 का युद्ध: घटनाक्रम
इजराइल का ईरान पर हमला ा
- तारीख: 13 जून 2025
- विवरण: 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' के तहत 200+ फाइटर जेट्स ने तेहरान, इस्फहान, और करमानशाह में परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इस बड़े एक्शन लेने का प्रमुख उद्देश्य ईरान को हर स्थिति में परमाणु बम बनाने से रोकना इसीलिए इजराइल में कितना बड़ा कदम उठाते हुए ईरान परमाणु ठिकानों पर भीषण हमला किया
- लक्ष्य और नुकसान:
- परमाणु ठिकाने: नतांज और फोर्डो की यूरेनियम संवर्धन सुविधाएँ नष्ट।
- सैन्य ठिकाने: करमानशाह में मिसाइल गोदाम और तेहरान के सैन्य अड्डे तबाह।
- हस्तियाँ: IRGC कमांडर हुसैन सलामी, एयरोस्पेस कमांडर अमीराली हाजीजादेह, चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी, और छह परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
- रणनीति: मोसाद की खुफिया जानकारी और तस्करी किए गए विस्फोटकों ने ईरान की हवाई रक्षा को कमजोर किया।
ईरान की जवाबी कार्रवाई
- तारीख: 13-14 जून 2025
- विवरण: ईरान ने युद्ध की घोषणा की और 200+ बैलिस्टिक मिसाइलों ('हज कासेम', 'खैबर शिकन', 'फतह 1') और 100+ 'शाहिद 136' ड्रोनों से इजराइल पर हमला किया।
- लक्ष्य: नेत्जारिम कॉरिडोर, तेल अवीव, यरुशलम।
- परिणाम: इजराइल की वायु रक्षा (आयरन डोम, एरो, डेविड स्लिंग) और अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस की सहायता से अधिकांश हमले नाकाम। तेल अवीव में दो लोग घायल।
युद्ध के प्रभाव
- विनाशकारी क्षमता: ईरान की मिसाइलें (1700-2000 किमी रेंज) सैन्य ठिकानों को नष्ट कर सकती थीं, लेकिन इजराइल की रक्षा ने नुकसान सीमित किया।
- आर्थिक प्रभाव: तेल की कीमतों में उछाल, हॉर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने का खतरा।
- मानवीय प्रभाव: ईरान में नागरिक हताहत, इजराइल में तनाव।
भविष्य के संभावित परिणाम
- क्षेत्रीय युद्ध: हिजबुल्लाह, हमास, और हौथी के साथ बहु-मोर्चा युद्ध।
- आर्थिक संकट: तेल आपूर्ति बाधित, वैश्विक व्यापार प्रभावित।
- वैश्विक युद्ध: अमेरिका और रूस की भागीदारी से तीसरे विश्व युद्ध का खतरा।
- मानवीय संकट: लेबनान, गाजा, और ईरान में विस्थापन।
अमेरिका और अन्य देशों की भूमिका
- अमेरिका: इजराइल को सैन्य सहायता, मिसाइल रक्षा समर्थन, राजनयिक प्रयास।
- सऊदी अरब और खाड़ी देश: ईरान के खिलाफ परोक्ष समर्थन।
- लेबनान और सीरिया: ईरान का समर्थन, मिलिशिया के जरिए कार्रवाई।
- इराक: शिया मिलिशिया के जरिए ईरान का समर्थन।
- मिस्र और जॉर्डन: तटस्थ रुख।
- तुर्की: शांति की वकालत।
निष्कर्ष
जून 2025 का युद्ध मध्य पूर्व में अस्थिरता का कारण बन सकता है। इजराइल की रक्षा प्रणालियों ने ईरान के हमलों को सीमित किया, लेकिन परमाणु ठिकानों पर हमलों ने ईरान को नुकसान पहुँचाया। युद्ध के विस्तार से तेल संकट, मानवीय आपदा, और वैश्विक युद्ध का खतरा बढ़ सकता है। शांति के लिए राजनयिक हस्तक्षेप आवश्यक है।नोट: जून 2025 की कुछ जानकारी X पोस्ट और समाचारों पर आधारित है, जो पूरी तरह सत्यापित नहीं हो सकी। अधिक विश्वसनीय जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों की जांच की जानी चाहिए।
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