गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

रेलवे ऑन ड्यूटी यात्रा अथॉरिटी पास हुए चोरी मचा हड़कंप रेल यूनियनों ने बताया निजी करण का दुष्परिणाम

भारतीय रेल में वर्तमान समय मैं कुछ भी अच्छा  घटित नहीं हो रहा है रेल की प्रमुख यूनियने काफी समय से भारत सरकार द्वारा किए जा रहे रेल के निजीकरण के विरोध में मुहिम चला रही थी एवं भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों के लिए रेल प्रशासन को आगाह भी कर रही थी इसी बीच एक ताजा मामला आया है जबलपुर रेलवे स्टेशन के लोको रनिंग लाॅबी का जहां पर क्रू कंट्रोलिंग लाॅबी में प्राइवेट कंपनी एवं ठेकेदार के कर्मचारियों को को  पास बनाने बुकिंग फोन करने एवं सफाई जैसे कार्यों के लिए लगाया गया था सभी को ज्ञात है कि जितने भी प्राइवेट कंपनियों एवं ठेकेदारों द्वारा प्राइवेट कर्मचारी लगाए गए हैं उनकी जो अनुबंधित सैलरी होती है उससे आधी भी उनके हाथ में नहीं पहुंच पाती है जिस एजेंसी या ठेकेदार के माध्यम से यह कर्मचारी लगाए जाते हैं वह इनकी मिलने वाली वेतन से अपना एक मोटा कमीशन निकाल लेता है कम पैसों में प्राइवेट कर्मचारी कहीं ना कहीं अपने आप को ठगा महसूस करते  हैं और उसकी पूर्ति करने के लिए कहीं से भी दाएं बाएं करके अपना बजट पूरा करने की कोशिश करते हैं उसी के दुष्परिणाम स्वरूप पश्चिम रेलवे के जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थित लोको रनिंग लॉबी की यह घटना सामने आई जिसमें महत्वपूर्ण अभिलेखों की देखभाल में तैनात प्राइवेट कर्मचारी द्वारा रेल के लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट को  ऑन ड्यूटी  पास ड्यूटी के दौरान दिए जाने वाले अथॉरिटी पास की चोरी की गई यह मामला तब उजागर हुआ जब  लोको लॉबी सुपरवाइजर द्वारा लोको  पायलट एवं सहायक को दिए जाने वाले ड्यूटी के दौरान ट्रेन यात्रा के लिए रनिंग पास की बुकलेट का निरीक्षण करने पर उसमें से दो पास गायब मिले आनन-फानन में इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों के साथ आरपीएफ को दी गई जब रेल विजिलेंस जांच दल द्वारा इस मामले की जांच की गई  तो सीसी कैमरे में यात्रा पास की चोरी करते हुए दो प्राइवेट कर्मचारी को देखा गया  इसके बाद  पूरी टीम द्वारा यात्रा पास चोरी करने वाले कथित प्राइवेट कर्मचारी को दबोचा गया एवं दूसरा बिहार भाग गया अब इन प्राइवेट कर्मचारी पर रेल प्रशासन क्या कार्यवाही करता है यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस घटना से तमाम रेल कर्मचारियों के साथ रेल की यूनियनों द्वारा निजीकरण का विरोध तेज करने का मौका मिल गया है रेल कर्मचारी एवं रेल यूनियन  को भी ज्ञात  हैं कि  यह सब चोरी जैसी क्रियाकलाप मैं  परिस्थिति के मारे  इन प्राइवेट कर्मचारियों का कहीं ना कहीं ठेकेदार एवं  विभिन्न कार्य कराने वाली प्राइवेट संस्था के द्वारा शोषण किया जा रहा है उन्हें तय कीमत पर रखने के बाद भी उनके एटीएम एवं पासबुक के माध्यम से उनकी सैलरी निकलवा ली जाती है और उन्हें ऊंट के मुंह में जीरा जैसी  सैलरी पकड़ा दी जाती है विरोध करने पर नौकरी से निकाल कर किसी दूसरे को रखने  की धमकी दी जाती है ऐसी स्थिति में वह विरोध भी नहीं कर   पाते हैं कम सैलरी में उन्हें अपना घर परिवार चलाना बड़ा ही मुश्किल हो गया है अधिक लाभ कमाने  लालच एवं घर की जरूरतों की पूर्ति के लिए कहीं ना कहीं  प्राइवेट कर्मचारी भारतीय रेल के सुरक्षा एवं संरक्षा से बने हुए ताने-बाने से खिलवाड़   करते रहते हैं जिससे आने वाले समय में रेल सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनकर यह प्राइवेट कर्मचारी रेल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं एवं कोई भी अनहोनी घटना  होने पर क्योंकि यह कंपनी एवं ठेकेदार द्वारा लगाए गए होते हैं तो किसी भी कानूनी कार्रवाई से ठेकेदार एवं कंपनी अपना पल्ला झाड़ लेगी और दुष्परिणाम इन गरीब एवं परिस्थिति के मारे हुए कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा जोकि ठेकेदार द्वारा भविष्य में परमानेंट रेलवे में नियुक्ति होने का सब्जबाग दिखाकर एवं दलाली के तौर पर एक मोटी रकम जमा करने के बाद इन्हें  रेल के विभिन्न  स्थानों एवं कार्यों में प्राइवेट तौर पर रखते हैं सैलरी के नाम पर मात्र पांच से ₹7000 पकड़ा कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं प्रशासन को इस प्रकार की भविष्य में होने वाली गड़बड़ी एवं सुरक्षा की अनदेखी को दूर करने के लिए प्राइवेटकरण पर सोच समझकर कदम उठाने चाहिए👮✍💣💣🙏🙏🙏🙏🙏

बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

साहित्यकारों की चमत्कारी दूरदर्शिता संघर्ष के संदर्भ में

जब मैं कुछ इतिहासकार एवं साहित्यकारों को पढ़ता हूं तो हर बार मुझे कुछ ना कुछ नया सीखने को मिलता है आज मेरे सामने मुंशी प्रेमचंद जी की एक कविता आ गई जिसे पढ़कर पता चला कि सच में कुछ चीजें इतने सालों के बाद भी आज भी जैसी की वैसी है इस भागदौड़ भरी जिंदगी में मुकाम को पाने की चाहत लिए कई पड़ाव को पार करता हुआ इंसान कहीं ना कहीं अपने दोस्त रिश्तेदार परिवार के लोगों के साथ अच्छे बुरे अनुभव प्राप्त करता है लेकिन लोगों में एक नजरिया होता है कौन कहां कब किस मोड़ पर गलत को सही साबित कर दें सही को गलत यह व्यक्तियों की सोच पर निर्भर करता है  उसी प्रकार की अधेड़ बुन में लिखी गई यह कविता सच में मुंशी प्रेमचंद जी के संघर्षों को बयां करती है लगभग हर व्यक्ति के संघर्ष से संबंधित  कुछ शब्द इस कविता से होकर  गुजरते हैं
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     *मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता*


_ख्वाहिश नहीं मुझे_
_मशहूर होने की,

        _आप मुझे पहचानते हो_
        _बस इतना ही काफी है._

_अच्छे ने अच्छा और_
_बुरे ने बुरा जाना मुझे,_

        _क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी_
        _उसने उतना ही पहचाना मुझे._

_जिन्दगी का फलसफा भी_
_कितना अजीब है,_

        _शामें कटती नहीं और_
        _साल गुजरते चले जा रहें है._

_एक अजीब सी_
_दौड है ये जिन्दगी,_

        _जीत जाओ तो कई_
        _अपने पीछे छूट जाते हैं और_

_हार जाओ तो_
_अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं._

_बैठ जाता हूँ_
_मिट्टी पे अकसर,_

        _क्योंकि मुझे अपनी_
        _औकात अच्छी लगती है._

_मैंने समंदर से_
_सीखा है जीने का सलीका,_

        _चुपचाप से बहना और_
        _अपनी मौज मे रेहना._

_ऐसा नहीं की मुझमें_
_कोई ऐब नहीं है,_

        _पर सच कहता हूँ_
        _मुझमें कोई फरेब नहीं है._

_जल जाते है मेरे अंदाज से_
_मेरे दुश्मन,_

              _क्यों की एक मुद्दत से मैंने,
.... न मोहब्बत बदली
      और न दोस्त बदले हैं._

_एक घडी खरीदकर_
_हाथ मे क्या बांध ली_

        _वक्त पीछे ही_
        _पड गया मेरे._

_सोचा था घर बना कर_
_बैठुंगा सुकून से,_

        _पर घर की जरूरतों ने_
        _मुसाफिर बना डाला मुझे._

_सुकून की बात मत कर_
_ऐ गालिब,_

        _बचपन वाला इतवार_
        _अब नहीं आता._

_जीवन की भाग दौड मे_
_क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?_

        _हँसती-खेलती जिन्दगी भी_
        _आम हो जाती है._

_एक सवेरा था_
_जब हँसकर उठते थे हम,_

        _और आज कई बार बिना मुस्कुराये_
        _ही शाम हो जाती है._

_कितने दूर निकल गए_
_रिश्तों को निभाते निभाते,_

        _खुद को खो दिया हम ने_
        _अपनों को पाते पाते._

_लोग केहते है_
_हम मुस्कुराते बहुत है,_

        _और हम थक गए_
        _दर्द छुपाते छुपाते._

_खुश हूँ और सबको_
_खुश रखता हूँ,_

        _लापरवाह हूँ फिर भी_
        _सब की परवाह करता हूँ._

_मालूम है_
_कोई मोल नहीं है मेरा फिर भी_

        _कुछ अनमोल लोगों से_
        _रिश्ता रखता हूँ._

💌✍✍✍💘💘💘

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

👮पुलिस ने बनाया 👦लल्लनटॉप 💝मौज से मनी दीपावली

दुनिया में कितना ही अधर्म एवं लोगों में   इंसानियत मर चुकी हो लेकिन कुछ लोग मानवतावादी झंडे को लेकर हमेशा एक एहसास दिलाते रहते हैं कोई भी युग एवं समय हो मानवता ही सबसे बड़ा धर्म  कहलाता है ऐसा ही एक उदाहरण मध्य प्रदेश के सागर जिले की  टोंक थाना क्षेत्र के पुलिस प्रभारी सुनील यादव एवं उनकी टीम द्वारा दीपावली के अवसर पर एक मानसिक  दिव्यांग ताराचंद जोकि  टोंग क्षेत्र की गलियों  मैं घूमता था उसे नहला धुला  बालों को व्यवस्थित  कटवा कर कर नवीन कपड़े पहनाकर पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराते हुए राजा बाबू जैसा बना दिया

इस  दिव्यांग को  समाज की मुख्यधारा का इंसान बनाने  के इस कार्य को करने के समय पर समस्त  टोंक  थाना स्टाफ उपस्थित रहा

एवं उसकी साफ-सफाई में सहयोग करता रहा टोंक थाने के मानवता एवं इंसानियत भरे कार्य के लिए समस्त देश में सराहना की जा रही है

इस मानवता भरे कार्य को देखकर लोग इस प्रकार की करने के लिए लाली यत होने लगे की काश हम भी इसी तरीके से दिवाली मना पाते आप सभी लोगों से निवेदन है कि आपके आसपास भी अगर इस प्रकार की दिमागी दिव्यांग  लोग समाज की मुख्यधारा से हटकर घूमते हैं अक्सर लोगों  उन्हें परेशान करते रहते हैं  कभी कभी पागल कहकर कभी उन पर पत्थर फेंक कर कहीं ना कहीं ओ है अपने आपको पागल सिद्ध  करते हैं अगर आपके आसपास भी इस प्रकार के लोग हैं और आप भी इस प्रकार की मानव आदि कार्य करते हैं तो उसकी फोटो भेज कर हमारे आवाज एनजीओ की तरफ से ₹200 पेटीएम द्वारा  मदद स्वरूप ले  सकते हैं ऐसे लोगों की मदद एवं सहायता करने में जो आनंद एवं चैन की नींद आती है उसका एक अलग ही मजा होता है एक बार ऐसा पुनीत कार्य आप भी करके देखें 🎯✍✍🙏

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

🎆दीपावली 🕊हो या हो 🚩छठ भारतीय 🚅रेल एवम रेल👷कर्मचारी पहुंचाएंगे 👪यात्रियों को फटाफट🌻🙏

देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली एवं छठ  यह त्यौहार पूरे विश्व भर में भारतीयों द्वारा  बड़ी धूमधाम से मनाएं  जाते है पूरे विश्व भर में सबसे अधिक उत्तर भारतीय राज्यों के विहार उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश झारखंड राजस्थान इन राज्यों के निवासी  सबसे अधिक विदेशों  दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ-साथ देश की राजधानी  एवं  अनेक औद्योगिक क्षेत्रों में  जीवन यापन के लिए कार्य करते हैं एवं आर्थिक लाभ कमा कर साल में एक बार दीपावली एवं छठ पर अपने परिवार के साथ त्यौहार मना कर अपनी खुशी का इजहार करते हैं

विश्व के सबसे अधिक  क्षेत्रफल घनत्व बाले क्षेत्र मैं करोड़ों की संख्या में एक ही समय पर लोगों को पहुंचाना एवं त्योहारों के बाद वापस अपने अपने कार्यों के लिए वापस गंतव्य पर भेजना भारत जैसे विकासशील देशों के यातायात तंत्र के लिए लिए एक चुनौती होता है इसीलिए त्योहारों के पहले ही देश का सबसे बड़ा यातायात तंत्र भारतीय रेलवे अपनी तैयारियां शुरू कर देता है इसके लिए अपने कर्मचारियों की सुविधा अनुसार लिए जाने वाले अवकाश एवं रेस्ट को पूरी तरह से प्रतिबंधित करके मात्र आपात स्थिति में ही उन्हें राहत लेने के लिए दिशा निर्देश दे देता है जिसके कारण भारतीय रेलवे  मैं विशेष जिम्मेवारी निभाने करने वाले विभागों के कर्मचारियों के लिए कोई भी त्यौहार हो वह भारतीय रेलवे एवं देश के यात्रियों की सेवा में ही समर्पित हो जाता है त्योहारों के पहले से ही सबसे अधिक  दबाव भारतीय रेलवे  पर बढ़ जाती है विश्व की सबसे बड़ी आबादी  एक साथ  एक ही समय पर  एक ही क्षेत्र में  यात्रा  करती है  अनेकों अतिरिक्त ट्रेनें एवं यातायात साधन बढ़ाने के बाद भी एक जन सैलाब उमड़ता है  जो कि हर इंतजाम  पर भारी पड़ता है  जिसके कारण लोगों को  आरामदायक  सफर मुश्किल भरा हो जाता है छठ एवं दीपावली  जैसे त्योहारों पर आपाधापी भरे माहौल में सफर करना बड़ा ही संघर्ष  का कार्य है इन त्योहारों पर कई महीनों पूर्व ही हवाई रेल सड़क यात्रा के जितने भी साधन हैं वह पूरी तरह से बुक हो चुके होते हैं लेकिन हर किसी को हर कीमत पर अपने घर पहुंचने की लालसा कहीं ना कहीं भारती यातायात व्यवस्था के लिए समस्याएं पैदा कर जाती है सबसे अधिक भीड़  मुंबई एवं दक्षिण भारत के साथ देश की राजधानी दिल्ली से आने वाली ट्रेनों में अधिक होती है तत्काल कोटा जैसे  सुविधाओं में  तय कीमत से अधिक कीमत करने के बाद भी किसी प्रकार की सीट उपलब्ध नहीं है ट्रेन से यात्रा करना हवाई जहाज की यात्रा करने से भी महंगा बन जाता है जनरल बोगी से यात्रा करना अपने जीवन से खिलवाड़ जैसा हो जाता है जनरल बोगी में यात्रा नारकीय जीवन से भी बदतर बन जाती है मजबूरी में लोग एक पैर पर खड़े होकर अपने घर पहुंचने के लिए सैकड़ों मिलो की यात्रा कर रहे हैं  देश का सबसे बड़ा यातायात जाल भारतीय रेलवे जोकि देश की यातायात व्यवस्था की लाइफलाइन भारतीय रेल  त्यौहार में के साथ-साथ अपनी छवि को बनाए रखते हुए अतिरिक्त गाड़ियां चलाकर  अपने  रेल कर्मचारियों से उनकी क्षमता से अधिक कार्य  कराके लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने का बीड़ा उठा रखा है इसके लिए भारतीय रेलवे के कर्मचारी जो कि अपने त्यौहार को खराब  करके लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं आपको बता देंगे भारतीय रेलवे में देश के विभिन्न त्योहारों के आने के पूर्व ही विशेष आदेश निकल जाता है  एवं कुछ  प्रतिशत या आपातकाल स्थिति में कर्मचारियों को अवकाश  दिया जाता  है लेकिन वह भी  तेल मालिश एवं विशेष कृपा के माध्यम से गिने चुने लोगों को उपलब्ध हो पाता है अनेकों कर्मचारी ऐसे हैं कि जिन्हें हर त्योहारों पर रेल कार्य करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो वह हर त्योहार अपना घर पर ही मनाते हैं  इसे उनकी किस्मत  कहें या फिर ऊपरी कृपा वर्तमान में भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए अनेक दीपावली स्पेशल अतिरिक्त ट्रेन चला रखी हैं जिससे रेलवे की रनिंग कर्मचारियों की जिम्मेवारी लगभग दोगुनी हो चुकी है चुकी रनिंग कर्मचारियों की विशेष दायित्व का निर्वहन करते हैं साथ ही साथ ट्रैक पर काम करने वाले ट्रैक मैन गेट मैन एवं तमाम रेलवे कर्मचारी जो कि सुरक्षित एवं संरक्षित रेल चलाने के लिए   कमर कसे हुए है  शायद इस बार भी रेल यात्रियों को सुरक्षित अपने घरों में त्यौहार मनाने के लिए पहुंचाने में ही  ड्यूटी पर ही दीपावली एवं छठ पूजा मनानी पड़ेगी

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

कमरतोड़ महंगाई एवं बेरोजगारी में करवा चौथ का व्रत बना आम लोगों की मुसीबत

महिलाओं के जीवन  मैं सबसे महत्वपूर्ण त्योहार करवा चौथ होता है जिस दिन भारतीय महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है जिसमें बिना कुछ अन्य एवं जल ग्रहण किए हुए चौथ के सबसे ऊर्जावान चांद को देख एवं  उसके बाद अपने पति की पूजा कर उसके हाथ का पहला निवाला एवं पानी  पीकर अपना व्रत तोड़ती है यह त्यौहार महिलाओं के साथ उनके पतियों के लिए खर्चे वाला त्योहार माना जाता है जिसके लिए महिलाएं कई दिनों से बाजारों में खरीददारी एवं तैयारियां करना चालू कर देती  है यह त्योहार वर्तमान में टेलीविजन सोशल मीडिया के माध्यम से उच्च वर्गीय परिवार से निम्न स्तर के परिवारों तक पहुंच चुका है   पूर्व में जमीदार एवं संपन्न परिवार की महिलाएं इस व्रत को किया करती थी लेकिन धीरे-धीरे यह  छोटे-छोटे कस्बों एवं  गांव  के गरीब किसान मजदूर के घरों तक पहुंच चुका है वर्तमान समय में कमरतोड़ महंगाई एवं बेरोजगारी में जहां  परिवार के मुखिया को अपने परिवार एवं बच्चों का पेट भरने के लिए भी  बड़ा संघर्ष  करना पड़ रहा है वही इस प्रकार की खर्चीले त्यौहार लोगों के घरों में विवाद का कारण बन  रहे हैं समाज में जिस तरीके से सोशल मीडिया एवं टेलीविजन  जैसा परिधान  एवं अत्याधुनिक दिखने की चाहत का समाज में वातावरण बना हुआ है  वही आम महिलाओं की   स्वाभाविक मानसिकता   एक दूसरे  की देखा देखी अपने पति एवं परिवार की बिना आर्थिक स्थिति जाने तमाम आशाएं एवं सपने संजोने लगती हैं महिलाओं के सपने एवं  मांगे  पूरी  ना होने पर परिवार में मानसिक एवं बेमतलब का विवाद फैल जाता है जोकि परिवारिक अटूट बंधन को खोखला बना देता है  परिवारों में खोखला पन भविष्य में अलगाव का कारण बन जाता है भारतीय महिलाओं को चाहिए कि बिना किसी दूसरे को देख कर इस विपरीत समय जहां लोगों में  आर्थिक संकट व्यापार में आर्थिक मंदी युवाओं में बेरोजगारी एवं कमरतोड़ महंगाई मैं परिवार के हालात को समझ कर परिस्थितियों से समझौता कर करवा चौथ जैसी पवित्र त्यौहार को  सादगी पूर्वक  अपने परिवार के साथ मना कर अपने परिवार को स्वर्ग बनाएं💝🌻🌻🌻🎂🎂🎂🎂⚘⚘⚘✍🙏🙏🙏🙏🙏🙏

बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

देश की सबसे चहेती एवं लाभ देने वाली ट्रेन पुष्पक एक्सप्रेस

भारतीय रेलवे कितनी ही नई ट्रेनें चला ले लेकिन लोगों में जिस ट्रेन के प्रति दीवानगी बढ़ जाती है वह उसे कभी नहीं छोड़ते जी हां हम बात कर रहे हैं देश की ऐसी ट्रेन जिसके लिए लोगों में दीवानगी की हद तक प्यार है  वह ख्याति प्राप्त सबसे अधिक आय देने वाली यात्री ट्रेन है पुष्पक एक्सप्रेस जोकि उत्तर प्रदेश की राजधानी एवं नवाबों के शहर लखनऊ से देश की औद्योगिक नगरी मुंबई के मध्य चलती है यह लखनऊ से मुंबई के बीच चलने वाली एक ऐतिहासिक ट्रेन है इस ट्रेन से यात्रा करने की चाहत हर आम एवं खास यात्रियों को रहती है इस ट्रेन से यात्रा करने वालों में सबसे अधिक व्यापारी बिहार पूर्वांचल एवं गोरखपुर के साथ लखनऊ के आसपास क्षेत्रों के मुंबई में मेहनत मजदूरी करने वाले लोग एवं वह छात्र  एवं कलाकार जो की माया नगरी में अपना कैरियर बनाने के लिए जाते है वैसे तो लखनऊ से मुंबई जाने के लिए  अनेकों ट्रेन चलती हैं लेकिन लोगों में इस पुष्पक ट्रेन के लिए दीवानगी इस कदर है कि  इस ट्रेन का लखनऊ के पूर्वोत्तर रेलवे स्टेशन लखनऊ जंक्शन से प्रस्थान का समय 19:45 है लेकिन लोग इसमें जगह पाने के लिए सुबह 10:00 बजे से ही स्टेशन पर पहुंचकर लाइन लगाना चालू कर देते हैं
इसका स्लीपर एवं एसी का रिजर्वेशन कई हफ्तों एवं महीनों तक एडवांस बुकिंग रहती है लोगों को यात्रा करने के लिए इस ट्रेन में रिजर्वेशन पाना बहुत ही कठिन कार्य क्योंकि हर कोई इस ट्रेन से यात्रा करने के लिए तत्पर रहता है क्योंकि यह ट्रेन पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 6 से मुंबई के मध्य प्रस्थान करती है लेकिन अनेक यात्रियों की लखनऊ के स्टेशनों से अनभिज्ञ हैं वह इस ट्रेन का इंतजार लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर पहुंचकर करते रहते हैं लेकिन जब प्रस्थान का समय नजदीक हो जाता है तो वह इस ट्रेन के विषय में अन्य लोगों से जानकारी लेते हैं और लखनऊ जंक्शन स्टेशन से प्रस्थान होने की जानकारी पाने के बाद पकड़ने के लिए दौड़ते रहते हैं अनेकों बार कई यात्रियों की ट्रेन जानकारी के अभाव में छूट जाती है क्योंकि ट्रेन पूर्ण रूप से भर कर जाती भेड़ बकरियों की तरह भरे इस ट्रेन के जनरल स्लीपर डिब्बे देखकर कोई भी डर जाए लखनऊ से  मुंबई जाने वाली कई ट्रेनें जनरल डिब्बे के मामले में पुष्पक से भी ज्यादा बदनाम है जिसमें कई ट्रेनें है जोकि गोरखपुर से आती हैं उन ट्रेनों में जनरल के साथ स्लीपर  क्लास डिब्बे की हालात बद से बदतर  होते  है जहां शौचालय में भी लगभग 4 से 5 लोग खड़े खड़े गोरखपुर से मुंबई तक की यात्रा करते हैं अनेकों यात्री जोकि पुष्पक एक्सप्रेस से अंतिम चरण में यात्रा करते हैं वह जनरल का टिकट लेकर  स्टेशन पर ही मौजूद स्थानीय चेकिंग स्टाफ द्वारा स्लीपर के लिए रसीद बनवा लेते हैं जिससे उनको स्लीपर में यात्रा करने की परमिशन मिल जाती है इस कारण स्लीपर में भी जनरल जैसी हालत हो जाते है यात्रियों के द्वारा जनरल टिकट से  रसीद कटवा कर स्लीपर में यात्रा करनी के कारण स्थानीय चेकिंग स्टाफ के साथ उस वक्त में चलने वाला चेकिंग स्टाफ का महीनों एवं सालों रसीद बनाने का जो टारगेट होता है वह मात्र कुछ ही दिनों में पूर्ण हो जाता है इस ट्रेन के विषय में लगभग सभी लोग जानते हैं कि यह एक तरह से रेलवे को आए देने वाली स्पेशल ट्रेन है अगर भविष्य में ऐसी ट्रेनों को प्राइवेट कंपनियों को दे दिया जाए तो एक तरह से आम एवं खास यात्रियों पर आसमान ही टूट पड़ेगा इस ट्रेन में जरूरत है  जनरल कोच के डिब्बों को बढ़ाने की एवं लोगों को जागरूक करने की के अन्य ट्रेन भी मुंबई की ओर जाती है वह उनमें में भी यात्रा कर सकते हैं एवं  इसके प्रस्थान के समय चारबाग स्टेशन  पर भी इस ट्रेन के लखनऊ जंक्शन से जाने का  उद्घोषणा कराने की जरूरत है

मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

₹25000 तो दिए नहीं पर होमगार्डों की नौकरी छीन ली न माया मिली ना मिले राम

उत्तर प्रदेश के होमगार्ड को नवरात्रि के पहले मिली खुशी दीपावली के पहले गम में बदली साथियों वर्तमान समय मैं देश एवं प्रदेश  का राजनैतिक व्यवसायिक आर्थिक सामाजिक मौसम सच में बहुत ही खराब चल रहा है  लोगों  को पता ही नहीं चलता की किस पर बिजली गिरने वाली है वर्तमान में बिजली गिरी है उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्डों  एवं उनके परिवार के ऊपर जो कि एक ही झटके में सड़कों पर आ गए आपको बता दें की उत्तर प्रदेश में होमगार्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यह समाज के वह कड़ी हैं जोकि उच्च अधिकारियों से लेकर धनाढ्य लोगों के साथ आम जनता की डांटने फटकार  गुस्सा   तिरस्कार गालियां एवं   हिंसा  आदि का प्रशासन के सबसे निम्नतम पायदान पर खड़े होकर सहन करता है  ज्यादातर होमगार्ड छोटे परिवारों एवं जातियों से आने वाले वह लोग हैं जो कि  परिवारिक पृष्ठभूमि गरीबी एवं अन्य कारण से शिक्षा प्राप्त नहीं कर   सके लेकिन शारीरिक एवं मानसिक रूप से समाज एवं देश की सेवा के उद्देश्य से एवं बेरोजगारी  मैं अपने परिवार का भरण- पोषण करने के लिए सबसे कम मानदेय में होमगार्ड के पद पर नियुक्त हुए थे जहां से वह जैसे तैसे अपने परिवार का पेट भरने का भी इंतजाम करते थे पूर्व में इनकी  ड्यूटी महीने के कुछ दिनों के लिए ही लगाई जाती थी जिसका उन्हें नाम मात्र का मानदेय दिया जाता था एवं ड्यूटी लगाने के लिए भी उन्हें उच्च अधिकारियों की जी हजूरी करनी पड़ती थी अनेकों होमगार्ड परिवार ऐसे हैं कि जो कम मानदेय के कारण भुखमरी की कगार पर थे और वर्तमान में भी हैं लेकिन पिछले दिनों माननीय सुप्रीम कोर्ट के उत्तर प्रदेश सरकार को दिए हुए आदेश अनुसार उत्तर प्रदेश के होमगार्डों का मानदेय 25000 करने की घोषणा के बाद इनमें खुशी की लहर दौड़ गई थी  और इन्हें अपने परिवार एवं बच्चों का भविष्य उज्जवल दिखाई देने लगा था लेकिन उनकी खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई  और कुछ लोगों को इनकी बड़ी हुई सैलरी हजम नहीं हुई और आदेश निकाल दिया कि उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्डों को हटाया जाएगा इस आदेश  ने एक ही झटके में   उत्तर प्रदेश के होमगार्ड की खुशी को आसमान से जमीन पर पटक दिया उत्तर प्रदेश के लगभग 25000 होमगार्ड जिनके साथ जुड़े उनके लगभग परिवार के 100000 सदस्यों पर यह आदेश आते ही मानो इन पर आसमान टूट पड़ा हो हर जगह उनके परिवारों में कोहराम मच गया इस आदेश के बाद सबसे अधिक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के गरीब परिवारों को समाज की मुख्यधारा से अलग होना पड़ेगा उत्तर प्रदेश के होमगार्ड उत्तर प्रदेश की यातायात व्यवस्था के साथ रेलवे के गेटों प्रमुख संस्थानों धार्मिक आयोजनों राजनीतिक रैली एवं सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा से संबंध बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेवारी निभाते   रहे हैं ज्यादातर होमगार्ड स्थानीय होने के कारण इनका मुखबिर तंत्र इतना मजबूत होता था जिससे कई बड़ी घटनाओं को रोका जाता था उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्डों को निकालने का निर्णय किस संदर्भ में लिया गया यह तो होमगार्ड एवं उनके परिवार के साथ आम जनता की भी समझ से परे  है क्योंकि ज्यादातर होमगार्ड 25000 की खुशी के चक्कर में अपनी रोजी-रोटी से भी हाथ धो बैठे उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्ड अपने आप को ठगा महसूस  कर रहे हैं  अब तो वह अपने पुराने मानदेय पर ही नौकरी करने के लिए तैयार हैं अपने बच्चों को उच्च शिक्षा एवं  परवरिश ना सही कम से कम अपने परिवार का   रूखा सूखा करके पेट तो भर सकेंगे अब इतना तो तय है कि वर्तमान समय कर्मचारियों के लिए बड़ा ही विपरीत समय है पता नहीं सुबह उठते ही किसकी नौकरी पर खतरा मंडराना शुरू हो जाए माननीय सुप्रीम कोर्ट के साथ ही राज्य सरकार को 25000 होम गार्डों को परिवार को ध्यान में रखकर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की  जरूरत है🕊🙏🙏🙏🙏😢😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭✒📣

सोमवार, 14 अक्टूबर 2019

🚅तेजस ट्रेन वाली 🕵कंपनी बिना कुछ🤔 किए हुई 💰मालामाल

देश में प्राइवेट कंपनियों को किस प्रकार से लाभ दिलाया जाए यह वर्तमान सरकार से ज्यादा कोई नहीं जान सकता पिछले दिनों  तेजस को संचालित करने वाली प्राइवेट कंपनी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड  जो घाटे में चल रही थी उसे एक ही झटके में आसमान पर ला दिया
शुक्रवार को इस कंपनी का शेयर ₹320 मात्र था जो कि आज मार्केट खुलने पर सीधा 115 परसेंट बढ़कर  ₹ 690 रुपए पहुंच गया अब उसे तेजस जैसी ट्रेनों से फायदा हो या नुकसान हो यह तो भविष्य  मैं पता चलेगा लेकिन कंपनी की पूंजी  कई गुना बढ़ जाएगी आपको बता दें की केंद्र सरकार एवं भारतीय रेल द्वारा 150 ट्रेनों को प्राइवेट कंपनियों द्वारा संचालित कराने का निर्णय लिया है जिसको देखकर शेयर मार्केट में इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड के शेयर में भूचाल ला दिया हर कोई इस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए उतारू हो गए जिससे एकाएक इसका शेर ऊंचाई पर पहुंच गया और इसकी मार्केट वैल्यू ज़ूम मार गई भविष्य में  ट्रेनों के निजीकरण से रेल कर्मचारियों का क्या भविष्य होगा इससे कंपनी को कोई लेना देना नहीं लेकिन इस कंपनी का भविष्य बिना कुछ किए ही उज्जवल हो चुका है

रविवार, 13 अक्टूबर 2019

तेजस को समय से चलाने के लिए सुरक्षा एवं संरक्षा से खिलवाड़

 क्या आपको पता है देश की प्रथम प्राइवेट ट्रेन तेजस को चलाने के लिए  हजारों यात्रियों को असुविधा हुई है  भारत की प्रथम  निजी  ट्रेन को संचालित करने का निर्णय लिया  जो ट्रेन संचालित की जा रही है वह देश में  रेल के आधुनिक भारत की शुरुआत  के नाम से प्रचारित की जा रही   है इसका किराया  हवाई जहाज किराए के  लगभग है एवं संचालन करने वाली कंपनी किसी भी समय इसका किराया अपने हिसाब से बढ़ा सकती है इसमें  रेलवे ड्राइवर एवं गार्ड को छोड़कर किसी भी  सरकारी रेल कर्मचारी का प्रत्यक्ष  रूप से कोई हस्तक्षेप नहीं  है  कंपनी द्वारा तेजस एक्सप्रेस के संचालन से पूर्व ही यात्रियों को लुभाने के लिए  घोषणा कर चुकी है कि ट्रेन के 1 घंटे लेट होने पर  पर यात्रियों को ₹100  एवं 2 घंटे लेट होने पर  ₹250 दिए जाएंगे इसी लोक लुभावने वादे को पूरा करने के लिए ट्रेन संचालन कंपनी द्वारा भारतीय रेल के तंत्र को ही दूषित करना चालू कर दिया तेजस को समय सीमा में चलाने के लिए जितनी भी   सुपर फास्ट एक्सप्रेस  मेल  पैसेंजर  माल गाड़ियां तेजस के आने एवं जाने के समय पूर्व या बाद में  चलाई जाती हैं उन्हें तेजस एक्सप्रेस के आने एवं जाने से  कई घंटों एवं मिनट पहले रोक दिया जाता है गेटमैन गैंगमैन पॉइंटमैन स्टेशन मास्टर से लेकर पूरे कंट्रोल को एक हाउवा बनाकर रख दिया है कि तेजस आने वाली है सभी गाड़ियों को साइड में करके उसे पहले  वरीयता देकर चलाया जाए जिससे भविष्य में  आम पब्लिक को निजी करण से चलने वाली तेजस एक्सप्रेस ट्रेन का गुणगान किया जा सके  आपको बता दें की रेल इंजन में लोको पायलट सहायक लोको पायलट एवं रेल से संबंधित अधिकारी एवं तकनीकी कर्मचारी के अलावा किसी भी व्यक्ति को जाना अलाउड नहीं होता है लेकिन तेजस एक्सप्रेस ट्रेन के टाइम टेबल को सही बनाए रखने के लिए प्राइवेट कर्मचारी रेल इंजन में उपस्थित होकर एक तरह से स्पीडो मीटर पर नजर रखकर कहीं ना कहीं लोको पायलट एवं असिस्टेंट लोको पायलट पर मंडली प्रेशर बनाते रहते हैं एवं स्पीड को लेकर ड्राइवर से लेकर स्टेशन मास्टर और कंट्रोल को दिशा-निर्देश देते रहते हैं जिससे रेलवे का मूल उद्देश्य एवं मंत्र संरक्षण एवं सुरक्षा को पलीता लगाया जा रहा है जिससे भविष्य में यह भारतीय रेल एवं यात्रियों  के लिए बड़ा घातक सिद्ध हो सकता है  क्योंकि प्राइवेट ट्रेन की शुरुआत आनन-फानन में की गई है उसके लिए अभी तक सुरक्षा संरक्षण से संबंधित एवं प्राइवेट कर्मचारियों के लिए किसी भी प्रकार के दिशानिर्देश तय नहीं किए गए हैं ना ही रेल नियमावली जी आर एस आर मैं किसी प्रकार का नवीन अध्याय नहीं जोड़ा गया जोकि रेल के नियमों को प्राइवेट ट्रेन संचालन के नियमों से संबंध करके कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों एवं अधिकार से अवगत करा सकें भारतीय रेल कर्मचारियों ने मांग की है कि  निजी करण से Tejas एक्सप्रेस लाभ कमाने के उद्देश्य संचालन की शुरुआत के साथ रेल कर्मचारियों की सुरक्षा एवं संरक्षा का विशेष ध्यान रखें क्योंकि देश के प्रत्येक सरकारी रेल कर्मचारी को शपथ दिलाई जाती है समय सीमा उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितनी सुरक्षा एवं संरक्षा अनेकों बार किसी भी प्रकार की  अनहोनी होने की आशंका एवं दुर्घटना होने का आभास होने पर रेल  लोको पायलट अपने स्वविवेक से निर्णय लेकर ट्रेन की स्पीड को कम करके अनहोनी को  टालते रहते हैं एवं उसके विषय में कंट्रोल को अवगत कराते रहते हैं लेकिन जब उन्हें ट्रेन संचालित करने के लिए इंजन में उपस्थित होकर समय सीमा का दबाव बनाया जाएगा तो वह कहीं ना कहीं सुरक्षा से खिलवाड़ करके अपने टारगेट को पूरा करेंगे जिससे भविष्य में रेल के साथ रेल यात्रियों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए रेल प्रशासन रेल के संरक्षण एवं सुरक्षा के  जाल को  किसी भी प्राइवेट संचालित  कंपनी को  तोड़ने की अनुमति ना दे क्योंकि पैसा एवं समय बचाने से महत्वपूर्ण है लोगों की  संरक्षा एवं सुरक्षा  आप सभी  रेल कर्मचारी एवं यात्री  सुरक्षित रहें  संरक्षित रहे आपकी यात्रा मंगलमय हो  आपका अपना भारतीय रेल परिवार 🚄🔊✍✍✍✍✍🙏🙏🌷🌷

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

ट्रेन🚄 ड्राइवर भी एक 🙏इंसान है रेल कर्मचारियों के प्रति सोच बदलिए

🚄यह वीडियो  क्लिप  रेल कर्मचारियों के बारे में बहुत कुछ कहती है  कृपया ध्यान से देखें देश को आजाद हुए 70 वर्ष से अधिक हो चुके हैं लेकिन आज भी आम यात्रियों में भारतीय रेलवे के विषय में किसी प्रकार की जानकारी नहीं है आए दिन लोगों के रेल कर्मचारियों से वाद विवाद होते रहते हैं सबसे ज्यादा लोगों के गुस्से का शिकार रेलवे के ट्रेन ड्राइवर को उठाना पड़ता है सभी लोगों को ज्ञात है कि रेल व्यवस्था पूरी तरह से सिग्नल पर आधारित है लाल हरा पीला इन्हीं  रंगो पर  रेल यातायात चलता है एवं रेल में रेल को सबसे ज्यादा लाभ माल भाड़े में  होता है उसके बाद जितनी भी बीआईपी  सुपरफास्ट मेल एक्सप्रेस ट्रेनें होती हैं उनको पहले वरीयता दी जाती है पैसेंजर लोकल ट्रेन आए दिन लेट लतीफ होती रहती हैं आम पब्लिक जोकि प्रतिदिन रेल यात्रा करती है लेट लतीफ होने पर उसका सारा  दोषी रेलवे के लोको पायलट को ठहरा देती है पिछले वर्ष विजयदशमी के पर्व के समय पंजाब मैं रेल ट्रैक पर विजयदशमी रावण दहन का कार्यक्रम बना रहे  लोगों के ट्रेन की चपेट में आने से हुए हादसे मैं 150  से अधिक लोगों का रन ओवर हो जाने पर देशभर में लोको पायलट को जी भर कर गालियां एवं कोषा  गया किंतु किसी ने नहीं सोचा की  घर परिवार  अपने कर्तव्य को ईमानदारी से करने  वाला व्यक्ति किसी  जानवर को बचाने के लिए पूरी ट्रेन को संकट में डाल देता है फिर वह आखिर क्यों इतने सारे लोगों को जानबूझकर क्यों मारेगा जहां रावण दहन किया जा रहा था वह पूरी तरह से असुरक्षित था मोड़ होने के कारण ड्राइवर को जानकारी भी नहीं हुई  क्योंकि रेल पूरी तरह से सिग्नल व्यवस्था एवं समय पर चलती है जहां स्पीड का निर्धारण फिक्स होता है पूरा ट्रैक सेक्शन के हिसाब से बड़ा होता है जहां पर रेलगाड़ियों की गति नियम अनुसार बनाए रखनी होती है तेज गति से कम या अधिक होने पर उपरोक्त चालक को चार्जसीट के रूप में सजा दी जाती है भारतीय रेल  परिचालकों को विपरीत परिस्थितियों में पूर्व निर्धारित श्रम कानून के बावजूद कई घंटों अधिक समय तक रेल कार्य करने के लिए मजबूर   होना पड़ता है ट्रेन इंजन में किसी प्रकार की सुविधा एवं शौचालय उपलब्ध ना होने के बाद भी ट्रेन चालक  रेल यात्रियों को सही समय पर सुरक्षित एवं संरक्षित पहुंचाने का कार्य करता है आप सभी से निवेदन है कि रेल के नियम एवं कार्यों को जानने की कोशिश करें एवं रेल कर्मचारियों का हमेशा आत्मसम्मान का ध्यान रखें क्योंकि वह भी आप ही की तरह किसी परिवार का बेटा भाई पिता एवं पति सबसे बड़ी बात की वह भी एक इंसान है🌷🔊🙏✍✍✍🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

ऑल इंडियन रेलवे फेडरेशन के तत्वधान में हुआ रनिंग कर्मचारियों का संवाद कॉन्फ्रेंस प्रोग्राम बीजेपी प्रत्याशी ने मांगा समर्थन

वर्तमान समय  रेल एवं रेल कर्मचारी के लिए बड़ा दुविधा का समय है जहां रेल कर्मचारियों को अपने भविष्य को लेकर तमाम प्रकार की आशंका है एवं भय व्याप्त है वही कुछ लोग कर्मचारियों के साथ किसी प्रकार की राजनीति   करने से बाज नहीं आ रहे ताजा मामला लखनऊ में ऑल इंडियन रेलवे फेडरेशन द्वारा स्वर्गीय कॉमरेड टी एन बाजपेई जी की स्मृति में रेल रनिंग कर्मचारियों का संवाद कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी जिसमें ऑल इंडियन रेलवे फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री  शिव गोपाल मिश्रा जी लखनऊ डीआरएम एवं एडीआरएम महोदय के साथ पूर्वोत्तर रेलवे की एडीआरएम महोदय उपस्थित रही
इस कांफ्रेंस के माध्यम से रेलवे के रनिंग कर्मचारियों द्वारा अपनी-अपनी समस्याएं एवं मांगे रखकर वर्तमान में रनिंग कर्मचारियों के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार पर निराशा प्रकट की एवं बताया कि वर्तमान समय में जिस प्रकार से रेल के संबंध में केंद्रीय सरकार द्वारा  कठोर  कदम उठाकर रेल कर्मचारियों के अंदर भय का माहौल बना दिया है रेल कर्मचारी खासकर रनिंग का जो कि अपनी मेहनत ईमानदारी एवं लगन शीलता के लिए रेलवे की रीढ़ माना जाता है एवं जीवन का बहुमूल्य समय रेल के लिए समर्पित कर देता है उसके बाद भी कर्मचारी को न्यू पेंशन स्कीम से लेकर तमाम द्वेष और नियमों के कारण अपने भविष्य को लेकर हमेशा आशंका बनी रहती है कांफ्रेंस के मध्य में ही लखनऊ कैंट विधानसभा से पूर्व विधायक एवं वर्तमान उपचुनाव में प्रत्याशी तिवारी जी पहुंच गए उन्हें देखते ही कई कर्मचारी सकते में आ गए   यह शोध का विषय है की उन्हें आमंत्रित किया गया था कि अपने मन से कार्यक्रम में उपस्थित हुए क्योंकि प्रोग्राम रनिंग कर्मचारियों के लिए  था एवं राष्ट्रीय यूनियन नेता एवं अधिकारी मंचासीन थे और उन सभी के पास सीमित समय होने के कारण संवाद कार्यक्रम में समस्याओं को लेकर बोलने वाले  इन कर्मचारियों  समय कम दिया जा रहा  था उसी बीच कैंट विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव के उम्मीदवार तिवारी जी मंच पर आकर रेल कर्मचारियों के साथ सभी कर्मचारियों की पेंशन स्कीम को खत्म करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी का गुणगान करने लगे इससे कर्मचारियों में एकाएक रोष व्याप्त  हो गया रनिंग कर्मचारियों ने खुलकर विरोध तो नहीं किया लेकिन कानाफूसी करते हुए जरूर दिखाई दिए कि क्या यह मंच  नेताजी के लिए सही था जहां एक और केंद्र सरकार कर्मचारी के हितों पर चोट पर चोट किए जा रही वही यह नेता पार्टी एवं पेंशन को खत्म करने वाले अटल बिहारी जी का गुणगान करते हुए नजर आए इनके बोलते  ही रनिंग कर्मचारी सीटों से उठकर जाने लगे उत्सुकता पूर्वक चल रहा प्रोग्राम एकाएक महत्वहीन दिखाई देने लगा रनिंग कर्मचारियों ने अपील की कि भविष्य में यूनियने कर्मचारियों के हित में ऐसे प्रोग्राम आयोजित करें लेकिन इन्हें राजनीति  राजनीतिक मंच ना   बनने दे

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

अखिलेश यादव जी द्वारा देश की सबसे बड़ी बरुआसागर की अदरक अरबी मंडी का जाना हाल एवं छात्र को दी शुभकामनाएं


आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव द्वारा बुंदेलखंड की झांसी मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित बरुआसागर नगर  यहां पर  पूरे देश  की अदरक अरबी की सबसे बड़ी मंडी है  यहां अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में स्थापित एवं  व्यवस्थित कराए जाने वाले कार्यों को देखा आपको बता दें कि अखिलेश सरकार में पूरे बुंदेलखंड में अनेक मंडिया बनाई गई थी एवं जिन मंडियों में संसाधनों की कमी थी उन्हें पूर्ण रूप से संसाधन उपलब्ध कराए गए एवं व्यवस्थित तरीके से मंडियों को स्थापित किया गया था पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी द्वारा बरुआसागर स्थित मंडी से पूरे देश भर में भेजने वाले फलों सब्जियों के विषय में जानकारी ली स्थानीय लोगों के साथ व्यापारियों माननीय अखिलेश यादव जी को अवगत कराया  कि  एक दशक से अधिक  से बुंदेलखंड में सूखा एवं प्राकृतिक असंतुलन से किसानों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है उसी के दुष्परिणाम स्वरूप बरुआसागर की यह मंडी जो पूरे साल आबाद रहती थी एवं सैकड़ों ट्रकों से माल देश की बड़ी बड़ी मंडियों में पहुंचाया जाता था वह अब सीमित हो गया है इस विश्व स्तरीय मंडी से व्यापारियों के साथ अनेक बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध होता था किसानों के बर्बाद होने से अब मजदूर भी पूरी तरह से काम के अभाव में भुखमरी की कगार पर है प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव जी द्वारा किसानों मजदूरों एवं व्यापारियों  की समस्याओं को जानकर किसानों एवं व्यापारियों की वर्तमान हालात पर दुख प्रकट किया बरुआसागर प्रवास के दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी नगर के मेधावी छात्र जिन्हें पूर्व में लखनऊ में मुख्यमंत्री काल के दौरान सम्मानित किया था एवं लखनऊ से झांसी की हेलीकॉप्टर द्वारा यात्रा करा कर नगर के सम्मान को रखा था उनके आवास पर रुक कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की पूर्व मुख्यमंत्री के नगर आगमन पर अनेक लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया🙏✍✍🔊

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

🚄तेजस ट्रेन चलाकर रेल☠ निजीकरण की हुई शुरुआत रेल 🛠कर्मचारी हुआ हताश😭


आज देश में एक नया अध्याय शुरू हो गया लखनऊ में आज प्रथम प्राइवेट ट्रेन चलाई गई जिसका उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हरी झंडी देकर रवाना किया यह ट्रेन लखनऊ से दिल्ली के मध्य सप्ताह में 5 दिन चलेगी इसका किराया एयरलाइंस की बराबर होगा इस ट्रेन में लखनऊ से नई दिल्ली का न्यूनतम किराया चेयर कार का 1125 रुपये और एक्जीक्युटिव चेयर कार का 2310 रुपये है. दिल्ली से लखनऊ की यात्रा के लिए एसी चेयर कार का टिकट 1280 रुपये होगा जबकि एक्‍जीक्‍यूटिव चेयर कार के लिए 2450 रुपये खर्च करने होंगे. वहीं, लखनऊ से कानपुर के लिए एसी चेयर कार का टिकट 320 रुपये होगा. दिल्ली से लखनऊ की यात्रा में खाना भी दिया जाएगा इसलिए इसका किराया थोड़ा ज्यादा है. रेलवे बोर्ड अन्य मार्गों पर भी ऐसी ट्रेन चलाने पर विचार कर रहा है. तेजस ट्रेन की निगरानी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) के जिम्मे है. यह वही कंपनी है जो अभी तक रेलवे के भोजन  वितरण का कार्य करती है आप सभी को तो ज्ञात होगा कि किस प्रकार की क्वालिटी भोजन की रेलवे में होती है  अब यह कंपनी ट्रेन चलाएगी इस प्रथम निजी ट्रेन के विरोध स्वरूप ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ अलारासा  संगठन के नेतृत्व में पूरे देश भर के रेल कर्मचारियों
के सहयोग द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया रेल कर्मचारियों को आशंका है कि यह  भारतीय रेल के निजीकरण की शुरुआत है भविष्य में रेल कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर कर पूरी  रेल को प्राइवेट कंपनियों को बेच दिया जाएगा
वही आम व्यक्तियों का इस ट्रेन के विषय में मानना है कि है आम एवं गरीब यात्रियों को रेल यात्रा से पूर्ण रूप से वंचित करने की शुरुआत है क्योंकि इसका न्यूनतम किराया लखनऊ से दिल्ली के मध्य हवाई जहाज किराए के बराबर है एवं दूसरी सरकारी रेलवे ट्रेन का लखनऊ से दिल्ली के मध्य कराया इसके किराए से लगभग आधा है

जहां एक ओर सरकार आम जनता को बिना नाराज किए ही रेल का का किराया आधे से  दोगुना करना चाहती है क्योंकि जितनी भी सरकारी ट्रेन है वह पूर्ण रूप से  फुल होने के बाद भी लगभग 300 से ज्यादा वेटिंग होने और जनरल डिब्बों को जानवरों जैसा भरने के बाद भी लाभ नहीं कमा पा रही है तो साधारण सा हिसाब है कि प्राइवेट कंपनियां इसमें जबरदस्त किराया बढ़ाकर ही फायदा ले पाएंगे इस ट्रेन में लगभग दोगुना किराया वसूलने के बाद यात्रियों के लिए घोषणा की गई है की ट्रेन 1 घंटे लेट होने पर ₹100 एवं 2 घंटे से अधिक लेट होने पर 250 दिए जाएंगे लेकिन किस प्रक्रिया के माध्यम से  दिए जाएंगे अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है वहीं रेल यात्रियों का दुर्घटना बीमा लाखों रुपए दिया जाएगा जो कि पहले ही किराए में वसूल लिया गया है वही  सुविधा पसंद संपन्न  यात्रियों का मानना है कि वर्तमान मैं ज्यादातर सरकारी  कर्मचारी कामचोर और लापरवाह होने के कारण   भारतीय रेल लेट लतीफ एवं कई कमियों से जूझ रही थी यह प्राइवेट होने के कारण इस पर लगाम लग सकेगी वहीं कर्मचारियों का मानना है की  भारतीय रेल में मात्र 1% कामचोर कर्मचारियों  की सजा 99% ईमानदार रेल कर्मचारियों को देना नाइंसाफी है सरकार के पास पर्याप्त संसाधन एवं तंत्र है जो कामचोर कर्मचारियों पर लगाम लगा सकती है देश की सरकार इस ओर ध्यान दें 99 % कर्मचारियों को गेहूं के साथ घुन की तरह मत पीसे सरकार के पास पर्याप्त संसाधन एवं एजेंसियां हैं जो  कामचोर कर्मचारियों को पकड़कर   रेल  से बाहर कर सकती है वह उसका  प्रयोग क्यों नहीं कर रही आपको बता दें  यात्रियों पर बोझ डालकर रेल किराया दोगुना हो जाएगा जिसका लाभ सीधे-सीधे उद्योगपतियों को होगा अगर रेल का निजीकरण कराना है तो उद्योगपति खुद के ट्रैक बिल्डिंग एवं संसाधन जोड़कर प्राइवेट रेल चला सकता है इस और सरकार को ध्यान देना चाहिए रेल की 150 वर्षों से अधिक की पसीने की मेहनत को उद्योगपति द्वारा ना  लूटी जाए जहां यह रेल के निजीकरण को सरकार युवाओं को रोजगार का एक अफसर दिखाकर युवाओं को बरगला रही है तो बता दें प्राइवेट करण का अनुभव भी कुछ ठीक नहीं है रेल में अनेकों स्थानों पर प्राइवेट कर्मचारी लगाए गए हैं उनकी  जितनी सैलरी निर्धारित है उससे लगभग आधा देकर उनसे पूरी सैलरी  पर हस्ताक्षर कराकर ठेकेदार एक मोटी कमाई करते है उनकी सैलरी भले ही बैंक खातों में आए लेकिन निकालकर उन्हें ठेकेदार को देना पड़ता है निजी तौर पर किसी भी सफाई कर्मचारी एवं लोको पायलट के विश्राम स्थल में लगे खाना बनाने से लेकर अन्य प्राइवेट कर्मचारियों से ली जा सकती है यह पूरी तरह से प्राइवेट में लगे लोगों का खुले तौर पर शोषण है जो उन्हें दैनिक मजदूरी से भी कम रुपए देकर उनसे काम कराया जा रहा है  भारतीय रेल का भविष्य क्या होगा यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन इतना जरूर है आने वाला समय रेल कर्मचारियों से लेकर आम यात्रियों के लिए   अच्छा दिखाई नहीं दे रहा क्योंकि निजीकरण के बाद प्रवेश चार्ज सामान लगेज चार्ज सफाई चार्ज जैसे अनेकों चार्ज शामिल हो जाएंगे फिर जीएसटी के साथ उसके बाद गरीब पोटली धारी साधारण यात्री स्टेशन  के अंदर प्रवेश करना भी दुर्लभ हो जाएगारेल में यात्रा करने की भी तो भूल के भी ना सोचना ☠💣🙈🙉🙊💣☠🚄🚝🚅🚆🚉🚇🛠🛠✍✍✍✍

गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

2 अक्टूबर विश्व अहिंसा दिवस पूरे विश्व की दुर्लभ निधि थे महात्मा गांधी जी बारूद के ढेर पर बैठे विश्व को बस गांधी दर्शन ही बचा सकता है

 
आज पूरे विश्व में महात्मा गांधी जी की 150   बी जन्म शताब्दी मनाई जा रही है 2 अक्टूबर पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है पूरा विश्व दक्षिण अफ्रीका की रेल यात्रा  विश्व युद्ध के पहले एवं द्वितीय गोलमेज सम्मेलन से लेकर आज तक  महात्मा गांधी जी दर्शन से अत्यधिक प्रभावित  है एवं गांधी जी के रूप में  विश्व शांति के लिए  उन्हें एवं उनके विचारों को शांति दूत एवं संदेश के रूप में  देखता है  भारतीय लोग भी गांधी जी को देश के लिए एवं विश्व के लिए विशेष निधि मानते हैं गांधी जी का जीवन और उनके विचार गांधी दर्शन के रूप में जाने जाते हैं गांधी दर्शन के विषय में  विश्व के अनेक देशों के महान दार्शनिकों एवं साहित्यकारों एवं राजनेताओं ने अनेक शोध किए एवं अपना पूरा जीवन गांधी जी के  सत्य अहिंसा दर्शन में लगा दिया
जिसमें  अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला  जैसे अनेक अंतरराष्ट्रीय नेता रहे वर्तमान में कुछ वर्षों से देश में व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए वर्तमान युवा पीढ़ी को एक अलग ही गांधी जी के जीवन दर्शन  एवं चरित्र चित्रण से रूबरू होना  पढ़ रहा है जिसमें यता कथित कुछ लोगों ने काल्पनिक आधार पर युवा पीढ़ी में गांधी के प्रति दुर्भावना एवं बुरे विचार ला दिए जो देश एवं भविष्य में विश्व शांति के लिए बेहद एक गंभीर होंगे बहुत से युवा तर्क देते हैं गांधी ने यह किया वह किया गांधी जैसे थे वैसे थे मुझे नहीं पता गांधीजी कैसे थे गांधीजी को समझना एवं  जानना  सोशल मीडिया पर चंद रुपए में कुछ संगठनों को लाभ देने के लिए गांधी दर्शन पर कीचड़ उछालने के लिए बनाए गए चंद लाइनों के  संदेशों से समझना असंभव है अगर गांधी दर्शन को समझना है तो गांधी जी द्वारा लिखित पुस्तकों का अध्ययन निकलना होगा वह शायद देश की सबसे बड़ी युवा बेरोजगार जनसंख्या को बेहद कठिन लगे क्योंकि लोग अब व्यक्ति के चरित्र की व्याख्या मात्र कुछ लाइनों में ही कर देता है जितनी किताबें महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई हैं शायद उतनी किताबें कथित युवा पीढ़ी जो अपने आप को बेरोजगार कहते हैं लेकिन जब किताबें पढ़ने की बारी आती है तो कहते हैं हमारे पास इतना समय नहीं कि इतनी मोटी मोटी किताबें पढ़ सकें अगर जीवन में धर्म के बारे में जानना चाहते हो तो गीता पढ़ना जरूरी है उसी प्रकार अगर गांधी दर्शन को जानना चाहते हो तो गांधी जी द्वारा लिखित किताबों को पढ़ना बड़ा ही आवश्यक है अगर गांधी जी द्वारा लिखित किताबें भी नहीं पढ़ सकते तो मैं एक ऐसे महापुरुष के बारे में बताना चाहता हूं जिसने अपना पूरा जीवन गांधी दर्शन में लगा दिया उनका पूरा नाम राष्ट्रीय युवा योजना के एमएस सुब्बा राव जी मैंने जीवन में गांधी जी को तो नहीं देखा लेकिन जब मैं

सुबाराव जी को देखता हूं तो महसूस करता हूं सच में कितने महान व्यक्तित्व के धनी होंगे महात्मा गांधी जी और अपने आप को धन्य मानता हूं की मुझे एक गांधीजी देखने को नहीं मिले लेकिन उनके अंश सुबाराव जी को देखकर मैं गांधी दर्शन को भलीभांति समझ सकता हूं यह वही सुब्बा राव जी हैं जिंदगी के गांधी दर्शन से प्रभावित होकर सैकड़ों खतरनाक डकैतों ने देश के प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर के गांधी दर्शन से जीवन को जीने की कला सीखी जिन युवाओं को अभी गांधी जी के दर्शन एवं गांधी जी के विचारों पर थोड़ा भी संदेह है तो वह 94 साल के युवा डॉक्टर सुब्बा राव जी के राष्ट्रीय युवा योजना विश्व एकता एवं शांति के लिए लगाए जाने वाले  शिविरों में रहकर जीवन मैं सत्य और अहिंसा के विषय में   सही से समझ सकता है

विश्व की कुछ घटनाएं जो कि कुछ लोगों को पहले से ही पता चल जाती हैं जिनमे रूस में आया भूकंप भी

पूर्वानुमान, सपने और आध्यात्मिक दृष्टिकोण: एक सिमुलेटेड विश्व का रहस्य ...